श्री पी. परमेश्वरन् की पुस्तक 'स्वामी विवेकानंद एंड प्रबुद्ध केरलम्' लोकार्पित
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स्वामीजी से गांधीजी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद बोस आदि ने प्रेरणा ली थी। सेवा स्वामीजी के जीवन का आज के युवाओं की प्रेरणा हैं।
–डा.के.सी. जोसफ
संस्कृति मंत्री एवं कांग्रेसी नेता
स्वामी जी के मन में केरल के निम्न वर्ग के लोगों के प्रति अथाह प्रेम था। स्वामी जी ने निम्न वर्ग के लोगों का जीवन स्तर ठीक करने के लिए बहुत कार्य किया।
पी. परमेश्वरन्
अध्यक्ष, विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी
स्वामी जी ने जातिप्रथा और अन्य कुरीतियों को देश से समाप्त करने के लिए कड़े प्रयास किए थे। यह पुस्तक स्वामीजी को सुन्दर श्रद्धाञ्जलि है।
–वी. एस. अच्युतानंदन
नेता, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
स्वामी विवेकानंद के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने विचारों से देश ही नहीं, विश्व को भी जीत लिया था। स्वामीजी के ऊर्जावान विचारों का असर केरल में फिर से देखने को मिला जब तीन विचारधाराएं एक मंच पर दिखाई दीं।
स्वामी विवेकानंद की पुस्तक 'स्वामी विवेकानंद एंड प्रबुद्ध केरलम्' के लोकार्पण का। समारोह में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और रा.स्व.संघ के पदाधिकारी मंचासीन थे। 101 लेखों और कविताओं वाली पुस्तक का संपादन विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी के अध्यक्ष, भारतीय विचार केन्द्र के निदेशक एवं रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक पद्मश्री पी. परमेश्वरन् ने किया है।
लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन भारतीय विचार केन्द्र और विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। पुस्तक का लोकार्पण केरल के संस्कृति मंत्री एवं कांगेस के नेता डा. के.सी. जोसफ, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता श्री वी.एस. अच्युतानंदन एवं श्री पी. परमेश्वरन् ने संयुक्त रूप से किया।
डा. के.सी. जोसफ ने पुस्तक को सहेजने योग्य बताते हुए कहा कि स्वामीजी से गांधीजी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद बोस आदि ने प्रेरणा ली थी। सेवा स्वामीजी के जीवन का उद्देश्य था। स्वामीजी आज के युवा की प्रेरणा हैं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को वे केरल के विधायकों में वितरित करेंगे। श्री वी.एस. अच्युतानंदन ने पुस्तक को स्वामीजी को सुंदर श्रद्धाञ्जलि बताते हुए कहा कि स्वामीजी ने जातिप्रथा को देश से समाप्त करने के लिए कड़े प्रयास किए थे।
श्री पी. परमेश्वरन् ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामीजी 120 साल पहले केरल आए। उनके मन में केरल के निम्न वर्ग के लोगों के प्रति अथाह प्रेम था। स्वामीजी ने निम्न वर्ग के लोगों का जीवन स्तर ठीक करने के लिए बहुत कार्य किया। स्वामी जी के शिकागो उद्बोधन से पहले दुनिया का भारत को देखने का नजरिया अलग था। शिकागो उद्बोधन में स्वामीजी ने पश्चिम की अवधारणा को तोड़कर पश्चिमी देशों को आध्यात्मिक देश भारत में मिशनरी भेजने के लिए शर्म महसूस कराई। उन्होंने कहा कि आज विश्व को इस बात का अहसास हो रहा है कि देश के विकास और प्रगति के लिए आध्यात्मिकता और ज्ञान जरूरी है।
कार्यक्रम में रामकृष्ण मठ के स्वामी तत्वरूपानंद, पूर्व राजदूत श्री टी.पी. श्रीनिवासन, पूर्व मुख्य सचिव श्री सी.पी. नायर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री ओ. राजगोपाल, श्री संकारा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. के.एस. राधाकृष्ण्णन प्रसिद्ध कवियित्री सुश्री सुगथा कुमारी सहित बड़ी संख्या में केरल के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। n |ÉnùÒ{É कृष्ण्णन
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