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12 मार्च, 1993 का वह दिन भारत कभी भुला नहीं पाएगा जब देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में एक के बाद एक तेरह आतंकी धमाके करके पूरे देश में दहशत मचा दी गई थी। दोपहर 1.30 बजे से 3.40 बजे तक शहर के अलग-अलग ठिकानों पर हुए इन धमाकों में 257 लोग मारे गए थे, 713 घायल हुए थे और करीब 28 करोड़ की सम्पत्ति नष्ट हुई थी। विडंबना यह है कि बीस वर्ष बाद भी मीडिया की सुर्खियां और सरकारी अमलों का हल्ला घटना के मुख्य साजिशकर्ता की बजाय एक ऐसे व्यक्ति पर केन्द्रित है जिसने आतंकियों से दोस्ती गांठी और विस्फोटक छुपाने में मददगार बना। उन बम हमलों का मुख्य साजिशकर्त्ता बताये गये दाउद इब्राहिम और टाइगर मेमन आज भी पकड़े नहीं गए हैं। घटना के 20 साल बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने दोषियों को अंतिम फैसला सुनाया। फैसले में, टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन को फांसी की सजा बरकरार रखी गई, जबकि फिल्म अभिनेता संजय दत्त जिस पर एके-56 रायफल अपने पास छुपा रखने का आरोप था, को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई। चूंकि संजय 18 महीने की सजा पहले काट चुका है, इसलिए अब वह साढ़े तीन साल के लिए कैद किया जाएगा। उसे 4 हफ्ते के भीतर खुद को अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा गया है। 53 साल के संजय दत्त ने अपने चाल-चलन के आधार पर सजा से मुक्त रखने की अपील की थी जो ठुकरा दी गई क्योंकि उसका अपराध बेहद गंभीर माना गया। सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य 10 आरोपियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी। न्यायमूर्ति पी.सदाशिवम और न्यायमूर्ति बी.एस.चौहान की पीठ ने दो लोगों को बरी कर दिया, जबकि एड्स पीड़ित एक कैदी को छोड़ने की इजाजत दे दी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा
दुनिया की यह पहली ऐसी घटना है, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इतने बड़े पैमाने पर आरडीएक्स जैसे घातक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया।
आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम देने वाले एक मजहबी उन्माद को हमारे संविधान के मूलभूत ढांचे को ध्वस्त नहीं करने दिया जाना चाहिए।
पिछले दो दशकों में सैकड़ों जानें ले चुकी इस समस्या को खत्म करना बेहद जरूरी है।
संजय का अपराध बेहद गंभीर है, उसे माफ नहीं किया जा सकता।
संयुक्त राष्ट्र के समझौते में बंधे होने के बावजूद पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया।
पाकिस्तानी एजेंसियों की मदद से यह धमाका किया गया।
आरोपियों को पाकिस्तान जाने-आने के लिए कोई औपचारिकता पूरी नहीं की जाती थी। यानी उन्हें पाकिस्तान में 'ग्रीन-चैनल' से प्रवेश और निकलने की सुविधा प्राप्त थी।
इनकी सुनें
महाराष्ट्र के राज्यपाल संजय को माफी दें, क्योंकि संजय को धमाकों में दोषी नहीं पाया गया और उन्होंने अब तक बहुत कष्ट झेले हैं।
–मार्कंडेय काटजू
अध्यक्ष, प्रेस परिषद्
यह न्यायिक मामला है। सरकार जस्टिस काटजू के बयान पर गौर करेगी।
–मनीष तिवारी
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री
संजय दत्त को 5 साल के लिए जेल जाना पड़ेगा। मैं दया की उम्मीद करता हूं।
–महेश भट्ट, फिल्म निदेशक
संजय की अपील पर राज्यपाल उनकी सजा माफ कर सकते हैं।
–अश्विनी कुमार, केन्द्रीय कानून मंत्री
संजय 18 महीने जेल काट चुके हैं। ऐसे में काटजू की मांग सही है। संजय को माफी मिलनी चाहिए।
–पी.डी. त्रिपाठी, प्रवक्ता, एनसीपी
राष्ट्रपति और राज्यपाल संजय के मामले को विशेष श्रेणी में रखकर सजा माफ कर दें।
–नरेश अग्रवाल, सांसद, सपा
संजय को माफी क्यों दी जाए? अदालत के फैसले के बाद माफी देने की बात करने से गलत सन्देश जाएगा।
बलबीर पुंज, सांसद, भाजपा
अब सरकार को पाकिस्तान पर दाउद इब्राहिम को भारत भेजने का दबाव बनाना चाहिए। वर्षों से फरार एक आरोपी याकूब मेमन को भी भारत में कानून के हवाले किया जाना चाहिए।
–प्रवीण भाई तोगड़िया
अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विहिप
द्रमुक के साथ छोड़ते ही कांग्रेस बौखलाई
श्रीलंका में तमिलों के मुद्दों पर सरकार का साथ छोड़ने वाले द्रमुख प्रमुख करुणानिधि के बेटे एम.के. स्टालिन के घर 20 मार्च को सी.बी.आई. और डी.आर.आई. ने छापे मारे। माना जा रहा है कि सरकार की अस्थिरता से बौखलाई कांग्रेस की यह द्वेषपूर्ण कार्रवाई है। लेकिन हैरत की बात यह है कि छापे के बाद सबसे ज्यादा अचरज कांग्रेस के नेताओं ने ही जताया।
सी.बी.आई. द्वारा छापा मारे जाने की खबर जैसे ही मीडिया में आई सरकार और कांग्रेस के नेताओं ने इस छापेमारी से अपने आपको बिल्कुल अलग बताया। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने छापों को दुर्भाग्यपूर्ण कहा। वहीं वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा इस छापे में सरकार और कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन द्रमुक के समर्थन वापसी के तुरन्त बाद ही सी.बी.आई. की यह कार्रवाई सरकार की मंशा पर उंगली तो जरूर उठाती है।
द्रमुक मांग कर रही थी कि सरकार श्रीलंका में तमिलों के मुद्दे पर भारतीय संसद में श्रीलंका सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाए। संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करे। सरकार की ओर से इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैया देख द्रमुक ने 19 मार्च को सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
वहीं द्रमुख पर हुई सी.बी.आई. की कार्रवाई से मुलायम सिंह भी थोड़े 'मुलायम' पड़ गए हैं। क्योंकि जो मुलायम सिंह 19 मार्च तक बेनी प्रसाद को मंत्री पद से हटाने की मांग कर रहे थे, वही 20 मार्च को यह कहने लगे की बड़े दिल वाले ही माफ करते हैं। शायद उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कहीं उन पर भी सी.बी.आई. के छापे न पड़ जाएं। बेनी प्रसाद ने मुलायम सिंह पर सरकार को समर्थन देने के बदले कमीशन लेने का आरोप लगाया था। इस सबमें कांग्रेस की चिंता यह है कि किसी तरह आम चुनाव तक सरकार बची रहे।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव घोषित होते ही कांग्रेस सक्रिय
कर्नाटक विधानसभा चुनावों की घोषणा होते ही कांग्रेस ने इसके लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। कांग्रेस मानकर चल रही है कि यदि वह कर्नाटक में जीत दर्ज करती है तो शायद नवंबर-दिसंबर में होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी चुनाव परिणाम उसके पक्ष में आएं। इसलिए कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनावों की तैयारी लोकसभा चुनाव की तैयारी से कम नहीं कर रही है। इसके लिए कांग्रेस ने अनेक बड़े नेताओं को कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगाया है। रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी को चुनाव समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि अंबिका सोनी, वायलार रवि जैसे नेता इस समिति के सदस्य हैं। कांग्रेस के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। क्योंकि इसी से उसका भविष्य तय होगा।
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