भारत सरकार पीड़ित हिन्दुओं को शरण दे
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

भारत सरकार पीड़ित हिन्दुओं को शरण दे

by
Mar 9, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत सरकार पीड़ित हिन्दुओं को शरण दे

दिंनाक: 09 Mar 2013 13:01:07

 

बंगलादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के सन्दर्भ में विहिप के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने 6 मार्च को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा

बंगलादेश में वहां के पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के हत्यारे को अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जमाते इस्लामी संगठन द्वारा पूरे बंगलादेश में प्रतिक्रिया स्वरूप वहां रहने वाले हिन्दुओं के विरुद्ध अत्यन्त क्रूर अत्याचार किए जा रहे हैं। अभी तक सैकड़ों की हत्या हो चुकी है। सही समाचार भी नहीं प्राप्त हो पा रहे हैं। हजारों हिन्दू परिवार घर-बार छोड़ने के लिए बाध्य हुए हैं और सीमा पार कर भारत में अपनी सुरक्षा चाहते हैं। भारत सरकार भारत में ही शिविर लगाकर शरणार्थियों को सब प्रकार की सुरक्षा प्रदान करे। उन्हें बंगलादेश से भारत आने पर न रोका जाए। सरकार अगर उन्हें रोकती है तो वह उनको कातिलों के हाथ में सौंप देना माना जाएगा। बंगलादेश में हो रही घटनाओं को उनका आन्तरिक मामला नहीं माना जा सकता। भारत सरकार को इस सम्बन्ध में कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

इसी प्रकार भारत में पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के कैनिंग क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से आगजनी, बलात्कार, तोड़फोड़ व हत्याओं का दौर चला है। जिहादी तत्वों को जो प्रोत्साहन मिल रहा है, वह भारत में गृहयुद्ध की परिस्थिति खड़ी कर देगा। जिहादी तत्वों का दमन नहीं किया जा रहा है। हिन्दू समाज को अपनी आत्मरक्षा के लिए सचेत और स्वयं तैयार रहना होगा और संगठित रूप से जिहादी तत्वों एवं तुष्टीकरण की राजनीति का मुकाबला करना होगा तथा हिन्दुत्व की रक्षा के लिए सम्पूर्ण भारतवर्ष में वर्तमान हिन्दू विरोधी शासन के विरुद्ध जनमत तैयार करना पड़ेगा क्योंकि लोकतंत्र में सरकारें जनमत से ही डरती हैं। हिन्दू समाज अब चुप नहीं बैठेगा।

पाकिस्तान टूटेगा या टिकेगा?

मुजफ्फर हुसैन

 

अब यह प्रश्न चर्चा में खूब रहता है कि क्या पाकिस्तान टिकेगा या टूटेगा? पाकिस्तान में जैसी परिस्थितियां बन रही हैं उनमें इस प्रश्न का उत्तर खोजना आसान हो गया है। अपने निर्माण के 24वें वर्ष में ही पाकिस्तान का पूर्वी भाग उससे स्वतंत्र होकर बंगलादेश बन गया। इसके बाद भी वहां निरंतर नए देशों की मांग होती रही है, जिसके आंदोलन आज भी कहीं न कहीं चल रहे हैं। सिंधु देश और ब्लूचिस्तान की मांग तो जिन्ना एवं लियाकत के समय में ही शुरू हो गई थी। शिया-सुन्नी झगड़े पाकिस्तान के भाग्य में पहले दिन से ही लिखे जा चुके हैं। वहां आए दिन जिस तरह से शियाओं का कत्लेआम हो रहा है उससे यह तय है कि इसकी परिणति आज नहीं तो कल एक और नए देश में होगी।

सोची–समझी योजना

पाकिस्तान बनने के समय वहां बड़ी संख्या में ईसाई और हिन्दू भी थे। इन दोनों समूहों को पाकिस्तान के संविधान में मान्यता मिली हुई है। प्रारम्भ से ही वहां की जनता और सरकार हिन्दुओं से घृणा करती रही है। इसके अनुभव आए दिन देखने को मिलते हैं। हिन्दुओं का लगातार मतान्तरण किया जा रहा है। साथ ही एक सोची-समझी योजना के तहत उनका कत्लेआम होता है। भयभीत हिन्दू इस मुसीबत में भारत की ओर देखते हैं। वे पलायन करते हैं और भारत में आकर बस जाने पर मजबूर हो जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि वहां के ईसाई, पारसी और अहमदिया कहां जाएं? दुनिया में असंख्य ईसाई देश हैं, लेकिन न तो वे पाकिस्तानी ईसाइयों को लेने के लिए तैयार हैं और न ही पाकिस्तान के ईसाई किसी अन्य देश में जाना चाहते हैं। उनका यह संकल्प है कि वे पाकिस्तान में ही मरेंगे और यहीं जिएंगे। पाकिस्तान में अब नियमितता से जनगणना नहीं होने के कारण वहां की आबादी के नवीनतम आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन चर्च की जानकारी के अनुसार पाकिस्तान में करीब डेढ़ करोड़ ईसाई हैं। वे अधिकतर पंजाब में रहते हैं। पिछले कुछ समय से उन्हें भयभीत करने का एक नया मार्ग खोज लिया गया है। झंगवी लश्कर से लेकर जमाते इस्लामी तक उन पर ईश निंदा का आरोप लगाते हैं। कहा जाता है कि वे कुरान का अपमान करते हैं। कुरान को न केवल फाड़ते और जलाते हैं, बल्कि अन्य गंदे तरीकों से भी अपमानित करते रहते हैं। पाकिस्तान बन जाने के बाद पाकिस्तान में रहने वाले गैर-मुस्लिमों को किस प्रकार परेशान किया जाए इसके लिए बाद में ईशनिंदा का कानून बनाकर गैर-मुस्लिम जनता का सफाया करने का एक सोचा-समझा रास्ता तैयार कर लिया गया। ईशनिंदा के नाम पर यदि किसी ने इस्लाम के बारे में कुछ बोला अथवा इस्लामी कानून और इस्लाम से जुड़ी हस्तियों के विरुद्ध कोई बात कही तो फिर इस कानून के तहत उसे मृत्यु दंड देने का प्रावधान शामिल कर लिया गया है। अब तक इस कानून के तहत 150 से अधिक ईसाइयों को फांसी पर लटका दिया गया है। महिलाओं और बच्चों को भी इससे वंचित नहीं रखा गया। इस पर पश्चिमी देश पाकिस्तान की कड़ी आलोचना भी करते हैं। अमरीका और ब्रिटेन ने ही नहीं एक बार वेटीकन के पोप ने भी पाकिस्तान को इस मामले में लताड़ा था। संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत काम करने वाले मानवाधिकार आयोग ने अपनी रपट में अनेक बार पाक सरकार और वहां के मजहबी संगठनों की कड़ी निंदा की है। लेकिन पाक सरकार और वहां के कट्टरवादी एक ही बात दोहराते हैं कि पाकिस्तान में इस्लाम के विरुद्ध बोलना, लिखना और सोचना जघन्य अपराध है, क्योंकि पाकिस्तान इस्लामी राष्ट्र है। इस मामले में हम कोई समझौता नहीं कर सकते हैं। पश्चिमी राष्ट्र पाकिस्तान सरकार को भारी आर्थिक सहायता करते हैं। वे अनेक बार लताड़ चुके हैं, लेकिन जुनूनी लोग एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करते हैं।

ईशनिंदा की बिजली

ऐसा लगता है कि ईशनिंदा का कानून केवल और केवल अल्पसंख्यकों के लिये ही बनाया गया है। ईसाइयों पर तो आए दिन ईशनिंदा की बिजली गिरती रहती है। पाकिस्तान में ईसाई समाज को अपमानित करने के लिए उनकी सफाई कर्मचारी के रूप में भर्ती की जाती है। पाकिस्तान में ईसाइयों के लिए दूसरा कोई काम है जल्लाद का। तारा मसीह की तीन पीढ़ियों से लेकर आज तक पाकिस्तान के 18 जल्लादों में से 13 को यह काम अनिवार्य रूप से करना पड़ा है। पाकिस्तान का गृह मंत्रालय स्पष्ट रूप से कहता है कि पाकिस्तान में रहना है तो मुसलमान बनकर रहो। यदि अपना मत-पंथ प्रिय है तो फिर जल्लाद का काम हर स्थिति में अनिवार्य रूप से करना ही होगा। जिस पर भी ईशनिंदा का आरोप लगता है उसके बचाव के लिए कोई भी वकील खड़ा नहीं होता है। यदि कोई वकील ऐसा करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है।

तीन महीने पूर्व एक अल्पवयस्क ईसाई लड़की को कुरान को अपमानित करने के कथित ईशनिंदा आरोप के तहत गिरफ्तार करने से जिस प्रकार तनाव का वातावरण बना है उससे स्पष्ट हो जाता है कि पाकिस्तान का ईसाई समाज कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। हमेशा के झंझटों से मुक्त होने के लिए अब पाकिस्तान के ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों ने संगठित होकर नए राज्य की मांग शुरू कर दी है। पाकिस्तान के यूनाइटेड क्रिश्चियन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष युनूस मसीह भट्टी ने मांग की है कि सरकार एक नए आयोग का गठन करे जिससे  कि अल्पसंख्यकों के लिए एक पृथक राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो सके। उनके अनुसार हर अल्पसंख्यक को समान अधिकार अन्य नागरिकों की तरह प्राप्त हों। इससे पाकिस्तान के हिन्दुओं में भी विश्वास पैदा होगा।

अलग राज्य बने

एक समय था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के रूप में सबसे अधिक और बड़ा वर्ग हिन्दुओं का था। दूसरे क्रमांक पर ईसाई थे। पारसियों की संख्या भी अच्छी थी। लेकिन आज तो मुस्लिम समाज में जो अहमदिया और शिया हैं उनकी भी संख्या घटती जा रही है। अहमदियों को तो भुट्टो के प्रधानमंत्रित्व काल में मुनीर कमीशन की रपट के तहत गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया गया। अहमदिया अब अपने आपको अल्पसंख्यक भी नहीं कह सकते, क्योंकि पाक संविधान में अब उनको कोई बुनियादी अधिकार नहीं है। रबवा (पंजाब) में रहने वाले अहमदियों का जीना हराम कर दिया गया है। उन्हें मस्जिद बनाने का भी अधिकार नहीं है। वे अपने मजहबी स्थल को मस्जिद का नाम नहीं दे सकते हैं। गैर-मुस्लिम घोषित कर दिये जाने के कारण वे अपने पासपोर्ट में भी मजहब के स्थान पर मुस्लिम नहीं लिख सकते हैं। पाकिस्तान में उनकी स्थिति द्वितीय स्तर के नागरिक से भी बदतर है। अहमदिया समाज पर पहले गोलियां चलती थीं। अब शिया भी निशाने पर आ गए हैं। पाकिस्तान में पांच करोड़ शिया होने का दावा किया जाता है। इन दिनों उनका कत्लेआम जारी है। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन उनके पीछे पड़े हैं। लश्करे झगवी और सिपाहे सहाबा के लोग मस्जिदों में जाकर चलती नमाज में शियाओं पर गोलियां चला कर उन्हें भून देते हैं। कुछ समय बाद शियाओं की स्थिति अहमदिया और ईसाइयों जैसी हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं है। किसी समय भारत के हिन्दू संगठनों ने पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए अलग सुरक्षित क्षेत्र की मांग की थी। लेकिन पाकिस्तान ने इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी। इसलिए अब समय आ गया है कि पाकिस्तान में जितने भी अल्पसंख्यक हैं उनके लिए एक अलग राज्य की स्थापना कर दी जाए ताकि अल्पसंख्यकों का नरसंहार रुक सके। पाठक इस बात को भूले नहीं होंगे कि तिमोर में अल्पसंख्यकों को अधिकार दिलाने के लिए पश्चिमी देशों ने युगोस्लाविया और इंडोनेशिया में हाहाकार मचा दिया था। लेकिन पाकिस्तान में न तो यह काम भारत करता है और न ही ईसाई-बहुल देश।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

PIB fact check: पाकिस्तान का भारत के हिमालय क्षेत्र में 3 IAF जेट क्रैश होने का दावा फर्जी

Gujarat Blackout

भारत-पाक के मध्य तनावपूर्ण स्थिति के बीच गुजरात के सीमावर्ती गांवों में ब्लैकआउट

S-400 difence System

पाकिस्तान का एस-400 को नष्ट करने का दावा फर्जी, जानें क्या है पूरा सच

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान: आर्थिक प्रगति और आतंकवाद के बीच का अंतर

कुसुम

सदैव बनी रहेगी कुसुम की ‘सुगंध’

#पाकिस्तान : अकड़ मांगे इलाज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

PIB fact check: पाकिस्तान का भारत के हिमालय क्षेत्र में 3 IAF जेट क्रैश होने का दावा फर्जी

Gujarat Blackout

भारत-पाक के मध्य तनावपूर्ण स्थिति के बीच गुजरात के सीमावर्ती गांवों में ब्लैकआउट

S-400 difence System

पाकिस्तान का एस-400 को नष्ट करने का दावा फर्जी, जानें क्या है पूरा सच

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान: आर्थिक प्रगति और आतंकवाद के बीच का अंतर

कुसुम

सदैव बनी रहेगी कुसुम की ‘सुगंध’

#पाकिस्तान : अकड़ मांगे इलाज

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय वायुसेना की महिला पायलट के पाकिस्तान में पकड़े जाने की बात झूठी, PIB फैक्ट चेक में खुलासा

भोपाल में लव जिहाद के विरोध में प्रदर्शन करतीं महिलाएं

लव जिहाद के विरुद्ध उतरीं हिंदू महिलाएं

CG Ghar Wapsi Sanatan Dharama

घर वापसी: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में 10 ईसाइयों ने अपनाया सनातन धर्म

Operation Sindoor Press briefing : ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies