चीन से सावधान रहे देश
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भुवनेश्वर में 'उतिष्ठत जाग्रत' कार्यक्रम में श्री मोहनराव भागवत ने चेताया
पंचानन अग्रवाल
'देश की सीमाएं असुरक्षित हैं। चीन भारत की घेराबंदी कर रहा है। वह भारत के पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। वह देश में सस्ता सामान भेजकर भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहता है। अब तो वह पानी को भी मोड़कर अपने देश में लेने की योजना बना रहा है। तिब्बत और कैलाश मानसरोवर पर तो उसने कब्जा जमा ही लिया है। भारत को चीन से सतत् सावधान रहना चाहिए।' उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 24 फरवरी को भुवनेश्वर (उड़ीसा) में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में रा.स्व.संघ द्वारा आयोजित 'उतिष्ठत जाग्रत' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री भागवत ने कहा कि देश के सामने अनेक समस्याएं और चुनौतियां हैं। देश की सुरक्षा एक बड़ा प्रश्न है। पाकिस्तान हमारे साथ खुलेआम दुश्मनी कर रहा है। छोटा सा देश होने के बाद भी वह हमारी संप्रभुता को चुनौती दे रहा है। वह हमारे सैनिकों के सिर काट लेता है और हम सिर्फ धमकाते रहते हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री भारत में आकर वह सब बात कहते हैं जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए। इसके बाद भी अन्य देशों द्वारा हमें बार-बार संयम रखने का पाठ पढ़ाया जाता है।
श्री भागवत ने कहा कि चीन विश्व में महाशक्ति बनना चाहता है इसलिए वह चाहता है कि भारत आगे न बढ़ पाए। वह भारत की घेराबंदी करने के साथ-साथ पड़ोसी देशों को भी प्रभावित कर रहा है। लेकिन इस विषय पर भारत की पहल मंद है। स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने व्यक्तिगत मोक्ष की चिंता न करते हुए सेवा का संदेश दिया था। श्री भागवत ने कहा कि राष्ट्र को परम वैभवशाली और विश्वगुरु बनाने के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा। संघ के हितैषी बनने से काम नहीं चलेगा, इसके लिए सबकी सक्रिय सहभागिता चाहिए। श्री भागवत के उद्बोधन से पूर्व गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने व्यायाम योग, सूर्य नमस्कार आदि का प्रदर्शन किया।
इससे पूर्व 21 फरवरी को भुवनेश्वर के रोटरी क्लब में आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री भागवत ने कहा कि साधारण व्यक्ति के मन में देशात्मबोध जाग्रत करना संघ का काम है। ईश्वर उसकी सहायता करता है जो अपने पुरुषार्थ के लिए कुछ करता है।
पंचानन अग्रवाल
चित्रकूट में 'कार्यकर्ता परिवार सम्मेलन' सम्पन्न
स्वामी विवेकानन्द सार्द्ध शती समारोह के अन्तर्गत गत 26 फरवरी को चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्प उद्यमिता विद्यापीठ में कार्यकर्ता परिवार सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन देवार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम में चित्रकूट प्रकल्प के सभी कार्यकर्ता परिवार सम्मिलित हुए। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक श्री मदनदास, संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अभय महाजन तथा सम्मेलन के संयोजक डा. अशोक पाण्डेय और श्रीमती सीमा पाण्डेय मंचासीन थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री अभय महाजन ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिन्तन को पूरा करने के लिए नानाजी देशमुख ने वर्ष 1968 में संस्थान का कार्य प्रारम्भ किया। स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि स्वामीजी ने देश में ही नहीं, अपितु विदेशों में भी लोगों को जागरूक किया। स्वामीजी के विचार आज भी समाज के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के सर्वांगीण विकास से ही संगठन का विकास होता है। हमें मन, शरीर, बुद्धि और आत्मा से आत्मीय भाव रखना होगा, तभी संगठन और क्षेत्र का विकास संभव है। इस अवसर पर संस्थान के पूर्व प्रधान सचिव श्री यादव राव, प्रसिद्ध उद्योपति श्री बसंत पण्डित, संस्थान के उप महाप्रबंधक श्री अमिताभ वशिष्ठ, प्रबन्ध समिति के सदस्य श्री सूर्यकांत जालान, गोण्डा प्रकल्प के निदेशक श्री रामकृष्ण तिवारी एवं संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक विशेष रूप से उपस्थित थे।
सम्मेलन के अन्य सत्र में डा. भरत पाठक ने नानाजी देशमुख को चित्रकूट लाने वाले संत स्वामी भगवानानन्द महाराज का स्मरण करते हुए कहा कि हम सब नानाजी के वृहद परिवार के अंग हैं। नानाजी का कहना था 'कार्यकर्ता के कार्य के बारे में यदि उसका परिवार नहीं जानेगा तो जो कार्य हम करना चाहते हैं, नहीं कर पाएंगे'। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चित्रकूट, गोण्डा, बीड, नागपुर, दिल्ली में प्रकल्पश: कार्यकर्ता परिवार सम्मेलन हुए
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