'श्री सत्यानंद महापीठ' को 27वां विवेकानंद सेवा सम्मान
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–डा. कृष्ण बिहारी मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार
'परिव्राजक के रूप में सारे देश का भ्रमण कर सभी स्तर के लोगों से सीधा सम्पर्क स्थापित करने के बाद स्वामी विवेकानंद ने कहा कि धर्म एवं अध्यात्म ही भारत की प्राण-नाड़ी है, यही इसका मूल स्वर है। रूढ़ियों के रूप में जमी धूल को झाड़कर इस पर दृढ़ रहने से ही भारत पुन: गौरव प्राप्त करेगा।' उक्त विचार वरिष्ठ साहित्यकार डा. कृष्ण बिहारी मिश्र ने गत 17 फरवरी को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में सम्पन्न हुए 27वें विवेकानंद सेवा सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में श्री सत्यानंद महापीठ को 27वें विवेकानंद सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। संस्था के अध्यक्ष स्वामी मृगानंद को सम्मान स्वरूप शॉल, नारियल, मानपत्र एवं 51 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया।
डा. मिश्र ने आगे कहा कि बहुत चिंता की बात है कि आज हमारा देश धर्म विमुख होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम स्वामीजी के साहित्य, विशेषकर उनके पत्रों का अध्ययन करें, इससे हमें अपने जीवन की सही दिशा मिल जाएगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूति (से.नि.) श्यामल कुमार सेन ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने पाश्चात्य देशों में भारत के प्रति अपार श्रद्धा जागृत की। श्री सत्यानंद महापीठ के अध्यक्ष स्वामी मृगानंद महाराज ने कहा कि स्वामीजी के आदर्शों से प्रेरित होकर ही संस्था दीन-सेवा, चिकित्सा, शिक्षा एवं संस्कृति उन्नयन का कार्य कर रही है।
पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष श्री जुगलकिशोेर जैथलिया ने स्वागत उद्बोधन में सम्मान की योजना पर प्रकाश डाला। समाजसेवी श्री शर्दूलसिंह जैन ने श्री सत्यानंद महापीठ के कार्यों एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापित किया पुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने तथा कार्यक्रम का संचालन मंत्री श्री महावीर प्रसाद बजाज ने किया। मंच पर श्री मोहनलाल पारीक, मां अर्चना पुरी, डा. आर.एस. मजूमदार भी आसीन थे। इस अवसर पर कोलकाता के साहित्यकार, समाजसेवी तथा गण्यमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। |
हरिद्वार में धूमधाम से मना 'वसंतोत्सव'
आत्मबल और आत्मविश्वास जगाता है वसंत
–डा. प्रणव पंड्या, प्रमुख, गायत्री परिवार
अ.भा.गायत्री परिवार के तत्वावधान में गत दिनों शांतिकुंज, हरिद्वार में 'वसंतोत्सव' का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुई। देव संस्कृति विश्वविद्यालय एवं गायत्री विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। शांतिकुंज की बहनों द्वारा प्रस्तुत वाद्यों की धुन ने उपस्थित गण्यमान्यजनों को खूब प्रभावित किया।
प्रात: 4 बजे गायत्री माता की आरती एवं ध्यान के पश्चात स्व. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा का संदेश वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात गायत्री परिवार के प्रमुख डा. प्रणव पण्ड्या एवं शांतिकुञ्ज की प्रमुख शैल दीदी ने 732 महिला-पुरुषों को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी। साथ ही 165 यज्ञोपवीत, पुंसवन, नामकरण, मुण्डन, विद्यारंभ संस्कार भी बड़ी संख्या में कराए गए।
15 भाषाओं की 81 पुस्तकें लोकार्पित
बहनों द्वारा संचालित 27 कुण्डीय यज्ञशाला में हजारों लोगों ने पर्यावरण संरक्षण, वसुधैव कुटुम्बकम की प्रार्थना के साथ यज्ञ में आहुतियां दीं। समाधि स्थल 'प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा' एवं 'अखण्ड दीप' के दर्शन व प्रणाम के लिए घंटों लम्बी कतार में लगकर श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था का परिचय दिया।
वसंतोत्सव में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि आत्मबल व आत्मविश्वास जगाने के पर्व का नाम वसंत है और ऐसे आशावादी लोगों पर ही भविष्य टिका है। बुद्ध, समर्थगुरु रामदास, शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद एवं श्रीराम शर्मा आचार्य जैसे आत्मबल के धनी लोगों ने समाज के विकास के लिए कई नए सूत्रों को जन्म दिया है। विविध घटनाक्रमों की चर्चा करते हुए उन्होंने भावी योजना- नारी सशक्तिकरण, नशा निवारण, युवा जागरण एवं सामूहिक साधना को तेज गति से चलाने का आह्वान किया। शैल दीदी ने कहा कि वसंत उल्लास, हर्ष का महापर्व है। वसंत व संत दोनों समाज को खुशहाली देने में अपना जीवन खपा देते हैं।
इस अवसर डा. प्रणव पण्ड्या एवं शैल दीदी ने रशियन, उर्दू, हिन्दी, बंगला, असमिया, नेपाली, पंजाबी, सिंधी, मलयालम, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, उड़िया, मराठी सहित 15 भाषाओं की 81 पुस्तकों एवं हिन्दी की वेबसाइट का लोकार्पण किया। यहां महाविद्यालय एवं विद्यालय स्तर पर आयोजित भाषण, वाद-विवाद, काव्य प्रतियोगिता में क्रमश: प्रथम आए अक्षिता झा, प्रणव तिवारी व प्रेरणा निर्मलकर को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद भटनागर ने किया। प्रतिनिधि
शिक्षा में हो नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का समावेश
–अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं झारखंड के विभिन्न इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों हजारीबाग (झारखंड) में 'तकनीकी शिक्षा में मानवीय मूल्यों के समावेश' विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी ने कहा कि तकनीकी शिक्षा में मानवीय मूल्यों का कोई स्थान नहीं है। इसमें मानवीय मूल्यों का समावेश किए जाने से देश को कई समस्याओं- भ्रष्टाचार, गरीबी आदि से छुटकारा मिल सकता है। तक्षशिला तथा नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों के आधार पर शिक्षा में मानवीय मूल्यों का समावेश करने से भारत एक बार पुन: विश्व में उठ खड़ा होगा। आज तकनीकी शिक्षा प्राप्त करते समय लोग अपना सारा ध्यान 'पैकेज' पर देते हैं और नैतिकता ताक पर चली जाती है। माता-पिता, समाज, देश महत्वविहिन हो जाते हैं। पैसे के पीछे का उन्माद आज पराकाष्ठा पर है। पूरा विश्व आज इस समस्या से पीड़ित है। इसका निदान एकमात्र यह है कि प्रारम्भ से ही शिक्षा में नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का समावेश किया जाए।
कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक प्रो. अरुण कुमार एवं अध्यक्षता कर रहे विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के पूर्व कुलपति डा. महेन्द्र प्रसाद सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र एवं प्राध्यापक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डा. विजय कुमार सिंह ने किया। |
दमोह में रा.स्व.संघ का पथ-संचलन
दिखी सामूहिकता और अनुशासन
'सामूहिकता में शक्ति है और अगर हम एकत्रित होंगे तो शक्तिशाली और विजयी भी होंगे क्योंकि सतयुग में ज्ञान शक्ति, त्रेतायुग में मंत्र शक्ति, द्वापर में युद्ध शक्ति और कलियुग में संगठन शक्ति है। अर्थात संगठन मजबूत होगा तो हमारा राष्ट्र मजबूत होगा'। उक्त विचार रा.स्व.संघ के महाकौशल प्रांत के सह प्रांत कार्यवाह श्री सुनील देव ने व्यक्त किए। वे गत दिनों दमोह (म.प्र.) में रा.स्व.संघ के एकत्रीकरण को संबोधित कर रहे थे। श्री देव के उद्बोधन से पूर्व स्वयंसेवकों ने पथ संचलन भी किया। पथ संचलन में सभी स्वयंसेवक अनुशासन में दिखे। साथ ही सभी की सामूहिकता भी दिखाई दी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
श्री देव ने जहां अनेक प्रश्नों एवं समाधानों को विस्तार से रखा, वहीं अनेक ज्वलंतकारी समस्याओं को रखते हुये उपस्थित जनों को चिंतन करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रोत्थान के लिए कार्य करने के साथ ही व्यक्ति निर्माण करने की दिशा में लगे रहने वाला विश्व का सबसे विशाल और एकमात्र स्वयंसेवी संगठन लगातार पिछले आठ दशक से भी अधिक समय से कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समय-समय पर विविध प्रकार के आयोजनों के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षित करने के साथ ही हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य निर्बाध गति से कर रहा है। b÷É. लक्ष्मीनारायण वैष्णव
सिख समाज का प्रतिनिधिमंडल मिला सुषमा स्वराज से
सिख समाज का एक प्रतिनिधिमंडल गत दिनों नई दिल्ली में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने श्रीमती स्वराज को एक ज्ञापन सौंपकर मांग की कि वे फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रेंक्विज होलांडे से भेंट के दौरान फ्रांस के स्कूलों में पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध के मामले में सिख समुदाय की भावनाओं से उन्हें अवगत कराएं। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाजपा दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष सरदार आर.पी. सिंह ने किया। प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री कुलवंत सिंह बाठ, कुलदीप सिंह, करतार सिंह दुग्गल, इम्प्रीत सिंह बख्शी, कवंलजीत सिंह, हरबख्शीष सिंह, अवतार सिंह, सुखविन्दर कौर, हरतीरथ सिंह और डी.एस. गुजराल प्रमुख रूप से थे। प्रतिनिधि
सहारनपुर में भव्य शोभायात्रा
स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में गत दिनों सहारनपुर (उ.प्र.) में स्वामी विवेकानंद सार्द्ध शती समारोह समिति द्वारा विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्र सेविका समिति, हिन्दू जागरण मंच आदि अनेक संगठनों व उनके पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
शोभायात्रा में भारतमाता, स्वतंत्रता सेनानी एवं देवी-देवताओं की सुंदर झांकियां थीं। स्वामी विवेकानंद के जीवन को दर्शाने वाली झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया। शोभायात्रा का स्थान-स्थान पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया।
शोेभायात्रा में सबसे आगे चल रहे बालाजी संकीर्तन मंडल द्वारा गाए जा रहे देशभक्तिपूर्ण गीत व भजन वातावरण को राष्ट्रवाद की भावना से परिपूर्ण कर रहे थे। प्रतिनिधि
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