संयुक्त राष्ट्र और अमरीकी चेतावनी को धता बताते हुए
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संयुक्त राष्ट्र और अमरीकी चेतावनी को धता बताते हुए
उत्तर कोरिया ने किया परमाणु परीक्षण
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बढ़ी चिंताएं
12 फरवरी को उत्तर कोरिया ने परमाणु बम की जांच करने की अपनी अक्खड़ धमकी पर अमल करते हुए भूमिगत परीक्षण कर ही लिया। उसके इस धमाके से जहां तमाम जांच एजेंसियों ने 4.9 से 5.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया वहीं दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञों के माथों पर शिकन की रेखाएं भी उभार दीं। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् ने उत्तर कोरिया की इस कार्रवाई पर आगे कड़े कदम उठाने की घोषणा की। परिषद् ने इसे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। संयुक्त राष्ट्र ने बहुत पहले ही उत्तर कोरिया को चेताया था कि वह अपने परमाणु कार्यक्रमों को बंद करे।
उधर परीक्षण के बाद अपनी शेखी बघारते हुए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने बयान जारी करवाया कि परीक्षण पहले से ज्यादा विस्फोटक क्षमता वाला रहा, उसने इसे अपने पर लगाए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का माकूल जवाब बताया। उत्तर कोरिया ने अमरीका को ठेंगा दिखाने की गरज से भी यह धमाका किया है। और इसीलिए धमाके की खबर पाकर राष्ट्रपति ओबामा ने उत्तर कोरिया को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने इस कदम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से आगे की त्वरित कार्रवाई का आह्वान किया। अमरीकी विदेश मंत्री जान कैरी ने जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों से फोन पर मंत्रणा भी की। उधर उत्तर कोरिया के पड़ोसी चीन ने उसे परमाणु परीक्षण न करने की चेतावनी दी हुई थी। अब चीन भी सकते में है, क्योंकि धमाके से होने वाला प्रदूषण उसके नागरिकों को चुभने लगा है। लेकिन उत्तर कोरिया के खिलाफ यदि कोई अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई हुई तो चीन उसमें शामिल होगा ही, यह तय नहीं है।
दिसम्बर 2012 में उत्तर कोरिया ने जब अपनी लंबी दूरी की मिसाइल का परीक्षण किया था तब से अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसे सावधान करता आ रहा था, लेकिन अब इस परमाणु धमाके से संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया सहित 'नाटो' और ज्यादा सावधान हो गए हैं।
उतावला हो रहा है ईरान
ईरान अपनी परमाणु ताकत में बढ़ोत्तरी करने को उतावला दिख रहा है। 'जेरुसलम पोस्ट' की मानें तो इसने सेंट्रीफ्यूज मशीनों में इस्तेमाल होने वालीं 100,000 चुम्बकों की खरीद के आदेश दिए हुए हैं। यह खुलासा इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी की हाल में जारी रपट से हुआ है। एक यूरोपीय कूटनीतिक ने ईरान के इस ओर उठने वाले हर कदम को हालात को और खतरनाक बनाने वाला बताया है। वाशिंगटन स्थित उक्त इंस्टीट्यूट ने खरीद आदेश हासिल करके उसका अध्ययन किया है। इसके अनुसार, ईरान ने 2011 के आखिर में चीन से ये महत्वपूर्ण चुंबक खरीदने की कोशिश की थी, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने ईरान को ऐसे किसी भी सामान के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इंस्टीट्यूट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ईरान की तरफ चौकन्नी निगाहें रखने को कहा है, खासकर उन कंपनियों की तरफ जिन्होंने खरीद के आदेश चीन भेजे थे। संयुक्त राष्ट्र से इन दो कंपनियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
भारतीय दूतावास में नाशीद
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद का मामला गरमाता जा रहा है। नाशीद ने पिछले दिनों राजधानी माले स्थित भारतीय दूतावास में शरण ले ली, क्योंकि एक स्थानीय अदालत ने उन्हें गिरफ्तार करने के वारंट जारी कर दिए थे। गिरफ्तारी से बचने के लिए नाशीद भारतीय दूतावास में शरण लेने पहुंच गए थे। दूतावास के एक अधिकारी ने 14 फरवरी को कहा कि नाशीद जब चाहें दूतावास छोड़कर जा सकते हैं, क्योंकि उनकी गिरफ्तारी का वारंट 13 फरवरी की रात खत्म हो चुका था। लेकिन नाशीद तब तक वहां से निकलने को तैयार नहीं हैं जब तक कि वहां का प्रशासन उन्हें यह गारंटी नहीं देता कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और सितम्बर, 2013 में होने वाले चुनावों के लिए प्रचार करने दिया जाएगा।
मालदीव की डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता नाशीद पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है जिसकी सुनवाई के लिए उन्हें 10 फरवरी को अदालत में पेश होना था। उनके पेश न होने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था। नाशीद को करीब एक साल हिंसक प्रदर्शनों और पुलिस तथा सुरक्षा बलों के विद्रोह के चलते कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। नाशीद चाहते हैं कि भारत उस 330,000 सुन्नी मुस्लिमों के देश में राजनीतिक अस्थिरता खत्म करने में मदद करे।
भारत को इस संदर्भ में बहुत समझदारी से कदम उठाने होंगे। क्योंकि मालदीव में कट्टरवादी मजहबी ताकतें सर चढ़कर बोल रही हैं। चीन और पाकिस्तान की उस पर निगाहें जमी हैं।
कराची से बैरंग गुलजार
पिछले दिनों भारतीय फिल्म जगत के जाने-माने फिल्मकार, गीतकार गुलजार पाकिस्तान गए थे। वे वहां झेलम के पास अपने जन्मस्थान दीना गए जहां, बताते हैं, वे बेहद भावुक हो गए थे। 70 साल में पहली दफा जो गए थे वे वहां। उन्हें वहां कराची साहित्य समारोह में भी भाग लेना था, ऐसा समारोह के आयोजक सैयद अहमद शाह का कहना था। लेकिन समारोह शुरू होने से दो दिन पहले ही उनका हिन्दुस्थान लौट जाना सबको हैरत में डाल गया। पाकिस्तानी मीडिया ने उछाल दिया कि भारतीय दूतावास ने उन्हें लौट जाने की सलाह दी थी, जिसे दूतावास के अधिकारियों ने सिरे से खारिज कर दिया। एक पाकिस्तानी फिल्मकार ने कहा कि वे 'सुरक्षा कारणों' से लौट गए।
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