|
संगम में चल रहे विश्व के सबसे बड़े हिन्दू समागम कुंभ में आयोजित विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल बैठक में देश के कोने कोने से आये पूज्य साधु-संतों, आचार्यों, धर्माचार्यों, महामंडलेश्वरों सहित विहिप पदाधिकारियों ने श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के अपने संकल्प को दोहराते हुए समस्त राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे इस पुनीत कार्य में सहयोग करें अन्यथा संतों की अगुआयी में हिन्दू समाज प्रचंड आंदोलन चलाने को बाध्य होगा।
गत 6 फरवरी को संगम स्थल पर रसिया बाबा नगर में आयोजित इस बैठक में संतों ने हिन्दू समाज के समक्ष खड़ीं तमाम चुनौतियों पर चिंतन किया। उन्होंने श्रीराममंदिर निर्माण को सर्वोपरि बताते हुए श्रीरामजन्मभूमि का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस प्रकार त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने वन, गिरि, कंदराओं और ग्राम-ग्राम यात्रा करते हुए प्रबल जनजागरण किया था, उसी प्रकार आज भी श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए सम्पूर्ण भारत के गांवों और नगरों एवं वन-पर्वतों में एक महाजागरण एवं महा अनुष्ठान की आवश्यकता है। इस निमित्त सम्पूर्ण विश्व में फैले रामभक्त हिन्दू समाज का आह्वान किया गया है कि प्रत्येक हिन्दू परिवार वर्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2070 (11 अप्रैल, 2013) से अक्षय तृतीया (13 मई 2013) तक विजय मंत्र 'श्रीराम जय राम जय जय राम' का प्रतिदिन कम से कम 11 माला जप करके आध्यात्मिक बल निर्माण करे। संतों का मानना है कि यह आध्यात्मिक शक्ति ही मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगी।
प्रस्ताव के माध्यम से केन्द्र सरकार को स्मरण कराया गया है कि 1994 में सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में शपथपूर्वक कहा था कि यदि यह सिद्ध होता है कि विवादित स्थल पर 1528 ई.के पूर्व कोई हिन्दू उपासना स्थल अथवा भवन था तो सरकार हिन्दू भावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी। उसी प्रकार तत्कालीन मुस्लिम नेतृत्व ने केन्द्र सरकार को वचन दिया था कि ऐसा सिद्ध हो जाने पर मुस्लिम समाज स्वेच्छा से यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप देगा। 30 सितम्बर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पूर्ण पीठ द्वारा घोषित निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि वह स्थान श्रीरामजन्मभूमि है जहां रामलला विराजमान हैं तथा 1528 के पूर्व उस स्थान पर एक हिन्दू मंदिर था जिसे तोड़कर उसी के मलबे से तीन गुम्बदों वाला वह ढांचा निर्माण किया गया था। अत: अब केन्द्र सरकार और मुस्लिम समाज अपने वचनों का पालन करे।
प्रस्ताव में संतों ने यह भी स्पष्ट किया कि भगवान का कपड़े का घर अब चुभता है, उसके स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण हेतु हिन्दू समाज आतुर है, अत: सरकार मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर कर संसद के अगले सत्र में वह स्थान हिन्दुओं को सौंप दे।
श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण कौन करेगा? इसका उत्तर भी प्रस्ताव में दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि निर्धारित प्रारूप के अनुसार मंदिर निर्माण श्रीरामजन्मभूमि न्यास द्वारा ही कराया जाएगा। इसमें तथाकथित सेकुलरवादियों को चेताया गया है कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में आक्रांता बाबर के नाम से किसी प्रकार का स्मारक अथवा कोई इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र नहीं बनने दिया जाएगा।
केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल ने एक बार फिर सभी राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे श्रीरामजन्भूमि मंदिर निर्माण हेतु संसद में सहयोग करें अन्यथा संतों के नेतृत्व में हिन्दू समाज व्यापक जनांदोलन के लिए बाध्य होगा।
केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल बैठक की अध्यक्षता गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने की जबकि उपस्थित प्रमुख संतों में स्वामी चिन्मयानंद, योगी आदित्य नाथ (सांसद), डा.रामविलास वेदांती, स्वामी दिव्यानंद, महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद जी, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी, अखिलेश्वरानंद जी, जगद्गुरु नरेन्द्रानंद जी, महंत नृत्यगोपाल दास जी, श्री गोपालस्वामी, जगद्गुरु मध्वाचार्य विश्वेशतीर्थ जी और सुरेश दास जी सम्मिलित थे। बैठक में विहिप संरक्षक श्री अशोक सिंहल, कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया व महामंत्री श्री चम्पतराय सहित अन्य पदाधिकारियों के अतिरिक्त भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सत्ता को बाध्य करे हिन्दू शक्ति
–मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
विहिप के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण के प्रस्ताव पर कांचि कामकोटि पीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी, ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत की गरिमामयी उपस्थिति में धर्म संसद ने अपनी सहमति जता दी।
7 फरवरी को ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी के शिविर में देश के कोने-कोने से आये हजारों साधु-संतों, धर्माचार्यों की उपस्थिति में सम्पन्न हुयी धर्म संसद में श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण की गूंज रही। इस अवसर पर पूज्य सरसंघचालक ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज देश में गोहत्या, मतान्तरण और श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए आन्दोलन करना पड़ रहा है। हिन्दुओं को उनके विधिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, उनके संबंध में तमाम प्रकार के अनर्गल प्रलाप किये जा रहे हैं, यह उचित नहीं है। आज हिन्दू समाज अपने छोटे-छाटे कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर होता है, अब हमें इसका त्याग करना होगा। हिन्दू समाज को अब जाग्रत होना होगा, संगठित होना होगा, अपनी शक्ति एकत्र करनी होगी, तभी वह सब कुछ प्राप्त कर सकेगा।
श्री भागवत ने कहा कि समाज को जाग्रत करने के लिए संतों ने जिस विजय मंत्र के जाप का निर्णय लिया है, उसको अपेक्षा से अधिक सफल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश अब जाग्रत हो रहा है। लोग गर्व से कहते हैं कि हम हिन्दू हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की ऐसी शक्ति उभरकर आये, ऐसा जनजागरण हो कि जो लोग कुर्सी पर बैठें हैं वे श्रीराम मन्दिर बनायें अथवा जो आने वाले समय में बैठें वे मन्दिर बनायें। उन्होंने संतों को आश्वस्त किया कि रा.स्व.संघ प्रस्ताव का सम्पूर्ण सहयोग करेगा।
टिप्पणियाँ