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पश्चिम बंगाल में माओवादियों के साथ प्रतिबंधित इस्लामी छात्र संगठन सिमी (स्टूडेन्ट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया) की साठगांठ की खबरें सामने आ रही हैं। यह खुलासा किया है राज्य पुलिस के महानिदेशक नपराजित मुखर्जी ने, जब वे दिल्ली में राज्यों के पुलिस प्रमुखों की बैठक में शामिल हुए। पश्चिम बंगाल के पुलिस विभाग ने अनेक तथ्यों, प्रमाणों की गहन छानबीन के बाद इस साठगांठ के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की रणनीति होने का संदेह जताया है।
उल्लेखनीय है कि भारत की संसद और अमरीका के विश्व व्यापार केन्द्र पर हमले के बाद अनेक भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सिमी और अल कायदा की मिलीभगत को उजागर किया था। इस कारण भारत में सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। तुष्टिकरण की राजनीति के चलते एक-दो बार प्रतिबंध वापस लेने पर विचार भी किया गया लेकिन खुफिया विभाग ने पाया कि सिमी के कुछ नेताओं, कैडरों को लगातार आईएसआई से सहायता मिल रही है। इनकी गतिविधियां इस देश को नुकसान पहुंचाना तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना चाहती है। देश के अन्य राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल पुलिस व खुफिया विभाग ने पाया कि इंडियन मुजाहिद्दीन नामक नए आतंकी गुट के साथ प्रतिबंधित सिमी के लोगों का निकट संबंध है। ऐसी स्थिति में पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक ने केन्द्र सरकार को जो रपट भेजी उसमें स्थिति को चिंताजनक बताया है। माओवादियों के साथ अगर पाकिस्तान प्रेरित सिमी के कैडरों ने हाथ मिला लिया तो इस देश में नये सिरे से अराजकता पैदा हो सकती है। यह इसलिए भी अधिक खतरनाक है कि बंगलादेश के साथ भारत की लम्बी खुली सीमा है। इसके सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में कट्टरवादी व जिहादी ताकतें विविध तरीकों से आम मुसलमानों को उकसा रही हैं। जाली नोटों के कारोबार का भी यह मुख्य अड्डा बन चुका है। इसके द्वारा बाहरी ताकतें भारतीय अर्थ व्यवस्था को पटरी से उतारने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। ऐसे में माओवादियों और सिमी का एक साथ आना देश की सुरक्षा के लिए घातक होगा।
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