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महाराष्ट्र विधानसभा के नागपुर सत्र के दौरान भाजपा द्वारा आयोजित किसानों की विराट रैली में जिन मांगों को पुरजोर ढंग से उठाया गया उनमें राज्य की सिंचाई परियोजनाओं में व्याप्त अनियमितताओं तथा भ्रष्टाचार के अलावा भ्रष्टाचारी मंत्री दोबारा शपथ दिलाने का मुद्दा प्रमुख था। दूसरी ओर इन्हीं मुद्दों पर सदन के भीतर नेता प्रतिपक्ष एकनाथ खडसे तथा विनोद तावडे के नेतृत्व में भाजपा के साथ ही शिवसेना तथा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सदस्यों ने सरकार को आड़े हाथों लिया। विधानसभा के सामने भाजपा द्वारा आयोजित विशाल किसान रैली को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में सदन के उप नेता गोपीनाथ मुंडे, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार तथा राज्य विधानमंडल में नेता प्रतिपक्ष एकनाथ खडसे ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
भाजपा के विधायक देवेन्द्र फडणवीस तथा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष बबनराव लोणीकर ने राज्य के पूर्व सिंचाई मंत्री अजित पंवार तथा मौजूदा मंत्री सुनील तटकरे के भ्रष्टाचार को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। परिणामस्वरूप मुम्बई उच्च न्यायालय ने मराठवाड़ा संभाग से संबद्ध सिंचाई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार पर संज्ञान लेते हुए सिंचाई विभाग के 26 अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। इनमें से अधिकांश मामले गोदावरी सिंचाई परियोजना से संबद्ध हैं। यह परियोजना विशेष रूप से मराठवाड़ा संभाग के लिये बनायी गयी थी। स्मरण रहे कि राज्य का मराठवाड़ा संभाग वह क्षेत्र है जो कि आम तौर पर सूखाग्रस्त रहता है। इस साल तो हालत इतने बिगड़ गये हैं कि बीड़, उस्मानाबाद, नांदेड़, लातूर आदि जिलों में पेयजल की समस्या अभी से शुरू हो गयी है। इस कारण क्षेत्र की जनता में आक्रोश एवं असंतोष पनप रहा है। बबनराव लोणीकर मराठवाड़ा संभाग के जालना क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। यह इलाका पहले से ही सिंचाई परियोजनाओं के मामलों में पिछड़ा हुआ है। इस कारण जन प्रतिनिधि बनते ही लोणीकर ने सिंचाई घोटाले को उजागर करने की ठान रखी है।
औरंगाबाद के जवाहर नगर पुलिस थाने में दर्ज अपनी रपट में बबनराव ने राज्य, खासकर मराठवाड़ा संभाग की सिंचाई परियोजनाओं से संबद्ध भ्रष्टाचार का पूरी तरह से भंडाफोड़ कर दिया। उनके द्वारा दायर प्राथमिकी में इस बात पर खास तौर पर बल दिया गया कि क्षेत्र के 11 सिंचाई परियोजनाओं को 2007 में जब शासन द्वारा मंजूरी दी गई थी तब प्रत्येक परियोजना का औसतन खर्च 20 करोड़ रुपए था, जो कि अब 200 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुका है। परियोजनाओं की राशि में दस गुना से भी अधिक वृद्धि होने के बावजूद अधिकांश परियोजनाएं आधी-अधूरी हैं। बबनराव लोणीकर ने आरोप लगाया है कि यह ठेकेदारों, प्रशासनिक अधिकारियों तथा मंत्रियों की मिलीभगत का ही नतीजा है, जिसका खामियाजा राज्य की सामान्य जनता तथा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बबनराव ने सन् 2008 में ही सिंचाई परियोजनाओं से संबद्ध लापरवाही तथा भ्रष्टाचार का मामला राज्य विधानसभा में उठाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन सिंचाई मंत्री अजित पंवार ने जांच हेतु मामला राज्य के अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव एम.के. कुलकर्णी को सौंपा। इस जांच के बाद जो रपट दी गयी उसमें राज्य की सिंचाई परियोजनाओं में हुए भ्रष्टाचार की पुष्टि करते हुए राज्य सरकार को कुछ सलाह भी दी गई थी, पर राज्य सरकार ने उस पर अमल करना तो दूर, सारे मामले को ही दबाये रखने की चेष्टा की।
जन दबाव के चलते अजित पंवार को इस्तीफा देना पड़ा। फिर उन्हें राकांपा के दबाव और राजनीतिक मजबूरी के चलते मंत्रिमंडल में दोबारा उपमुख्यमंत्री के तौर पर शामिल किये जाने पर भी सिंचाई मंत्रालय नहीं मिला। इससे बौखलाये अजित पंवार ने उनके जमाने से लेकर अब तक राज्य की सिंचाई परियोजनाओं में हुए भ्रष्टाचार को प्रशासनिक अधिकारियों तथा परियोजनाओं से संबद्ध ठेकेदारों की मिलीभगत कहा है। जबकि प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता माधव भंडारी ने इस संबंद्ध में राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित 'श्वेत पत्रिका' को भ्रष्टाचार को ढांकने वाली 'काली पत्रिका' करार करते हुए अजित पंवार को ही भ्रष्टाचार का मुख्य कर्ताधर्ता बताया। भाजपा के अलावा शिवसेना तथा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विधायकों ने तो राज्य विधानसभा के सामने 'श्वेत-पत्रिका' को सार्वजनिक तौर पर जलाकर उसकी कालिख सत्ताधारी गठबंधन के चेहरे पर मल दी है।द
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