पोलियो दवा पिलाओ
|
पोलियो दवा पिलाओ
तालिबानी गोली खाओ
…उधर कादिर की तान
अपनी भूलों को भूलो, बिखर के रह जाओगे
आलोक गोस्वामी
तालिबानियों को किसी की जिन्दगी ही रास नहीं आती तो 'दो बूंद जिन्दगी की' कैसे रास आ सकती हैं। यही वजह थी कि 18 दिसम्बर को तालिबानियों ने पाकिस्तान के कराची शहर में चार और पेशावर में एक महिला स्वास्थ्यकर्मी को गोलियों से भून डाला। उन महिलाओं का कसूर यह था कि वे उस दिन बच्चों को 'दो बूंद जिन्दगी की' यानी पोलियो की खुराक पिलाने गई थीं। इस हत्याकांड से पाकिस्तानी अवाम में हड़कम्प मचा ही हुआ था कि 19 दिसम्बर को खैबर पख्तूनवाला में भी एक महिला स्वास्थ्यकर्मी और पोलियो अभियान में मदद कर रही एक छात्रा को गोली मार दी गई। तालिबानियों का यह हमला सुनियोजित था, क्योंकि कराची के तीन इलाकों में लगभग एक साथ, एक जैसे हथियारों से हत्याकाण्ड को अंजाम दिया गया था। दो अन्य सहयोगी महिलाएं गंभीर रूप से घायल हुईं। हमले के बाद सिंध सूबे में पोलिया दवा पिलाने का अभियान रोक दिया गया है। हमले पर टिप्पणी करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन और 'यूनीसेफ' प्रमुखों ने स्वास्थ्यकर्मियों की हत्या की भर्त्सना की है। मुल्क के स्वास्थ्यकर्मियों ने खुद को पूरी सुरक्षा दिए जाने तक अभियान में भाग न लेने की कसमें खा ली हैं। हालांकि लाहौर में अगले दिन 6000 महिला स्वास्थ्यकर्मियों को 3000 हथियारबंद पुलिस जवानों के साथ फिर से दवा पिलाने भेजा गया था। इस उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान के कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक डा. अब्दुल कादिर खान का वह बयान खासी दिलचस्पी जगा गया कि पाकिस्तान आज 1971 से भी बदतर हालात में है। पाकिस्तान फिर से टुकड़ों में बिखर जाएगा।
कादिर खान का कहना है कि मुल्क में तमाम तरह की सामाजिक बुराइयां घर कर चुकी हैं। जल्दी कदम नहीं उठाए गए तो यह बिखर कर रह जाएगा। सबसे पहले विदेशी युद्ध से खुद को अलग करके अपना घर संभालने की जरूरत है। खान ने नसीहत की ये बातें एक अखबार के लिए लिखे अपने लेख- '1971 की घटनाएं' में बताई हैं। 1971 का जिक्र खान ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में किया है, जिसके बाद बंगलादेश का जन्म हुआ था। वे आगे लिखते हैं- 'बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हम अपनी पुरानी त्रासद भूलों से कुछ नहीं सीखे। उस त्रासदी ('71 में पाकिस्तान के टुकड़े) के पीछे की वजहों को लाखों पाकिस्तानी समझते हैं, पर हमारे शासक और सत्ता प्रतिष्ठान इनसे अनजान हैं। खान का कहना है कि पाकिस्तान में आज के हालात भी 1971 से ज्यादा अलग नहीं हैं।
खान के इस लेख से हुकूमत में बैठे नेताओं में अफरा-तफरी है और जनता में बहसों के दौर चल निकले हैं।
बंगलादेश में गूंजी मांग
इस्लामी पार्टियों पर कसो लगाम
बंगलादेश में मुस्लिमों की बहुलता है। इस्लामी पार्टियों का वहां रौब-दाब चलता है। सरकार हो या सरकारी महकमे, जमाते इस्लामी जैसी पार्टियों की धमक गूंजती है। खालिदा जिया की बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी के गठबंधन में जमाते इस्लामी खासा दखल रखती है। दबंगई का आलम यह है कि वहां अल्पसंख्यकों, खासकर हिन्दुओं को फूटी आंख न देख सकने वाली जमाते इस्लामी की शह पर मजहबी उन्मादी तत्व हिन्दुओं को सताने के लिए किसी भी हद तक जाकर मनमानी करते हैं। लेकिन हालात इतने बदतर हो चले हैं कि दूसरी इस्लामिक पार्टियों ने भी अपनी धौंस-पट्टी जमाने की कोशिशें करनी शुरू कर दीं। होते-होते बात यहां तक आ गई कि दो दर्जन इस्लामिक पार्टियों ने मिलकर आवाज उठानी शुरू कर दी कि मुल्क में शरिया यानी इस्लामिक कानून लागू होना चाहिए। जब हद ही होने लगी तो वहां इसका विरोध मुखर हुआ। इसी के चलते अभी 18 दिसम्बर को पूरे मुल्क में आम हड़ताल करके मांग की गई कि सियासत में दखल देने वाली तमाम इस्लामिक पार्टियों पर प्रतिबंध लगाया जाए। हड़ताल इतनी व्यापक और सफल थी कि राजधानी ढाका में सभी स्कूल, बाजार और ज्यादातर दफ्तर बंद रहे। सड़क पर गाड़ियों की आवाजाही भी कमोबेश सीमित थी। इससे यह साफ हो गया कि वहां लोग जमाते इस्लामी सरीखी कट्टर इस्लामी पार्टियों की मनमानी के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे हैं।
चीन ने धरे 'प्रलय' के दीवाने
चीन में पिछले कुछ दिनों से दुनिया में 'प्रलय' आने की अफवाह उड़ाने में जुटे 'आलमाइटी गॉड क्रिश्चियन कल्ट' के लोगों की बड़े पैमाने पर धरपकड़ की गई। 100 के आस पास धरे गए 'प्रलय' के इन दीवानों ने सड़कों पर भोंपुओं से 'प्रलय आ रही है', '21 दिसम्बर को दुनिया खत्म' जैसी बातें बोलकर और पर्चे बांटकर लोगों को झकझोर रखा था। दरअसल, इस गुट के लोगों ने प्राचीन माया सभ्यता के कैलेण्डर की भविष्यवाणी को आधार बनाकर अफवाह उड़ाना शुरू कर दिया कि 21 दिसम्बर से तीन दिन तक सूरज नहीं चमकेगा, बिजली काम करना बंद कर देगी, अंधेरा छा जाएगा, वगैरह-वगैरह। चीन में इस गुट के लोगों ने साथ में यह भी कहना शुरू कर दिया था कि '21 दिसम्बर को सब खत्म हो जाएंगे, बचेंगे तो बस आलमाइटी गॉड गुट के सदस्य, इसलिए इस गुट से अभी जुड़ो।' चीन ने फौरन कड़े कदम उठाए और 'आलमाइटी गॉड' वालों को धरना शुरू कर दिया। ऐसे कुछेक अफवाही तत्व पड़ोसी मंगोलिया में भी धरे गए।
अमोल की अमोल भेंट!
…जाते जाते अंगदान
दिल्ली निवासी 22 साल के अमोल जुनेजा पिछले दिनों सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। माता-पिता की तीन संतानों में सबसे छोटे अमोल के प्राण बचाने को परिवार के लोग जो कर सकते थे वह किया, डाक्टरों ने भी भरसक प्रयास किया। लेकिन डाक्टरों ने हारकर जवाब दे दिया कि अमोल दिमागी रूप से अब इस दुनिया में नहीं रहा, उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। अमोल के पिता मदनमोहन जुनेजा ने सुना था कि इस हालत में अगर अंग निकालकर सहेज लिए जाएं तो किसी जरूरतमंद में रोपे जा सकते हैं। अमोल की मां, श्रीमती उमा को बहुत समझाया गया और अंतत: वे यह कहते हुए राजी हुईं कि अमोल को दूसरे लोगों में जीते देखेंगी। 'एम्स' के डाक्टर आए और रातभर चली शल्य क्रिया में अमोल की आंखें, गुर्दे, जिगर, दिल के दो वाल्व, हड्िडयां और ऊतकों सहित 32 अंग निकालकर सहेज लिए गए। अब वे अंग जरूरतमंदों में प्रत्यारोपित किए जा सकेंगे।
टिप्पणियाँ