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उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर कभी लाल झंडे (कम्युनिस्टों) का बड़ा प्रभाव क्षेत्र माना जाता था। विशेष रूप से सूती कपड़े की मिलों की बहुलता वाले इस शहर में कभी नारा लगता था 'चाहे जो मजबूरी हो, हमारी मांगें पूरी हों'। समय बदला, पूरे विश्व और देश के साथ ही कानपुर से भी साम्यवाद की विदाई हो गई। पिछले दो दशक में बदले राजनीतिक, सामाजिक वातावरण का ही असर रहा कि 'परिवर्तन' नामक एक स्थानीय संस्था ने जब सामूहिक राष्ट्रगान का आह्वान किया तो विख्यात ग्रीन पार्क स्टेडियम में एक लाख से अधिक लोगों का जमावड़ा हो गया- राष्ट्रगान 'जन गण मन' गाने के लिए।
दरअसल सर्वाधिक संख्या में सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाने का रिकार्ड पहले भी भारत के नाम था, पर कुछ साल पहले पाकिस्तान ने इस रिकार्ड को तोड़ दिया। वहां एक साथ 42 हजार लोगों ने सामूहिक रूप से 'कौमी तराना' गाया। तभी से पाकिस्तान का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल था। भारत भी कहां पीछे रहने वाला था, लेकिन पहल की कानपुर की संस्था 'परिवर्तन' ने। इसके संस्थापक सदस्य संदीप जैन बताते हैं कि हमारी संस्था मुख्य रूप से कानपुर को साफ-सुथरा और हरा-भरा बनाने का आह्वान करती है। हमने खुद भी शहर को साफ-सुथरा रखने का काम शुरू किया है। इस संस्था से शहर के कई प्रतिष्ठित और पढ़े-लिखे लोग जुड़े हैं। संस्था ने कुछ समय पहले सामूहिक राष्ट्रगान का आह्वान किया था। तारीख तय की थी नौ दिसंबर, दिन रविवार। स्थान था शहर का अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान-ग्रीन पार्क। कानपुर के लोगों का उत्साह तो देखिए, सामूहिक राष्ट्रगान का समय रखा गया था प्रात: 10.30 बजे। लेकिन सुबह 8 बजे से ही ग्रीन पार्क की ओर बढ़ रहा राष्ट्रभक्तों का समूह ऐसा उमड़ा कि 10 बजने से पहले ही पूरा पार्क ठसाठस भर गया। एक बार ऐसा लगा कि कानपुर की चारों दिशाओं की राह ग्रीन पार्क की ओर ही जा रही है। बच्चे, बूढ़े, नौजवान और विद्यालयों के छात्र-छात्राएं- कोई भी पीछे नहीं रहा। पार्क के बाहर सड़कों पर भी भीड़ इकट्ठी हो गई। भीड़ के उत्साह के आगे नियत समय की घोषणा में परिवर्तन करते हुए आयोजकों को राष्ट्रगान 'जन गण मन अधिनायक जय हे…
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