भाषण की दुकान
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विजय कुमार
कहते हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। शर्मा जी ने जब से अवकाश लिया है, तब से उनके साथ भी यही हो रहा है।
उनके इस खालीपन से शर्मानी 'मैडम' बहुत परेशान हैं। एक बार उन्हें करेले का हलुवा बनाने की सनक सवार हुई। अब कहां करेला और कहां हलुवा? अत: पत्नी ने बहुत समझाया, पर शर्मा जी और समझदारी के बीच कई किलोमीटर की दूरी है। इसलिए वे जबरन रसोई में घुस गये।
दो घंटे बाद जब वे बाहर निकले, तो कोई उस हलुवे का एक चम्मच भी खाने को तैयार नहीं हुआ। शर्मा जी ने आंख और नाक बंद कर जैसे-तैसे दो चम्मच निगले, फिर उसे कूड़े में फेंक दिया।
ऐसा उनके साथ एक-दो नहीं, कई बार हो चुका है, पर पिछले सप्ताह वे जो 'आइडिया' लेकर आये, वह सचमुच लाजवाब था।
– वर्मा, मैंने तय किया है कि अब मैं अपना निजी धंधा करूंगा।
– यह तो बहुत ही अच्छा है शर्मा जी; पर इसके लिए पूंजी और अनुभव की भी तो आवश्यकता है।
– जी नहीं, इस काम में दो रुपये भी नहीं लगेंगे। हां अनुभव जरूर चाहिए, और वह मेरे पास भरपूर है।
– शर्मा जी, पहेलियां बुझाना बंद कर असली बात बताइये।
– असली बात यह है वर्मा कि मैं भाषण की दुकान खोल रहा हूं।
– भाषण की दुकान… ? शर्मा जी, मैंने राशन की दुकान तो सुनी और देखी है, पर….. ? वैसे इस दुकान पर बिकेगा क्या ?
– देखो वर्मा, इन दिनों चुनाव का माहौल है। अगले साल भी कई राज्यों में चुनाव होंगे। चुनावी मौसम में नेताओं को दिन में कई बार भाषण देना पड़ता है। तुमने देखा ही होगा कि बड़े नेता प्राय: लिखा हुआ भाषण पढ़ते हैं। बड़ी पार्टियों ने तो इसके लिए वेतनभोगी लोग रखे हुए हैं। वे जो लिखते हैं, नेता जी उसे ही पढ़ देते हैं।
– तो आप इसमें क्या करेंगे ?
– मैं भी नेताओं के लिए भाषण लिखूंगा। हर पार्टी का घोषणापत्र मेरे पास है। नेताओं के बारे में उसके विरोधियों द्वारा कही गयी बातें भी एकत्र कर रहा हूं। भाषण के बीच-बीच में उन्हें चटनी और अचार की तरह सजा दूंगा। जैसा नेता और जैसा माहौल होगा, उस अनुसार भाषण के दाम होंगे।
– तो लोग भाषण लिखाने आएंगे ?
– बिल्कुल। आजकल नेता इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें पढ़ने-लिखने की फुर्सत ही नहीं होती। ऐसे में मेरा काम चल निकलेगा।
– मान लो किसी को अनशन पर बैठना हो…..?
– तो वह कहेगा कि चाहे मेरी जान चली जाए, पर जब तक प्यारे क्षेत्रवासियों की समस्या दूर नहीं होगी, मैं अनशन नहीं तोडूंगा।
– और यदि तोड़ना पड़ जाए तो..?
– तो वह कहेगा कि क्षेत्रवासियों के भारी दबाव पर आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए मैं अनशन तोड़ रहा हूं, पर मेरा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक यह समस्या हल नहीं हो जाती।
– पर आजकल मीडिया वाले भाषण पर विवाद खड़ा कर देते हैं ?
– इसके लिए मैं भाषण के साथ सफाई परिशिष्ट नि:शुल्क दूंगा। वैसे इन विवादों से नुकसान की बजाय लाभ ही होता है। इसलिए कई नेता तो जानबूझ कर ऐसे भाषण लिखवाएंगे।
– अच्छा ..?
– और क्या, पिछले दिनों कई नेताओं ने चटपटे बयान दिये। डेंगू का मच्छर, राखी सावंत और केजरीवाल, सड़कछाप, नाली का कीड़ा, 71 लाख का चिल्लर जैसा भ्रष्टाचार, करगिल और एफ.डी.आई….। ऐसे बयान भी मैं तैयार करा रहा हूं। तुम चाहो, तो इसमें मेरी सहायता कर सकते हो।
– वह कैसे ?
– तुम्हारे पास लिखने की कला है और मेरे पास बेचने की। हम दोनों मिलकर काम करेंगे। लाभ का 25 प्रतिशत मैं तुम्हें दे दूंगा।
मैंने शर्मा जी से क्षमा मांग ली। कल जब मैं उनके घर के सामने से निकला, तो वहां 'भाषण की दुकान' का बड़ा सा बोर्ड लगा था। मैंने पास जाकर देखा, तो वहां नेता ही नहीं, कई साहित्यकार और कलाकार भी लाइन में खड़े थे।
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