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पाकिस्तान में भगत सिंह पर कभी हां तो कभी ना
पंजाब/राकेश सैन
पाकिस्तान को मन से मंजूर नहीं है कि किसी हिन्दू-सिख के नाम पर उनके यहां के किसी सार्वजनिक स्थल का नामकरण किया जाए, तभी तो लाहौर प्रशासन शादमान चौक का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर करने के प्रस्ताव पर कभी हां कर रहा तो कभी ना। लाहौर प्रशासन की योजना थी कि भगत सिंह के जीवन से जुड़े इस स्थल का नामकरण उनके नाम से किया जाए, परंतु कट्टरपंथी जमात-उद-दावा ने धमकी दे दी कि पाकिस्तान में किसी जगह का नामकरण हिन्दू नाम पर नहीं हो सकता। पाकिस्तान सरकार भी जैसे तैयार ही बैठी थी, मानो प्रतीक्षा कर रही थी कि कब कोई मुल्ला-मौलवी ऐसी धमकी दे और वे बच जाएं 'इस्लाम विरोधी कार्य' करने से। और तो और तालिबान के खिलाफ प्रगतिशील आवाज की प्रतीक बनी मलाला नामक पाकिस्तानी बच्ची का गुणगान करने वाला वहां का आधुनिक समाज भी इस मुद्दे पर चुप है और किसी ने इस कट्टरपंथी जमात के ऐलान और लाहौर प्रशासन के स्थगन के निर्णय का विरोध नहीं किया। नवंबर के दूसरे सप्ताह में लाहौर प्रशासन ने एक बार फिर साहस जुटाकर इस योजना को क्रियान्वित करने का प्रयास किया, परंतु अगले ही दिन फिर साफ हो गया कि वहां कट्टरपंथी जमात का फैसला ही अधिक प्रभावशाली है।
उल्लेखनीय है कि शादमान चौक वही स्थान है जहां कभी केंद्रीय कारागार हुआ करता था। 23 मार्च, 1931 को यहां अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी दे दी थी। पाकिस्तान सरकार ने 1961 में इस जेल को तोड़कर कालोनी बनवा दी और वहां के चौक का नाम शादमान फव्वारा चौक रख दिया। लाहौर जिला प्रशासन ने 28 सितंबर, 2012 को भगत सिंह के 105 वें जन्मदिन पर इस चौक का नाम उनके नाम पर करने का फैसला किया था, जिसका मजहबी संगठनों ने तीखा विरोध किया। इन संगठनों ने पंजाब उच्च न्यायालय में लाहौर प्रशासन के फैसले के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। इधर, भारत में पंजाब के लोगों की लंबे समय से शादमान चौक को भगतसिंह के नाम पर नामकरण करने की मांग रही है, लेकिन पाकिस्तान की इस हरकत से पंजाबवासियों को बड़ी निराशा हुई है। द
चीन से सावधान
भारत–चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर गत 25 नवंबर को चंडीगढ़ के सुरक्षा और युद्ध कौशल केंद्र की ओर से आयोजित एक संगोष्ठी में यह निष्कर्ष सामने आया कि 50 साल बीत जाने के बाद भी भारत को चीन की ओर से खतरे में कोई कमी नहीं आई है। इस संगोष्ठी में पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.पी. मलिक, पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल ए.वाई टिपनिस, पाकिस्तान में भारत के राजदूत रहे जी.पार्थसारथी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री राममाधाव, प्रोफेसर भरत कर्नाड, पंजाब पुलिस के सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक श्री पी.सी. डोगरा सहित अनेक रक्षा-विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
संगोष्ठी में श्री राममाधव ने कहा कि हमें अपनी रक्षा तैयारी बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा सामग्री के आयात पर निर्भरता कम करके उसे शून्य तक लाना चाहिए। हमारे देश में वैज्ञानिक व यांत्रिकी योग्यता की कमी नहीं है। दुनिया में ऐसी कोई रक्षा सामग्री नहीं है जिसका निर्माण हम न कर सकते हों। आवश्यकता है रक्षा तैयारी में से दलालों को निकालने की व उनके राजनीतिक संरक्षण को समाप्त करने की। उन्होंने कहा कि तिब्बत 1948 में विदेशी दासता से मुक्त हो गया था, परंतु चीन ने वहां अपनी गतिविधियां बढ़ानी शुरू कर दीं। 1949 में तिब्बत ने अपनी रक्षा के लिए भारत से हथियार मांगे, परंतु हमारी सरकार ने उनकी सहायता नहीं की। इससे 1950 में चीन ने तिब्बत को और 1962 में भारत के लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर भू-भाग पर कब्जा जमा लिया। अगर हमारी सरकार दूरदर्शिता से काम लेती तो तिब्बत भारत और चीन के बीच 'बफर स्टेट' का काम कर सकता था। हमने पीड़ित तिब्बतियों को शरण देने के अतिरिक्त उनकी कोई सहायता नहीं की।
जनरल (से.नि.) वी.पी. मलिक ने कहा कि चीन आर्थिक रूप से उभर रहा है और भारत को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। उसके सस्ते माल से भारतीय उद्योग समाप्त होते जा रहे हैं। जल्द ही सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो हमारे सामने बहुत बड़ा आर्थिक व सामाजिक संकट खड़ा हो जाएगा। संगोष्ठी में सभी विद्वानों ने सरकार से चीन के खतरे की अनदेखी न करने, रक्षा तैयारी में तेजी लाने, चीन द्वारा कब्जाए गए भारतीय भू-भाग को वापस लेने के प्रयास करने का आग्रह किया।द
माधवराव मुले शताब्दी समारोहों की धूम
पंजाब के कबीना मंत्री गुलजार सिंह रणीके ने राज्य के सीमावर्ती इलाकों में शिक्षा के उत्थान के लिए चलाए जा रहे बाल संस्कार केन्द्रों की सराहना करते हुए समाज से इन केन्द्रों को हरसंभव देने की अपील की है। वे गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह माधवराव मुले के जन्म शताब्दी समारोह पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पूरे पंजाब में मुले जी की जन्म शताब्दी धूमधाम व श्रद्धाभाव से मनाई जा रही है। इस अवसर पर जगह-जगह सांस्कृतिक व देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक श्री माधव राव मुले पर विभाजन के कालखण्ड में अविभाजित पंजाब प्रांत का दायित्व था। मुले जी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने विभाजन की उस विभीषिका में हिन्दू समाज की रक्षा और सेवा का अभूतपूर्व कार्य किया था।
देश के सीमावर्ती नगर अटारी में आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता वैष्णव गद्दी के महंत श्री सत्यनारायण दास ने की। इस अवसर पर 39 गांवों से बाल संस्कार केन्द्रों के बच्चों व ट्रस्ट के अनेक पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। धर्म जागरण विभाग के प्रमुख श्री रामगोपाल ने स्वधर्म के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।
गुरदासपुर जिले के दोरांगल इलाके में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन दीनानगर की विधायक सुश्री अरुणा चौधरी ने किया और बच्चों को देश के लिए जीने का पाठ पढ़ाया। ट्रस्ट के पंजाब सचिव श्री कृष्ण अरोड़ा ने बाल संस्कार केन्द्रों की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी।
जिला पठानकोट के नरोट जैमल सिंह में माधव राव मुले सेवा ट्रस्ट (पंजीकृत) की ओर से आयोजित एक समारोह में ट्रस्ट की ओर से संचालित 15 बाल संस्कार केन्द्रों के शिक्षार्थियों ने हिस्सा लिया। समारोह में राजकीय स्कूल के प्रधानाचार्य श्री बंसीलाल व धर्म जागरण के संयोजक कंवर चिंरजीव सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया और ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों की सराहना की।
जिला तरनतारन के भिखीविंड इलाके में भी मुले जी की शताब्दी धूमधाम से मनाई गई। गुरुकुल कालेज की प्रधानाचार्य सुश्री सोनिया चोपड़ा ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। पंजाब सरकार के मुख्य संसदीय सचिव श्री बिरसा सिंह वल्टोहा ने समारोह की अध्यक्षता की। ट्रस्ट के प्रधान श्री अमृत लाल धवन ने बच्चों में संस्कार के महत्त्व पर प्रकाश डाला और बताया कि बाल संस्कार केन्द्रों के माध्यम से देश भर में यह काम किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रेम जी गोयल ने संस्कारवान शिक्षा पद्धति पर जोर दिया। सभी स्थानों पर विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।
वोटों के लिए छलकता
ममता का अल्पसंख्यक प्रेम
अगले वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों के मद्देनजर सुश्री ममता बनर्जी राज्य के लगभग 30 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाताओं के दिल में जगह बनाने की हरसंभव और भरपूर कोशिश कर रही हैं। इस कड़ी में सरकार के लोक-लुभावन प्रोजेक्ट, जिसे 'गीताञ्जलि हाउसिंग प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है, में अल्पसंख्यकों को वरीयता दिए जाने की बात कही जा रही है। राज्य सचिवालय के अल्पसंख्यक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के अल्पसंख्यक लोग, जिनके पास जमीन तो है मगर मकान नहीं हैं, को चालू वित्त वर्ष में 20 हजार मकान दिए जाएंगे। अब समाचार है कि 20 हजार मकानों की यह संख्या आगे निकलकर 27 हजार तक पहुंच गयी है। इस कार्य के लिए अब तक 40 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। इस योजना के तहत अल्पसंख्यकों को शहरी क्षेत्र में 1.67 लाख, सुन्दरवन क्षेत्र में (जहां 2009 के तूफान में काफी मकान गिर गये थे) 1.92 लाख रुपए एवं पर्वतीय क्षेत्र में 2 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है। जिन्हें इस योजना में सहायता मिलती है उन्हें अपने निजी जमीन के कागजात दिखाने पर घर का नक्शा एवं अन्य प्रशासनिक काम भी सरकार अतिशीघ्र पूरा करा देती है।
ममता सरकार ने इमामों एवं उनके सहायकों को भत्ता देने की शुरआत भी इसी साल से की है। इस मद में राज्य सरकार के कोषागार से अब तक 84 करोड़ रुपया लिया गया है। इमामों को भत्ता देने का काम अब तक किसी भी सरकार ने नहीं किया था। अब प्रमाण पत्र सहित आवेदन करने पर ही उनको रुपया मिल जाता है। इसके अलावा राज्य की 9 जिलों में एकीकृत अल्पसंख्यक विकास योजना पर भी काम चालू है, जिसमें 80 करोड़ रुपए खर्च होंगे। उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करने वाली, हाईस्कूल-इंटर की मुस्लिम छात्राओं को साइकिल देने की योजना भी जारी है। अब तक 1 लाख 60 हजार छात्राओं को साइकिल दी जा चुकी है।
'गीताञ्जलि हाउसिंग प्रोजेक्ट' की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं निगरानी कर रही हैं। यह विभाग उन्होंने अपने अधीन ही रखा है। यह विभाग ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इस पर नजर रखने के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुल्तान अहमद को नियुक्त किया गया है। अब तक अहमद इस विभाग के अधिकारियों के साथ कई बैठकें कर चुके हैं। भले एक तरफ वक्फ बोर्ड में हुए घोटालों की सीबीआई जांच चल रही है पर दूसरी ओर आलिया विश्वविद्यालय के लिए 20 एकड़ जमीन जुटाने, मदरसों को स्वीकृति प्रदान करने, मुस्लिम छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करने, राज्य के कब्रिस्तानों की चारदीवारी बनाने एवं हज हाउस बनवाने के काम तेजी से जारी हैं। ऐसे किसी भी काम के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है। राज्य का वित्त मंत्रालय अल्पसंख्यक विभाग के कामों के लिए दिल खोलकर पैसे दे रहा है। ममता की नजर में शायद मुसलमानों के वोटों की कीमत दोगुनी है।
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