रंग बदलने में 'कमाल' के कमाल
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जम्मू–कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधि
अब्दुल्ला के भाई कमाल ने कहा–
पी.डी.पी. और मुफ्ती मोहम्मद सईद 'कड़वा जहर' हैं तो गुलाम नबी आजाद नेशनल कांफ्रेंस के लिए 'मीठा जहर' हैं।
राजनीति करने वाले लोग समय के हिसाब से रंग बदलते हैं, इतना तो सब जानते हैं। पर जम्मू-कश्मीर के राजनेता इतनी तेजी से रंग बदलते हैं कि गिरगिट भी शर्मा जाए। केन्द्रीय मंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारुख अब्दुल्ला के भाई मुस्तफा कमाल उन्हीं में से एक हैं। वह पिछले कई महीनों से ऐसे वक्तव्य देते आ रहे थे जो न केवल सहयोगी दल कांग्रेस के विरुद्ध थे बल्कि आपत्तिजनक भी थे। मुस्तफा कमाल ने कहा कि पाकिस्तान के साथ युद्ध न करने के समझौते के लिए भारत तैयार नहीं है। इसलिए जम्मू-कश्मीर के लोगों की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। यह भी कि केन्द्र की सरकार कश्मीरियों की दुश्मन सिद्ध हो रही है। यह भी कहा कि पी.डी.पी. और मुफ्ती मोहम्मद सईद 'कड़वा जहर' हैं तो गुलाम नबी आजाद नेशनल कांफ्रेंस के लिए 'मीठा जहर' हैं।
कांग्रेस के नेतृत्व ने इन वक्तव्यों पर नाराजगी जताई तो डा. फारुख अब्दुल्ला ने इन वक्तव्यों को गैरजिम्मेदारना बताया। उधर उमर अब्दुल्ला ने भी अपने चाचा के बयानों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें बाहर के दुश्मनों की आवश्यकता नहीं, क्योंकि उनके अपने ही दुश्मन सिद्ध हो रहे हैं।
इसके बात मुख्यमंत्री के सलाहकार देवेन्द्र राणा ने डा. मुस्तफा कमाल के साथ बातचीत की। फिर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें कांफ्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता भी मौजूद थे। इस पत्रकार वार्ता में डा. कमाल ने इस बात पर दु:ख व्यक्त किया कि उनके वक्तव्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार की इस राज्य में लोकतंत्र को बहाल करने के अतिरिक्त भारत जैसे विशाल देश के साथ सम्बंध जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हमने भारत-पाक सम्बंधों में सुधार लाने के लिए दोनों देशों को बातचीत का मार्ग अपनाने पर बल दिया है। डा. मुस्तफा कमाल ने इस सम्बंध में अपना लिखित वक्तव्य भी पढ़ा। परन्तु स्थानीय लोग जानते हैं कि उन्होंने इसलिए रंग बदला क्योंकि पंचायतों के कोटे से विधान परिषद की चार सीटों के चुनाव गठबंधन सरकार में शामिल दोनों दलों ने मिलकर लड़ने का निर्णय लिया है। और कमाल के इन वक्तव्यों से कांग्रेस-कांफ्रेंस की साझी रणनीति धरी की धरी रह जाएगी।
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