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आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद के पुराने शहर में स्थित विश्व प्रसिद्ध चारमीनार से सटे ऐतिहासिक व प्राचीन भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर साम्प्रदायिक तनाव बढ़ता ही जा रहा है। पिछले दिनों मंदिर की तरफ बढ़ रहे मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) के विधायकों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद पुराने शहर में हिंसा की छिटपुट घटनाएं देखने को मिलीं। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज के साथ अश्रु गैस के गोले छोड़ने पड़े। दीपावली से पहले भाग्यलक्ष्मी मंदिर के प्रबंधकों ने हैदराबाद जिला प्रशासन की अनुमति से हर वर्ष की भांति पांडाल लगाने का काम शुरू किया था, जिसे रोकने के लिए एमआईएम के ये विधायक मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे। उल्लेखनीय है कि चारमीनार के पास स्थित यह भाग्यलक्ष्मी मंदिर चारमीनार से भी पुराना है। बताया जाता है कि स्वयं हैदराबाद के निजाम भी यहां दर्शन करने आते थे। हैदराबाद का पुराना नाम भाग्यनगर भाग्यलक्ष्मी से ही प्रचलित हुआ। इस पूरे प्रकरण के बारे में बताते हुए भाग्यलक्ष्मी मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री शशिकला ने एक पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार और उसकी पुलिस मुसलमीन पार्टी के दबाव में काम कर रही है। मुसलमीन पार्टी के कारण ही सांप्रदायिक तनाव फैल रहा है और अपने निजी स्वार्थ के लिए यह पार्टी लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने बताया कि चारमीनार से सटे ऐतिहासिक भाग्यलक्ष्मी मंदिर में प्रतिवर्ष दीपावली के अवसर पर सजावट की जाती है तथा विभिन्न अनुष्ठान भी संपन्न होते हैं। लेकिन इस वर्ष जान-बूझकर मुसलमीन पार्टी के विधायक व उनके समर्थक दीपावली की सजावट और अन्य कार्यक्रमों का विरोध कर रहे थे, जबकि कोई भी आम मुस्लिम नागरिक इस मंदिर में पूजा-पाठ आदि का विरोध नहीं कर रहा था। इसी से पता चलता है कि कांग्रेस की सरकार में शामिल मुसलमीन पार्टी अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मुसलमानों को भड़का रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले मुसलमीन पार्टी के मोहसिन बिन अब्दुल्ला और सैय्यद खलीलुल्लाह ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर से ऐतिहासिक चारमीनार को नुकसान पहुंच रहा और इस मंदिर से ऐतिहासिक धरोहर चारमीनार की हिफाजत की जाए। तब न्यायमूर्ति पिनाकपाणि घोष और न्यायमूर्ति विलास अफ्जलपुरकर की खण्डपीठ ने इस याचिका पर 30 अक्तूबर को यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दे दिया। दीपावली पर अस्थायी पांडाल लगाने और मंदिर की सजावट करने से चारमीनार की खतरे की आड़ लेकर मुसलमीन पार्टी भाग्यलक्ष्मी मंदिर का विरोध कर रही थी। उधर प्रदेश सरकार की मजबूरी भी थी कि वह दीपावली पर मंदिर सजाने की परम्परा को बनाए रखे। घटनाक्रम के अनुसार रविवार (11 नवम्बर) को सुबह करीब 5 बजे पुलिस ने चारमीनार की तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर 'बैरिकेट' लगा दिए। भारी सुरक्षा के बीच एवं हैदराबाद प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों एवं मंदिर प्रबंध समिति के सदस्यों की उपस्थिति में भाग्यलक्ष्मी मंदिर में पांडाल लगाने का काम शुरू हुआ। करीब एक घंटे में ही इस काम को निपटा दिया गया। लेकिन जैसे ही पांडाल लगाए जाने की खबर फैली, मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) के 6 विधायक वहां विरोध करने पहुंच गए। उन्होंने जैसे ही भाग्यलक्ष्मी मंदिर की तरफ बढ़ने की कोशिश की, वहां पहले से तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। एक अन्य विधायक विरासत रसूल ने मुख्यमंत्री के सामने उनके विरोध में नारेबाजी कर दी। उस समय मुख्यमंत्री किरण कुमार अल्पसंख्यक कल्याण दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। जैसे ही विधायकों के गिरफ्तार होने की खबर फैली, मुस्लिम बहुल बस्ती में कई जगहों पर पथराव की घटनाएं हुईं। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़-फोड़ की। 4 बसें, 2 कारें और कपड़ों की दुकान का एक 'शो रूम' हंगामे की भेंट चढ़ गया। इस सबके बाद मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) ने 12 नवम्बर को केन्द्र की यूपीए सरकार और आंध्र प्रदेश सरकार से समर्थन वापस ले लिया। मुसलमीन पार्टी ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने हिन्दूवादी कार्यकर्ताओं को खुली छूट दे दी है। एमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असादुद्दीन ओवैसी ने चारमीनार के पास धार्मिक स्थल पर तिरपाल डालने की आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अनुमति देने पर भी गहरी आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह उच्च न्यायालय के यथास्थिति बनाये रखने के आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है जबकि हिन्दूवादी कार्यकर्ताओं को खुली छूट दी जा रही है। इन परिस्थितियों में एमआईएम कांग्रेस को समर्थन देना जारी नहीं रख सकती है। उल्लेखनीय है कि एमआईएम के विधानसभा में 7 विधायक और लोकसभा में 1 सांसद है। लेकिन मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेना सिर्फ एक नाटक माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किशन रेड्डी का दावा है कि हैदराबाद के महावीर हॉस्पिटल की भूमि को लेकर मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी व उनकी सरकार पर दबाव बनाने के लिए एमआईएम साम्प्रदायिकता का खेल कर रही है। इस अस्पताल की 17 एकड़ भूमि पर कब्जा जमाने के लिए भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर विवाद पैदा कर रही है। रेड्डी ने कहा कि सांसद ओवैसी और उनके छोटे भाई अकबर, जो विधायक भी हैं, ने महावीर अस्पताल का लीज यथाशीघ्र रद्द करने और यह भूमि अपने ट्रस्ट को प्रदान करने का आग्रह करते हुए एक प्रस्ताव सरकार को भेजा है। तीस साल से अधिक समय से चल रहे महावीर अस्पताल की इस लीज को रद्द करने का प्रस्ताव सरकार नहीं मान रही है। अस्पताल की इस भूमि को लेकर ही मजलिस सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाग्यलक्ष्मी मंदिर मामले को उछाल रही है! इस बीच अपनी पत्रकार वार्ता में मजलिस के अध्यक्ष व सांसद असाउद्दीन ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी सोनिया गांधी का आदर करती है। पर इसके साथ ही उन्होंने किरण कुमार रेड्डी सरकार की कड़ी निंदा की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बोत्सा सत्यनारायण ने कहा कि मजलिस के समर्थन वापस लेने से सरकार को कोई खतरा नहीं है। सरकार के बचाव में उन्होंने कहा कि जो भी कार्रवाई की, वह कानून-व्यवस्था को बनाये रखने और उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करने के लिए की गई है। उन्होंने दावा किया कि मजलिस के समर्थन वापस लेने से अल्पसंख्यक कांग्रेस से दूर नहीं हुए। कांग्रेस नेतृत्व भी इस व्यवहार को देख रहा है। किरण कुमार रेड्डी की सरकार और केन्द्र सरकार से समर्थन वापस लेने पर सरकार को कोई खतरा नहीं है। मजलिस के समर्थन वापस लेने के बाद भी कांग्रेस के पास 155 विधायक हैं। सरकार चलाने के लिए जरूरी 148 से 7 विधायक ज्यादा हैं। हालांकि कांग्रेस को राजशेखर रेड्डी के समय भी मजलिस के समर्थन की जरूरत नहीं थी और न ही अब है। पर मुस्लिमों का समर्थन पाने के लिए कांग्रेस अलगाववादी मुस्लिम संगठनों व दलों को अपने साथ रखती ही है। केरल में उसे मुस्लिम लीग से प्यार है तो हैदराबाद में मुसलमीन पार्टी का साथ है। इस बीच दीपावली के अवसर पर महालक्ष्मी भाग्यलक्ष्मी का दर्शन व पूजन करने पहुंचे काकीनाड़ा के स्वामी परिपूर्णानन्द सरस्वती जी को गिरफ्तार कर थाने भेज दिया गया। स्वामीजी ने थाने में ही धरना दिया और दर्शन करने तक अनशन पर अड़ गए। फलस्वरूप उन्हें उसी शाम को कड़ी सुरक्षा के बीच भाग्यलक्ष्मी के दर्शन करवाए गए। कुल मिलाकर हैदराबाद में कांग्रेस के समर्थक मुसलमीन दल द्वारा बेवजह तनाव पैदा किया जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अलग तेलंगाना के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस ही मुसलमीन पार्टी से मिलकर साम्प्रदायिकता का घिनौना खेल खेल रही है। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन अभी हैदराबाद के पुराने शहर तक ही सीमित थी। अब इसके प्रमुख सलाउद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी का विस्तार अन्य क्षेत्रों में करना चाहते हैं, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मराठवाड़ा में भी इस पार्टी ने दस्तक दे दी है (देखें इसी अंक का पृष्ठ 15)।
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