संविधानेतर सत्ता
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

संविधानेतर सत्ता

by
Nov 14, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

संविधानेतर सत्ता

दिंनाक: 14 Nov 2012 12:15:17

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का यह कहना कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) जैसी संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए, संप्रग सरकार के कामकाज पर तीखी टिप्पणी मानी जानी चाहिए, क्योंकि सीबीआई और सीवीसी के मामले में यह सरकार बेहद बदनाम हो चुकी है। सीवीसी के रूप में पी.जे. थामस जैसे दागदार व्यक्ति की नियुक्ति को लेकर सरकार नीयत और प्रक्रिया दोनों ही दृष्टि से जबर्दस्त आरोपों से घिर गई और उसकी विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ खड़े हुए कि देश में भ्रष्टाचार पर निगाह रखने और उसे रोकने में जिस संस्था की सबसे बड़ी भूमिका है, उसकी नियुक्ति में ही जब सरकार ईमानदारी नहीं बरत रही और एक दागदार व्यक्ति को उस शीर्ष पद पर नियुक्त कर रही है तो इसके पीछे की सरकार की मंशा को समझा जा सकता है। इसी तरह सीबीआई के राजनीतिकरण और सत्ता के दबाव में काम करने की उसकी शैली पर लगातार सवाल उठते रहे हैं कि कांग्रेस लोगों को सीबीआई का डर दिखाकर संप्रग सरकार को बनाए रखने के लिए उन नेताओं और दलों पर दबाव बनाती है। मुलायम सिंह और मायावती के नाम इस मामले में खूब उछले कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के संप्रग से अलग होने और सरकार को समर्थन न देने के बाद बहुमत के संकट से उबरने के लिए सपा व बसपा को सीबीआई के डर से सरकार के समर्थन में खड़े रहना पड़ा।

आय से अधिक संपत्ति के मामलों में दोनों पार्टी प्रमुखों पर सीबीआई का शिकंजा रहा है, जिसे जरूरत के मुताबिक कांग्रेस के इशारे पर कसा या ढीला किया जाता रहा है। ताज कॉरीडोर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के तर्क के आधार पर अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से भी मायावती और उनकी सरकार में उनके बेहद कृपापात्र रहे केबीनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बड़ी राहत मिल गई। 5 जून, 2007 को सीबीआई की विशेष अदालत ने राज्यपाल से मायावती के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति न मिलने पर मामले को खारिज कर दिया था। कांग्रेस किस तरह अतीत में अपने सत्तास्वार्थों के लिए राज्यपालों व सीबीआई का दुरुपयोग करती रही है, यह किसी से छिपा नहीं है, इसलिए 175 करोड़ की ताज कॉरीडोर परियोजना, जो शुरू से ही विवादों में रही, उसमें मायावती की लिप्तता के प्रति राज्यपाल और सीबीआई का रवैया आश्चर्यजनक नहीं है। संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता हमेशा कांग्रेस को खटकती रही है और उसे वह अपने सत्ता स्वार्थों में बाधक मानती रही है। 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले और कोयला खदान आवंटन में हुए महाघोटालों के 'कैग' के आकलन पर कांग्रेसी मंत्री व नेता कितने हमलावर हो गए थे, यह कल की ही तो बात है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय पर यहां तक आरोप लग गए कि वे राजनीति में आने के लिए यह सब कर रहे हैं। चुनाव आयोग की स्वायत्तता भी कांग्रेस को जब-तब नागवार गुजरती रही है। लेकिन उसके संवैधानिक दर्जे के सामने वह बेबस है। शायद इसीलिए सीबीआई और सीवीसी को भी संवैधानिक दर्जा दिए जाने की बात उठी है, ताकि इनके दुरुपयोग को रोका जा सके और इनकी सही व निर्विवाद भूमिका को अंजाम दिया जा सके। लेकिन कांग्रेस व संप्रग सरकार को यह सुझाव रास नहीं आ रहा, क्योंकि इससे उसके सत्ता स्वार्थों पर आंच आती है और उसकी संविधानेतर सत्ता पर अंकुश लगता है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies