पाठकीय : अंक-सन्दर्भ 23 सितम्बर,2012
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पाठकीय : अंक-सन्दर्भ 23 सितम्बर,2012

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Oct 13, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 13 Oct 2012 16:14:46

यह तो राक्षसी प्रवृत्ति है

आवरण कथा के अन्तर्गत श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'जनेवि में गोमांस भक्षण की तैयारी' पढ़ी। कालिका पीठ के महन्त श्री सुरेन्द्रनाथ अवधूत ने ठीक कहा है कि गोमांस उत्सव आयोजित करने का एकमात्र उद्देश्य था हिन्दुओं की भावना को भड़काना। कथित वामपंथी और मजहबी कट्टरवादी सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने में ही अपनी भलाई समझते हैं।

–बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में गोमांस खाने की दलील में पोस्टर चिपकाए गए, बैठकें हुईं, फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन चुप रहा। इसका मतलब तो यही है कि जनेवि प्रशासन भी 'गोमांस उत्सव' के आयोजकों के साथ था। भला हो दिल्ली उच्च न्यायालय का जिसने इस उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया। यदि ऐसा नहीं होता तो जनेवि में भी उस्मानिया विश्वविद्यालय की तरह हंगामा अवश्य होता।

–हरि सिंह चौहान

जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)

गाय अहिंसा की मूर्ति है। गाय के दूध का नियमित सेवन करने से अनेक बीमारियां पास फटकती भी नहीं हैं। ऐसी गुणकारी गाय को मारकर उस मांस का भक्षण करना आसुरी प्रवृत्ति है। ऐसी आसुरी प्रवृत्ति वाले लोग ही गोमांस उत्सव आयोजित करने की बात करते हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कट्टरवादी वामपंथियों का गढ़ बन चुका है। इससे इस विश्वविख्यात विश्वविद्यालय की छवि खराब हो रही है।

–उमेश प्रसाद सिंह

के-100, लक्ष्मी नगर, दिल्ली-110092

धिक्कार है जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासन को। विश्वविद्यालय परिसर में एक घिनौने कृत्य की तैयारी होती रही और विश्वविद्यालय प्रशासन सोता रहा। वह भी तब जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने समय-समय पर उससे इस कृत्य की शिकायत की।

–राममोहन चंद्रवंशी

अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर, स्टेशन रोड टिमरनी, जिला–हरदा (म.प्र.)

कुछ लोग निरन्तर भारत की सनातन संस्कृति, महापुरुषों और हिन्दू धर्म को बदनाम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय तो शिक्षा का मन्दिर होता है। वहां से शिक्षित-दीक्षित लोग सभ्य नागरिक माने जाते हैं। पर जनेवि में पढ़ने वाले कुछ छात्र समाज में कटुता पैदा कर रहे हैं, जिसकी जितनी निन्दा की जाए कम है।

–प्रह्लाद वन गोस्वामी

वेदानत-157, आदित्य आवास कालोनी, पुलिस लाइन, कोटा-324001 (राजस्थान)

गोवध प्रतिबंधित है। इसके बावजूद जनेवि में गोमांस परोसने की घोषणा करना निन्दनीय है। ऐसे लोग जानबूझकर हिन्दुओं की भावना को चोट पहुंचा रहे हैं। भविष्य में फिर कोई ऐसी घोषणा न हो, समाज में तनाव न हो, आदि पर सरकार को गंभीर होना चाहिए।

–दिनेश गुप्ता

कृष्णगंज, पिलखुवा, गाजियाबाद (उ.प्र.)

माना कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, खाने-पीने की आजादी है। पर इसका अर्थ यह नहीं है कि हम किसी की भावना को ठेस पहुंचाएं। जनेवि या उस्मानिया विश्वविद्यालय में जो किया गया उसका एकमात्र उद्देश्य था हिन्दुओं को अपमानित करना। यह दु:खद है कि हिन्दू समाज बार-बार अपमानित होने के बाद भी एकजुट होकर अपमानित करने वालों का विरोध तक नहीं करता है।

–रामावतार

कालकाजी, नई दिल्ली

फिसड्डी राहुल

सम्पादकीय 'युवराज की फजीहत' यह बताने में सफल रहा कि राहुल गांधी हर क्षेत्र में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। फिर भी कांग्रेसी उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश में लगे हैं। राहुल गांधी की सबसे बड़ी कमजोरी है कि वे समय की पदचाप को पहचान नहीं पाते हैं। इसलिए बेवक्त कभी भी कुछ भी बोलते हैं। राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस सबसे पहले 2007 में गुजरात में चुनाव हार गई थी। फिर बिहार और उ.प्र. में कांग्रेस की दुर्गति हुई। इसके बावजूद कांग्रेसी राहुल को ही आगे कर रहे हैं तो उनका भगवान ही भला करे।

–गणेश कुमार

पटना (बिहार)

सामयिक सवाल

मंथन में श्री देवेन्द्र स्वरूप ने महत्वपूर्ण और सामयिक सवाल किया है 'जिहादी उन्माद का समाधान क्या है?' मुस्लिम विद्वानों सहित विभिन्न वर्ग के विद्वानों को इस प्रश्न का सही उत्तर ढूंढने का ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए। जिहादी विचारधारा कृतज्ञता को कोई स्थान नहीं देती, यह वास्तविकता है। इस्लामी ग्रंथों में आतंक एवं भय का सहारा मजहब के हित में लेने की अनुमति दी गई है। साथ ही कुरान, हदीस आदि मजहबी ग्रंथों के बारे में बहस की गुंजाइश भी नहीं है। जिहाद करना मजहबी फर्ज बताया गया है। अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए हिन्दुओं को इस जिहाद से अवगत होना चाहिए।

–क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा–825409 (झारखण्ड)

उन्माद के क्रूर पंजों में गिरफ्त जिहादी सहनशीलता और उदारता को पूरी तरह भूल चुके हैं। ये लोग उन्माद के बल पर ही सब पर विजय पाना चाहते हैं। ये किसी भी मुद्दे पर बातचीत करना ही नहीं चाहते हैं। उन्माद का कोई समाधान नहीं है। समाधान वहीं होता है जहां वैचारिक खुलापन होता है।

–मनोहर 'मंजुल'

पिपल्या–बुजुर्ग प. निमाड़-451225 (म.प्र.)

मजहबी कट्टरवादी जिहादियों की करतूतों की तारीफ ही नहीं करते हैं, बल्कि जिहादी गतिविधियों को अंजाम देने में मदद भी करते हैं। देश की सुरक्षा के लिए यह बड़ी चुनौती है। मुस्लिम बुद्धिजीवी भी जिहादियों के चंगुल में जानबूझकर फंस रहे हैं। जिहादियों को निर्णायक रूप से परास्त करने का समय आ चुका है।

–उदय कमल मिश्र

गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)

वायदे भी होने लगे

श्री आलोक गोस्वामी की रपट 'सईद पर ठेंगा' से साफ है कि पाकिस्तान मुम्बई हमले को भूल जाने की सलाह भारत को दे रहा है। हमारे विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने अच्छे बच्चे की तरह यह बात स्वीकार भी कर ली। वे सहज भाव से वीसा संधि कर भी आए। वीसा नियम सरलतम करने और दोनों ओर से आने-जाने वाले लोगों को अधिकाधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का वायदा भी कर लिया। प्रधानमंत्री ने कई बार कहा है कि जब तक मुम्बई हमले के अपराधियों को सजा नहीं मिलेगी तब तक पाकिस्तान से कोई बात नहीं होगी। पर यहां तो बात ही नहीं, वायदे भी होने लगे हैं।

–मायाराम पतंग

एफ-63, पंचशील गार्डन, नवीन शाहदरा दिल्ली-110032

जब एस.एम. कृष्णा लाहौर में 'मीनारे पाकिस्तान' का अवलोकन कर रहे थे उसी समय सैकड़ों पाकिस्तानी हिन्दू भारत की ओर कूच कर रहे थे। हिन्दू अपनी जान बचाने के लिए भारत आ रहे हें। पर कृष्णा ने उन हिन्दुओं की बात पाकिस्तान सरकार से नहीं की। बड़ा दु:ख होता है। भारत के हिन्दू सेकुलर बनने की होड़ में अपने धर्म भाइयों की भी चिन्ता नहीं कर रहे हैं।

–सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा

कांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)

कैग भी सरकारी काम में बाधक

कुछ दिन पहले समाचार पढ़ने को मिला कि कैग ने भी संसद सत्र का समय बर्बाद किया तथा कैग भी राजनीति से प्रेरित रपट पेश करती है। सोनिया गांधी इस समय बिल्कुल निरंकुश व तानाशाह बनी हुई हैं। संसद में विधेयक प्रस्तुत कर व पारित करवा कर कैग को ही समाप्त कर दें तो सभी भ्रष्टाचारियों के लिए भ्रष्टाचार का रास्ता बिलकुल निष्कंटक एवं निर्बाध हो जाये।

–बनवारीलाल सिंगला

अजन्ता स्टूडियो, रामलीला मैदान, गुड़गांव (हरियाणा)

कठपुतलियों का नाच कब तक?

इस समय केन्द्र में चलने वाली संप्रग सरकार एक कठपुतली के नाच से अधिक कुछ भी प्रतीत नहीं होती। मंत्रियों का समूह प्रधानमंत्री सहित कठपुतलियों की तरह नाच रहा है और नचाने वाली ताकत परिदृश्य में कहीं नजर नहीं आती। पता ही नहीं चल पा रहा है कि आखिर इस सरकार को कौन चला रहा है। संवैधानिक और आधिकारिक रूप से सरकार को चलाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की है लेकिन उनकी बेबसी और लाचारी यह स्पष्ट करती है कि वे असहाय, मजबूर, असहज और सरकार चलाने में अक्षम हैं। उन्हें तो सिर्फ कठपुतलियों को नचाने वाली संचालिका के दिशा-निर्देशों का पालन करना है। सभी आरोप प्रधानमंत्री को झेलने हैं, मलाई और भलाई का मालिकाना हक संचालिका के पास है। भ्रष्टाचार के लबादे को ओढ़ने वाली यह सरकार महाघोटालों की सरकार बनकर रह गयी है। खेलों से लेकर खानों तक घोटाले ही घोटाले हैं लेकिन सरकार के प्यादे ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे सरकार की कहीं से कहीं तक कोई गलती ही न हो।

–कुमुद कुमार

ए-5, आदर्श नगर, नजीबाबाद

बिजनौर 246763 (उ.प्र.)

लाहौर में भगतसिंह चौक

23 मार्च, 1931 को क्रांतिवीर भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दी गयी थी। उस स्थान पर बने चौराहे को पहले 'शादमान चौक' कहा जाता था, पर भगतसिंह के जन्मदिवस 28 सितम्बर, 2012 को पाकिस्तान शासन ने उसका नाम बदलकर भगतसिंह चौक कर दिया है। 11 मई, 1915 को दिल्ली जेल में क्रांतिवीर अवधबिहारी, मास्टर अमीरचंद तथा बसंत कुमार विश्वास को फांसी दी गयी थी। इन्होंने 23 दिसम्बर, 1912 को चांदनी चौक में वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंका था। आज उस स्थान पर मौलाना आजाद मेडिकल कालेज बना है। क्या ही अच्छा हो, यदि उस कालेज तथा उसके अन्तर्गत आने वाले विभागों के नाम बदलकर उन क्रांतिकारियों के नाम पर रखे जाएं, जिन्होंने इस अभियान में किसी न किसी रूप में योगदान दिया है।

–विजय कुमार

रामकृष्णपुरम-6, नई दिल्ली

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