हरियाणा में इन दिनों किशोरियों व युवतियों, विशेषकर वंचित वर्ग के बीच बलात्कार के आतंक का बेहद खौफनाक चेहरा सामने आ रहा है। गत एक माह में ही एक दर्जन से ज्यादा दुष्कर्म की दहला देने वाली घटनाएं हो चुकी हैं। कांग्रेस जिन अनुसूचित जातियों को अपना वोट बैंक मानती रही और स्वयं को जिनकी हितचिंतक बताते नहीं थकती, जब वही उसके राज में असुरक्षित हैं तो औरों की तो बात ही क्या है। हरियाणा के मिर्चपुर कांड की दहशत से अभी लोग उबरे नहीं हैं। उसमें सरकार व प्रशासन की ओर से बरती गई लापरवाही पर अदालत तक को संज्ञान लेना पड़ा, लेकिन अब तो हद ही हो गई। प्रदेशवासियों में हर दिन एक दहशत रहती है कि कब, कहां, क्या अनर्थ हो जाए? राज्य में अपराध और कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने में कांग्रेस की हुड्डा सरकार पूरी तरह विफल रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जींद जिले के सच्चाखेड़ा गांव में दुष्कर्म पीड़िता एक वंचित किशोरी द्वारा शर्म से आत्मदाह कर लिए जाने पर परिवार को सांत्वना देने तो पहुंचीं, लेकिन उन्होंने हुड्डा सरकार की खबर लेने की बजाय अन्य राज्यों में भी बलात्कार की घटनाएं होने की बात कहकर राज्य में घट रहीं इन घटनाओं को मानो हल्के तौर पर ही लिया। सोनिया गांधी ने शायद अपनी उसी वंशवादी कांग्रेसी परंपरा का पालन किया जहां अपने दोषों को कम दिखाने के लिए दूसरे के दोषों पर उंगली उठाई जाती है। '70 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में तेजी से बढ़ते भ्रष्टाचार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार तो वैश्विक समस्या है। आज वैसी ही भाषा सोनिया गांधी बोल रही हैं। जबकि मुख्यमंत्री हुड्डा की संवेदनहीनता तो यहां तक है कि वे पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने जाने में भी रुचि नहीं दिखाते।
गत वर्ष ही हरियाणा के अपना घर कांड ने तूफान खड़ा कर दिया था, जहां लड़कियों के साथ दुराचार के जघन्य मामले सामने आए। ऐसी घटनाओं में कांग्रेसी नेताओं व विधायकों के नाम जुड़ना और भी शर्म की बात है, जिनकी सरकार रहते राज्य में यह सब हो रहा है। गीतिका आत्महत्या कांड में हुड्डा सरकार के एक मंत्री का फंसा होना इसी कहावत को चरितार्थ करता है- 'सैयां भए कोतवाल, अब डर काहे का'। सोनिया गांधी ने जिस तरह हुड्डा सरकार के प्रति बचाव की मुद्रा अपनाई, उससे तो अपराधियों व दुराचारियों के हौसले और बढ़ेंगे। इस वर्ष दस महीनों में ही हरियाणा में बलात्कार के 507 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में इनकी संख्या 567 थी। ये आंकड़े बताते हैं कि राज्य में हालात कितने गंभीर हैं, लेकिन पार्टी आलाकमान यदि राज्य सरकार से कड़ाई से पेश आने की बजाय बचाव में दिखे तो यह बेहद शर्मनाक है। सोनिया गांधी को शायद यह पता नहीं है कि इसी ढिलाई के कारण हरियाणा में कांग्रेस के 7 वर्षों के राज में बलात्कारों की संख्या लगभग दुगुनी हो गई है, जो 2004 में 386 थी और 2011 में 733 तक पहुंच गई। यह महज आरोप नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े हैं जो शर्मसार करते हैं। इससे भी ज्यादा शर्मनाक यह है कि इन घटनाओं को विरोधियों की साजिश या राजनीतिक षड्यंत्र बताया जाए।
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