मजहबी, उन्मादी तथा राष्ट्र विरोधी खतरा
May 26, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

मजहबी, उन्मादी तथा राष्ट्र विरोधी खतरा

by
Oct 13, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मजहबी, उन्मादी तथा राष्ट्र विरोधी खतरा

दिंनाक: 13 Oct 2012 14:43:01

 

देश विभाजन के समय व उसके पश्चात भारत में मुसलमानों के तीन प्रमुख मजहबी व राजनीतिक संगठन रहे। ये हैं-जमात-ए-दारुल उलूम, जमात-ए-इस्लामी तथा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग। इनमें जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियां प्रारम्भ से ही कट्टरवादी तथा भारत को इस्लामी राज्य में बदलने के लिए जारी रहीं। जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 26 अगस्त, 1941 ई. को लाहौर (या कहें पठानकोट) में मौलाना अबुल आला मौदूदी (1903-1979) ने की। इसकी पहली सभा में कुल 70 मुसलमान सम्मिलित हुए। मौदूदी एक रूढ़िवादी तथा कट्टर प्रतिक्रियावादी मुसलमान थे। उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम तथा मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना तथा लियाकत अली खां थे, जिन्होंने 23 मार्च, 1941 को पाकिस्तान की मांग रखी थी। अत: जो कार्य उस समय की राजनीति में मुस्लिम लीग कर रही थी वही कार्य मजहब के क्षेत्र में जमात-ए-इस्लामी कर रही थी।

जमात का नामकरण व उद्देश्य

जमात-ए-इस्लामी के नामकरण के बारे में स्वयं मौदूदी ने लिखा, 'इस्लाम के पुश्तैनी और कदीमी (पुरातन) तरीकों से जमात का काम चलता है, इसलिए इसका नाम जमात-ए-इस्लामी है।' प्रारम्भ से ही यह संस्था राष्ट्रवाद तथा देशभक्ति की विरोधी थी। इसका उद्देश्य विश्व में इस्लामी राज्य की स्थापना करना था। जमात-ए-इस्लामी के उद्देश्य के बारे में इसके संस्थापक इसके संस्थापक मौदूदी ने स्पष्ट रूप से लिखा, 'जो भी लोग अपने को नेशनलिस्ट (राष्ट्रवादी) या वतनपरस्त (देशभक्त) कहते हैं, वे बदकिस्मत लोग या तो इस्लाम की नसीहतों से कतई नावाकिफ (अन्जान) है या दीगर मजहबों (अन्य मत-पंथों) का अलिफ, वे, पे (क,ख,ग) भी नहीं जानते या वे बिल्कुल सिफर (शून्य) हैं। एक मुसलमान सिर्फ एक मुसलमान ही हो सकता है, इसके अलावा कुछ नहीं। अगर वह कुछ होने का दावा करता है तो मैं यह गांरटी के साथ कह सकता हूं कि वह पैगम्बर साहब के मुताबिक मुसलमान नहीं है। मौदूदी ने राष्ट्रवाद को शैतान तथा देशभक्ति को शैतानी वसुल (बड़ी बुराई) बतलाया। उन्होंने 'नेशनलिज्म' को मुसलमानों के लिए एक जहालत (मूर्खता) बतलाया। जमात-ए-इस्लामी की स्थापना से पूर्व अप्रैल, 1939 में लिखे अपने एक लेख मैं मौदूदी ने कहा, 'इस्लाम और राष्ट्रीयता दोनों भावना तथा अपने मकसद के लिहाज (उद्देश्य की दृष्टि) से एक-दूसरे के विरोधी हैं। जहां राष्ट्रीयता है। वहां इस्लाम कभी फलीभूत नहीं हो सकता। जहां इस्लाम है वहां राष्ट्रीयता के लिए कोई जगह नहीं है। राष्ट्रीयता की तरक्की के मायने (मजबूती का अर्थ) यह हैं कि इस्लाम के फैलने का रास्ता बन्द हो जाएं और इस्लाम के मायने यह हैं कि राष्ट्रीयता की जड़ बुनियाद से उखाड़ दी जाए। अत: यह जाहिर है कि एक शख्स एक वक्त में इन दोनों में से किसी एक की ही तरक्की का हामी (समर्थक) हो सकता है।'

मौदूदी हिन्दुओं तथा मुसलमानों के मिले-जुले राष्ट्र को बनाने की मांग को स्वीकार नहीं करते थे। इसे स्पष्ट करते हुए मौदूदी कहते हैं कि हम समस्त संसार में पूरी आबादी में, केवल दो ही पार्टियां देखते हैं- एक अल्लाह की पार्टी, (हज्ब-ए-अल्लाह) तथा दूसरी शैतान की पार्टी (हज्ज-उल-शैतान)।' वह इस्लाम को कोई प्रचारकों का संगठन न मानकर 'खुदा की दैवीय सेना का संगठन' मानते थे, जिसका उद्देश्य विश्व में इस्लामी राज्य की स्थापना करना तथा विश्व में इस्लाम का अन्य मत-पंथों-मजहबों पर वर्चस्व स्थापित करना है। उल्लेखनीय यह भी है कि मौदूदी ने प्रारम्भ में मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग का विरोध किया था तथा कहा था कि इस्लाम विश्व का मजहब है तथा इसे राष्ट्रीय सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। परन्तु पाकिस्तान बनने पर उन्होंने अपनी भाषा बदली तथा  पाकिस्तान में उनका अपना उद्देश्य इस्लामी राज्य की स्थापना बताया। यह भी कहा कि पाकिस्तान का राजनीतिक विकास मजहबी नेताओं द्वारा संचालित होना चाहिए। मौदूदी स्वयं भी पाकिस्तान चले गए।

पाकिस्तान, जमात का विभाजन और भारत

इस कारण 1947 में जमात-ए-इस्लामी कई अलग-अलग टुकड़ों में बंट गयी। भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका आदि में इसकी अलग तथा स्वतंत्र शाखाएं स्थापित हुईं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा शक्तिशाली संगठन जमात-ए-इस्लामी-पाकिस्तान के रूप में सामने आया। 1953 ई. में जमात ने अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया, जिसमें लगभग 2000 अहमदिया मुसलमान मारे गए। पंजाब में मार्शल लॉ लगा तथा गुलाम मोहम्मद के मंत्रिमण्डल को त्यागपत्र देना पड़ा। वहां मजहबी नेताओं का प्रभाव बढ़ा। मियां तुफैल मोहम्मद के नेतृत्व में जिया ने इस्लमीकरण के कार्यक्रम का समर्थन किया। जमात ने पाकिस्तान में इस्लामी राज की स्थापना करने तथा पश्चिमीकरण का विरोध किया। 1986 में जमात ने न केवल 'शरीयत बिल' के लिए आंदोलन किया बल्कि चुनावों में भाग लेकर वहां की राजनीति को भी झकझोरा।

भारत की जमात-ए-इस्लामी मौदूदी के पाकिस्तान चले जाने पर कुछ समय के लिए अस्त-व्यस्त हो गयी थी, पर अप्रैल, 1948 में इलाहाबाद में इसकी पुन: स्थापना की गई। इसकी पहली सभा में 240 मुसलमानों ने भाग लिया। इसका नाम अब जमात-ए-इस्लामी-ए-हिन्द रखा गया तथा इसका नेता (अमीर) मौलाना अबुल लईस नदवी को बनाया गया।

इसका मुख्यालय 1949 में मलिहाबाद (लखनऊ) तथा 1960 में दिल्ली कर दिया गया। इसके समय-समय पर सम्मेलन होते रहे। 1951 में रामपुर, 1952 में हैदराबाद, 1960 में दिल्ली, 1967 में हैदराबाद, 1974 में दिल्ली, 1981 में हैदराबाद, 1997 में पुन: हैदराबाद तथा 2002 में दिल्ली में इसके सम्मेलन हुए। रामपुर सम्मेलन में मौलाना अबुल लईस ने कहा, 'मुसलमानों के लिए बाजिव (उचित) है कि वे एक ऐसी पार्टी की शक्ल में उठ खड़े हों जिसका मुल्क (देश) या मुल्की सरहद (देश की सीमाओं) से न कोई सरोकार हो, न ही उसे कुछ देना-लेना हो। इस्लाम यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि मुसलमान नेशनलिज्म (राष्ट्रवाद) या वतनपरस्ती (देश के प्रति निष्ठा) के लिए इस्लाम के असूल (कानून) छोड़ दें, मुसलमान को तो सिर्फ मुसलमान ही रहना है।' जमात-ए-इस्लामी-ए-हिन्द के नेताओं ने स्वयं को इस्लाम सच्च सही प्रतिनिधि तथा सन्देशवाहक कहा। यह भी कहा कि राष्ट्रवाद में सिवाय तबाही के कुछ नहीं मिलेगा। जमात ने जीवन का उद्देश्य पूरी तरह से कुरान और शूरा के अनुसार चलने को बताया। बदलती हुई परिस्थितियों को देखते हुए जमात ने शिक्षा का विकास, समाज सेवा, मुस्लिम साहित्य के प्रकाशन प्रकल्प अपनाए। वर्तमान में इसके नेता जलालुद्दीन उमरी हैं। उनको सलाह देने के लिए एक केन्द्रीय समिति (मजलिस-ए-शूरा) है। इनकी गतिविधियों के मुख्य केन्द्र मदरसे तथा उनमें पढ़ने वाले छात्र व छात्राएं है। भारत में जिहाद तथा मजहबी उन्माद फैलाने में इसके छात्र संगठन स्टूडेन्ट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का विशेष हाथ रहा है, जो अपने कुकर्मों के कारण आज प्रतिबंधित है। मजहबी वर्चस्व स्थापित करने के लिए स्थापित जमात-ए-इस्लामी पंथनिरपेक्षता में कोई विश्वास नहीं रखती। यह भारतीय संविधान के सर्वथा प्रतिकूल है।

मजहब तथा राजनीति का घालमेल

यह नहीं भूलना चाहिए कि इस्लाम एक अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक संगठन है। समूचे विश्व में मुसलमानों के द्वारा मजहब तथा राजनीति को मिश्रित करने के प्रयत्न चल रहे हैं। इस प्रकार के प्रयत्न फिलिस्तीन में 'हमास', लेबनान में हिज्बुल्ला', पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान में 'तालिबान' तथा भारत में 'सिमी' तथा आंध्र प्रदेश व केरल में मुस्लिम युवकों के नए संगठनों के प्रयासों से सहज में समझ में आ सकते हैं। इतना ही नहीं, दिल्ली, भोपाल, मेरठ, रुड़की, भागलपुर, समस्तीपुर, मुम्बई तथा मुरादाबाद से जमात द्वारा प्रकाशित राष्ट्रविरोधी, विशेषत: हिन्दूविरोधी साहित्य तथा प्रचार सामग्री का बरामद होना उसके उद्देश्य को स्पष्ट करता है। इस्लामी राज की स्थापना के लिए जमात के महासचिव फारुखी मुसलमानों की वर्तमान स्थिति को बदलकर कई बार राजनीति में आने की चाह प्रकट कर चुके हैं। जमात के अन्य कुछ नेताओं ने भी खुलकर राजनीति में आने का आग्रह करते हुए मानव निर्मित कानूनों का विरोध तथा अल्लाह की प्रभुसत्ता तथा शरीयत के कानूनों को सर्वाधिक महत्व देने की बात कही।

 2010 में जमात-ए-इस्लामी-ए-हिन्द ने भारत में इस्लामी राज की स्थापना में सहायक बनने के लिए एक दसवर्षीय योजना बनाई, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कम खर्च में निर्मित होने वाले मकान, लघु उद्योगों का निर्माण आदि के द्वारा मुसलमानों के जीवन को विकसित करने की बात कही गई है। यह योजना लगभग 125 मिलियन डालर की बताई गई है। इसमें गैरसरकारी संगठनों के अधिकारियों, मानवाधिकारवादी संस्थाओं तथा अनेक सहायता समितियों का आवरण भी रखा गया है। कुल 58 जिले छांटे गए हैं जो मुसलमानों की दृष्टि से अत्यन्त पिछड़े हुए हैं। लेकिन मुसलमानों के विकास के पीछे का उद्देश्य उनका वर्चस्व बढ़ाना है। इसलिए देश की स्वतंत्रता, अखण्डता, प्रभुसत्ता, एकता तथा सुरक्षा के लिए ऐसे संगठन से सतर्क तथा सावधान रहने की आवश्यकता है जो राष्ट्रीयता तथा देशभक्ति में विश्वास नहीं रखता, जो इस्लामी राज्य की स्थापना को सब बीमारियों का समाधान मानता हो, जो भारतीय संविधान की उपेक्षा करता हो, तथा जो इस्लाम की सत्ता का सब पंथों-मजहबों पर प्रभुत्व चाहता हो। समय रहते यदि भारतीय नहीं चेते तो यह जमात-ए-इस्लामी-ए-हिन्द मुस्लिम लीग की भांति देश के एक और विभाजन की मांग करती दिखेगी।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Five state election

पांच राज्यों में विधानसभा उपचुनाव: राजनीतिक नब्ज और भविष्य की दिशा

नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते प्रशांत भूषण। (बाएं से ) हर्ष मंदर, प्रियाली सुर, कोलिन गोंजाल्विस और रीता मनचंदा

रोहिंग्याओं के रखवाले : झूठ की नाव, हमदर्दी के चप्पू

Ghaziabad Police attacked constable saurabh killed

गाजियाबाद में पुलिस पर हमला: कॉन्स्टेबल सौरभ की गोली लगने से मृत्यु, बदमाश कादिर फरार

Uttarakhand communal violence

उत्तराखंड: बनभूलपुरा में सांप्रदायिक तनाव,  पथराव के बाद भारी फोर्स तैनात

Trukiye president Rechep taiyap erdogan Shahbaz sarif

लो हो गई पुष्टि! तुर्की ने भारत के खिलाफ की थी पाकिस्तान की मदद, धन्यवाद देने इस्तांबुल पहुंचे शहबाज शरीफ

British women arrested with Kush

मानव हड्डियों से बने ड्रग ‘कुश’ की तस्करी करते श्रीलंका में ब्रिटिश महिला गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Five state election

पांच राज्यों में विधानसभा उपचुनाव: राजनीतिक नब्ज और भविष्य की दिशा

नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते प्रशांत भूषण। (बाएं से ) हर्ष मंदर, प्रियाली सुर, कोलिन गोंजाल्विस और रीता मनचंदा

रोहिंग्याओं के रखवाले : झूठ की नाव, हमदर्दी के चप्पू

Ghaziabad Police attacked constable saurabh killed

गाजियाबाद में पुलिस पर हमला: कॉन्स्टेबल सौरभ की गोली लगने से मृत्यु, बदमाश कादिर फरार

Uttarakhand communal violence

उत्तराखंड: बनभूलपुरा में सांप्रदायिक तनाव,  पथराव के बाद भारी फोर्स तैनात

Trukiye president Rechep taiyap erdogan Shahbaz sarif

लो हो गई पुष्टि! तुर्की ने भारत के खिलाफ की थी पाकिस्तान की मदद, धन्यवाद देने इस्तांबुल पहुंचे शहबाज शरीफ

British women arrested with Kush

मानव हड्डियों से बने ड्रग ‘कुश’ की तस्करी करते श्रीलंका में ब्रिटिश महिला गिरफ्तार

वट पूजन पर्व पर लें वृक्ष संरक्षण का संकल्प

सीडीएस  जनरल अनिल चौहान ने रविवार को उत्तरी एवं पश्चिमी कमान मुख्यालयों का दौरा किया।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद उभरते खतरों से मुकाबले को सतर्क रहें तीनों सेनाएं : सीडीएस अनिल चौहान 

तेजप्रताप यादव

लालू यादव ने बेटे तेजप्रताप काे पार्टी से 6 साल के लिए किया निष्कासित, परिवार से भी किया दूर

जीवन चंद्र जोशी

कौन हैं जीवन जोशी, पीएम मोदी ने मन की बात में की जिनकी तारीफ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies