पाठकीय : अंक-सन्दर्भ 0 16 सितम्बर,2012
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पाठकीय : अंक-सन्दर्भ 0 16 सितम्बर,2012

by
Oct 6, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 06 Oct 2012 16:04:59

आवरण कथा में श्री नरेन्द्र सहगल ने बिल्कुल सही लिखा है कि श्री अमरनाथ यात्रा के विरुद्ध फिर कट्टरवादी षड्यंत्र शुरू हो गया है। षड्यंत्रकारी चाहते हैं कि न तो अमरनाथ यात्रा हो और न हो वैष्णो देवी की यात्रा। इन यात्राओं को वे लोग इस्लाम की सेहत के लिए ठीक नहीं मानते हैं। जबकि वास्तविकता तो यह है कि इन यात्राओं से जम्मू-कश्मीर राज्य के लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। पर जिनकी सोच संकीर्ण हो उसके सामने सब कुछ तुच्छ है।

–राममोहन चंद्रवंशी

अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर, टिमरनी जिला–हरदा (म.प्र.)

एक बार शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे ने वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं पर हो रहे हमलों की प्रतिक्रिया में कहा था वे हज यात्रा को बाधित कर देंगे। इस पर संसद से सड़क तक हंगामा हो गया था। पर अमरनाथ यात्रा के सन्दर्भ में कहीं कोई आवाज नहीं उठ रही है।

–बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110001

कश्मीरी अलगाववादियों को वहां की सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है। अलगाववादी अमरनाथ यात्रा को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं, हिन्दुओं की भावना को भड़का रहे हैं, फिर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। जब तक अलगाववादियों को ठिकाने नहीं लगाया जाएगा तब तक कश्मीर में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती है।

–मृत्युंजय दीक्षित

123, फतेहगंज, गल्ला मण्डी

लखनऊ-226018(उ.प्र.)

सम्पादकीय 'श्री अमरनाथ यात्रा पर टेढ़ी नजर बर्दाश्त नहीं' अच्छा लगा। मन में बार-बार यह प्रश्न उठता है कि चाहे जिहादी हों या अलगाववादी ये सब हिन्दुओं के विरुद्ध ही कार्य क्यों करते हैं? गहराई से सोचने पर इस प्रश्न का उत्तर भी हर किसी को अपने अन्दर से ही मिल जाता है। उत्तर है हिन्दुओं ने इतिहास से अब तक सबक नहीं लिया है। हिन्दुओं को अपने गौरवशाली इतिहास से सीख लेकर अपनी आगे की रणनीति बनानी होगी।

–हरिहर सिंह चौहान

जंवरी बाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)

हिन्दुत्व से जुड़ी हर बात को साम्प्रदायिक बताने वाले लोग इस्लामी कट्टरता पर चुप क्यों रहते हैं? इन्हीं लोगों की वजह से कट्टरवादियों के हौसले बढ़ रहे हैं।

–मनोहर 'मंजुल'

पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाड़ (म.प्र.)

सैयद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादियों की एक ही जगह है जेल। गिलानी कहते हैं कि अमरनाथ यात्रियों को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं बन्द होनी चाहिए। वे ऐसी ही बातें हज यात्रा के बारे में क्यों नहीं करते हैं? हज यात्रा के लिए सरकारी खजाने से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च होते हैं।

–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा

कांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)

सजग रहे भारत

श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'युवा मुस्लिम वैज्ञानिकों, डक्टरों, पत्रकारों में जिहादी आतंकवाद की सेंध' राष्ट्रवादियों में निश्चित रूप से चिन्ता पैदा करती है। मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच जिहादी तत्वों का पहुंचना भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा खतरा है। इस वास्तविकता को ध्यान में रखकर भारत को सजग रहना होगा।

–क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा-825409 (झारखण्ड)

सपा की मुसीबत आजम

शशि सिंह की रपट 'आजम बने मुलायम के गले की फांस' बहुत ज्यादा पसन्द आई। आजम खान अपने को हर कानून से ऊपर मानने लगे हैं। कुछ भी बोल रहे हैं, कुछ भी कर रहे हैं। किसी को भरी सभा में जलील कर रहे हैं। रह-रहकर अपनी ही सरकार को टेढ़ी नजर से देखते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति निश्चित रूप से सपा सरकार को बदनाम कर रही है।

–अनूम कुमार शुक्ल 'मधुर'

संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर, लखनऊ-226004 (उ.प्र.)

सही व प्रमाणिक इतिहास

इतिहास दृष्टि में डा. सतीश चन्द्र मित्तल के लेख 'मुगल शासकों को महान बताना देश का अपमान है' में सेकुलर इतिहासकारों की कलई खोलकर प्रशंसनीय कार्य किया गया है। इस हेतु साधुवाद! लेखक ने अकबर और अन्य मुगल शासकों द्वारा भारतीय मानदण्डों पर चोट, उनका स्वार्थ, आपसी कलह व व्यभिचार आदि पर विस्तृत प्रकाश डालकर सही व प्रामाणिक इतिहास पाठकों के समक्ष रखा है। वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, रानी दुर्गावती, गुरु गोविन्द सिंह जैसे राष्ट्रभक्त महापुरुषों के बारे में युवा पीढ़ी को बताया जाना चाहिए। आज के परिवेश में इसकी बड़ी आवश्यकता है।

–नित्यानन्द शर्मा

335/8, शिल्ली सड़क, सोलन (हि.प्र.)

वैवाहिक आयोजनों में सादगी का संदेश

भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ ने विवाह समारोहों को सादा रखने और लड़की के परिवार का खर्च कम करवाने का जो विचार समाज के सामने रखा है, इस संदर्भ में यह भी याद रखना होगा कि ऐसे सुधार कानून के डंडे से नहीं लाए जाते, स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करके करवाए जाते हैं।

श्रीमती तीरथ से मेरा यह सवाल है कि वर्तमान केन्द्र सरकार के शासनकाल में जितने मंत्रियों, उच्चाधिकारियों, सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं के घरों में विवाह आदि उत्सव हुए, जरा उनका लेखा-जोखा देश के सामने रखें। क्या एक भी नेता, अधिकारी, सांसद अथवा मंत्री ऐसा है जिन्होंने अपने घर के विवाह आदि उत्सवों को सादगी से मनाया? भगवान श्रीकृष्ण जी ने गीता में यह कहा है कि जिस रास्ते पर महापुरुष चलते हैं, आम जन उसी का अनुकरण करता है। क्या यह सच नहीं कि हजारो व्यक्तियों की उपस्थिति के साथ शादी का समारोह किया गया? वैसे आपको याद करवा दूं कि अगर विवाह पर खर्च के कारण कन्या भ्रूण हत्या होती तो गरीब के घर में होती। इस देश का गरीब बेटी नहीं मारता। साधन-संपन्न, सुशिक्षित व्यक्ति ही अधिकतर बेटियां मारते हैं। जिस देश में आज भी बलात्कार पीड़िता को न्याय नहीं मिलता, पुलिस न्याय देने से पहले सत्तापतियों का संकेत लेेती है अथवा धनबल न्याय देने या न देने में प्रभावी भूमिका रखता है वहां बेटियां तो क्या कोई भी कमजोर व्यक्ति सुरक्षित नहीं। अच्छा हो कि पहले श्रीमती तीरथ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं, सत्ता में भागीदार  राजनीतिक दलों तथा उच्चाधिकारियों को एक नैतिक संदेश दें और वही सादगी का उदाहरण जनता के सामने प्रस्तुत करें।

–लक्ष्मीकांता चावला

श्अमृतसर (पंजाब)

…फिर जे.पी.सी. बनी क्यों?

ऐसा लगता है कि 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए के 2-जी स्पेक्ट्रम घोटले की जांच के लिए कांग्रेसी सांसद पी.सी. चाको की अध्यक्षता में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इतिहास दुहराने जा रही है। इस बात की भरपूर संभावना है कि इसका भी हश्र नब्बे के दशक में गठित बोफर्स तोपों की दलाली के मामले जैसा होगा। उस वक्त भी विपक्षी सांसदों को संयुक्त संसदीय समिति से बहिर्गमन करना पड़ा था और कमोबेश अब भी ऐसी ही स्थितियां हैं। विवाद की जड़ यह कि समिति के विपक्षी सदस्य खासतौर पर भाजपा के सदस्य, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम को समिति के समक्ष गवाही के लिए बुलाना चाहते हैं। जबकि समिति के अध्यक्ष श्री चाको इसके लिए तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में बड़ा सवाल यह कि क्या प्रधानमंत्री एवं वित्तमंत्री को समिति के समक्ष बुलाना औचित्यपूर्ण है? अब इसमें कोई विवाद नहीं कि वर्ष 2006 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें मंत्रिमण्डल समूह के विचार बिन्दु को उनके मुताबिक बनाने को कहा गया था। साथ ही स्पेक्ट्रम की कीमत भी तय करने का अधिकार मंत्रिमण्डल समूह के बजाय उन्हें देने का आग्रह किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मंत्रिमण्डल समूह की भूमिका पूरी तरह खत्म कर दी थी, जिससे दूरसंचार मंत्रालय को पूरा अधिकार मिल गया और उसकी परिणति में 1 लाख 86 हजार करोड़ रु. का घोटाला हो गया। यह निश्चित रूप से प्रधानमंत्री से पूछताछ का विषय है कि उन्होंने मंत्रिमण्डल की भूमिका खत्म कर यह अधिकार पूरी तरह दूरसंचार मंत्रालय को कैसे दे दिया? गत वर्ष जब जेपीसी के गठन को लेकर विपक्षी दल संसद नहीं चलने दे रहे थे, तब प्रधानमंत्री ने स्वत: कहा था कि वह लोक लेखा समिति के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित होने को तैयार हैं। पर ऐसा लगता है कि मनमोहन सिंह ने उक्त बात इसलिए कही थी कि जेपीसी का गठन न हो सके। दूसरे उन्हें पता था कि उनकी पार्टी और सहयोगी दलों के सांसद यह कहकर उन्हें पीएसी के समक्ष नहीं उपस्थित होने देंगे कि पीएसी को प्रधानमंत्री को बुलाने का अधिकार नहीं है। बड़ी बात यह कि यदि प्रधानमंत्री पीएसी के समक्ष उपस्थित होने को तैयार थे तो अब जेपीसी में उपस्थित होने को लेकर मौन क्यों धारण किए हुए हैं? क्यों स्वत: नहीं कहते कि वे जेपीसी के समक्ष उपस्थित होने को तैयार हैं? प्रधानमंत्री की चुप्पी से यह स्पष्ट है कि पीएसी के समक्ष उपस्थित होने की बात कहकर उन्होंने देश को गुमराह करने का प्रयास किया था, जो प्रकारान्तर से एक तरह का पाखण्ड ही कहा जा सकता है।

अब रहा सवाल चिदम्बरम का, तो 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सर्वोच्च न्यायालय ने भले ही चिदम्बरम की आपराधिक साजिश की भूमिका न मानी हो, पर इस घोटाले में चिदम्बरम की संलिप्तता की बात सरकार स्वत: मान चुकी है। जिसका सबसे बड़ा प्रमाण 15 मार्च 2012 की वित्त मंत्रालय की वह चिट्ठी है, जो सिर्फ वित्त मंत्रालय द्वारा नहीं पीएमओ सहित चार दूसरे मंत्रालयों द्वारा तैयार की गई थी। जिसमें साफतौर पर यह कहा गया था कि यदि तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम चाहते तो घोटाला रोक सकते थे। अब ऐसी स्थिति में चिदम्बरम को जेपीसी के समक्ष उपस्थित होकर यह तो बताना ही चाहिए कि इतने बड़े घोटाले से उन्होंने आंखें क्यों बन्द कर लीं और उसे क्यों होने दिया?

–वीरेन्द्र सिंह परिहार

अर्जुन नगर, सीधी (म.प्र.)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies