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सुदर्शन जी के विचारों को जीवन में उतारें

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Oct 6, 2012, 12:00 am IST
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सुदर्शन जी के विचारों को जीवन में उतारें

दिंनाक: 06 Oct 2012 15:45:59

दिल्ली में रा.स्व.संघ के पांचवें सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन की स्मृति में श्रद्धाञ्जलि सभा

–भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में गत 30 सितंबर को रा.स्व.संघ के पांचवें सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन की स्मृति में श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन किया गया। श्री सुदर्शन का विगत 15 सितंबर को रायपुर (छ.ग.) में निधन हो गया था। श्रद्धाञ्जलि सभा में रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी, विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी, अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष श्री उमर अहमद इलियासी, अमरीका के प्रसिद्ध हिन्दू चिंतक डा. डेविड फ्राले (पण्डित वामदेव शास्त्री), श्रीमती गैरी डोलमा, वरिष्ठ पत्रकार श्री अश्विनी कुमार, सांसद सरदार त्रिलोचन सिंह, जनता दल (यू) के राष्ट्रीय महासचिव श्री अरुण श्रीवास्तव, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल श्री विजय कपूर आदि ने उपस्थित होकर स्व. सुदर्शन को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए उनके जीवन से जुड़े अनेक प्रेरक प्रसंगों को साझा किया।

 

श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि सुदर्शन जी का जीवन सादगीपूर्ण, अनुशासित और पारदर्शितापूर्ण था। जोकि हमारे सामने एक आदर्श है। अनेक विषयों पर उनका चिंतन रहता था। सुदर्शन जी ने जो भी विचार रखे वे किसी को प्रभावित करने के लिए नहीं, अपितु समाज की समस्याओं से जुड़े हुए विषयों के प्रति समाज में गंभीर संदेश देने के उद्देश्य से रखे। समाज के बीच दूरी उत्पन्न न हो इसलिए उन्होंने समय-समय पर समाज के वर्गों को साथ बिठाने का महत् कार्य     भी किया।

भैयाजी ने कहा कि हिन्दू समाज का संगठन सुदर्शन जी के जीवन का लक्ष्य था। साथ ही देश ऊर्जा, कृषि, गोरक्षा, जल संरक्षण आदि विषयों को लेकर अपने पैरों पर खड़ा रहे, स्वाभिमान के साथ खड़ा रहे, इसी साधना में उन्होंने अपना सारा जीवन लगा रखा था। उन्होंने कहा कि सुदर्शन जी का दृढ़ विश्वास था देश में परिवर्तन आएगा, भारत विश्वगुरु फिर से बनेगा। उनका मानना था कि विश्व का मार्गदर्शन करने की क्षमता यहां के सिद्धान्त में है, यहां की जीवनशैली में है, यहां के समाज में है।

भैयाजी ने कहा कि विचारों के चलते सुदर्शन जी ने कभी संबंधों में बाधा नहीं आने दी। वे सामान्य व्यक्ति से लेकर श्रेष्ठ विद्वान व्यक्ति के बीच तक अपनी शैली, अपने चिंतन के आधार पर स्थान बनाते गए। सुदर्शन जी के विचारों को हम हृदय में धारण करते हुए जिस मार्ग पर वे जीवन के अंत तक चलते रहे, उसी मार्ग पर चलने का संकल्प लें। यही सुदर्शन जी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धाञ्जलि होगी।

श्री अशोक सिंहल ने कहा कि देश में रा.स्व.संघ के रूप में ईश्वरीय शक्ति प्रकट हुई। सुदर्शन जी भारत में भगवान द्वारा ईश्वरीय कार्य का संचालन करने के लिए नियुक्त किए गए। उन्होंने अभूतपूर्व क्षमता के साथ अपने सभी दायित्वों का निर्वहन किया।

श्री नितिन गडकरी ने कहा कि सुदर्शन जी को अनेक विषयों की अच्छी जानकारी थी। इस सबके पीछे उनकी एक धारणा थी कि हमारे देश के लोग स्वदेशी विचार के साथ देश की उन्नति और विकास किस प्रकार कर सकते हैं। इसमें उनका मौलिक चिंतन था। सुदर्शन जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज कार्य के लिए दे दिया था। 

उमर अहमद इलियासी ने भावपूर्ण श्रद्धाञ्जलि देते हुए कहा कि सुदर्शन जी कहा करते थे कि भारत में रहने वाले मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं। वे यहीं के हैं। उनका चिंतन हमेशा इस बात पर रहता था कि भारत मजबूत कैसे बने, महाशक्ति कैसे बने। श्रीमती गैरी डोलमा ने कहा कि सुदर्शन जी के जाने का हमें बहुत दुख है। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे।

मंच पर योगीराज श्री अमर ज्योति, आचार्य लोकेश मुनि, रा.स्व.संघ उत्तर क्षेत्र के संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त, रा.स्व.संघ दिल्ली के सह प्रांत संघचालक डा. श्याम सुन्दर अग्रवाल, ईसाई चिंतक श्री आर.एल. फ्रांसिस एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता श्री रवि शंकर भी आसीन थे। मंच संचालन रा.स्व.संघ, दिल्ली के प्रांत कार्यवाह श्री विजय कुमार ने किया।

कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार, श्री अशोक बेरी, संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रेम जी गोयल सहित हजारों की संख्या में संघ तथा अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभा के विधिवत् शुभारम्भ से पूर्व संस्कार भारती के कार्यकर्ताओं ने भक्ति गीतों की सुन्दर           प्रस्तुति की।   श्प्तिनिधि

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