दृष्टिपात/जापान को चीन की भभकियां
|
जापान को चीन की भभकियां
विवादित टापुओं पर मालिकाना हक को लेकर इन दिनों जापान और चीन में खूब ठनी हुई है। जिन टापुओं को चीन पुराने जमाने से अपने कहता आ रहा है, वहां जापान के लोग संपत्तियां खरीद रहे हैं, लिहाजा चीन फुफकार रहा है। चीनी जनता सड़कों पर उतरकर 'जापान-हाय हाय' के नारे लगा रही है। उधर चीनी सरकार रोजाना जापान को किसी न किसी बहाने भभका रही है, घुड़का रही है। 18 सितम्बर को बीजिंग स्थित जापानी दूतावास के सामने हजारों चीनी नागरिकों ने इकट्ठे होकर 'हाय-हाय' की। यह वह दिन था जब चीन ऐतिहासिक 'मुकडेन घटना' की याद में सालाना 'मुकडेन दिवस' मनाता है।
बहरहाल, जापान और चीन के बीच ताजा गरमागरमी सेनकाकू टापुओं (जिन्हें चीन में दियाओयू टापू कहते हैं) को लेकर है। टापुओं पर कोई जनजीवन नहीं है, पर संसाधन खूब हैं। इन पर जापानी 'कब्जा' कर रहे हैं, पर ताइवान भी दावा ठोकता है। चीन का कहना है कि पूर्वी चीन सागर में स्थित इन टापुओं पर उसका हक है, क्योंकि ये ऐतिहासिक रूप से चीन के हिस्से रहे हैं। जापान ने पिछले हफ्ते ही एक निजी स्वामी से उन टापुओं में से तीन खरीदने का सौदा किया। चिढ़कर चीन ने टापुओं की 'गश्त' के लिए नौकाएं भेज दीं। तलवारें खिचीं देखकर अमरीकी रक्षामंत्री लियोन पेनेटा बीजिंग पहुंच गए और चीनी रक्षामंत्री तथा दूसरे बड़े वाले नेताओं से मुलाकातें कीं। टापुओं को भूलकर पेनेटा अमरीका-चीन के बीच नजदीकी फौजी रिश्तों की पैरवी करते सुने गए। लेकिन बीजिंग से पहले तोक्यो घूम आए पेनेटा ने वहां, बताते हैं, तनाव की बाबत चिंता जताते हुए दोनों पक्षों से ठंड रखने को कहा था।
'आतंक को हवा दे रहे हैं ड्रोन'
यू.के. के पूर्व अधिकारी ने चेताया
ब्रिटेन के पुराने बड़े वाले कानूनी अधिकारी ने पाकिस्तान में अमरीकी ड्रोन हमलों पर लानतें भेजते हुए कहा कि इन हमलों में चाहे-अनचाहे आम नागरिक भी मारे जाते हैं जिससे गुस्सा पैदा होता है, जिससे आतंक को हवा मिलती है। पब्लिक प्रोसिक्यूशन के पूर्व निदेशक लार्ड मैक्डोनाल्ड ने कहा कि, इससे पश्चिम से खार खाने वाली नई पीढ़ी पैदा हो रही है। उन्होंने ब्रिटिश सरकार पर भी खुफिया जानकारियां देकर ड्रोन हमले करने में अमरीका की मदद करने का आरोप जड़ा। लार्ड विवादित ड्रोन हमलों में ब्रिटिश भूमिका साफ करने की भी मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार, इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि अल कायदा और तालिबानी सरगनाओं को ढेर करने वाले हमलों से पहले खुफिया सुराग ब्रिटिश जी.सी.एच. क्यू. ने उपलब्ध कराए थे।
लार्ड कहते हैं, ब्रिटेन अपनी खुफिया जानकारी दूसरों को देकर अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ रहा है और लगता है कि ब्रिटेन के मंत्रियों ने अमरीका को उसके हमलों में मदद देने का बड़ा फैसला कर लिया है। ऐसी गंभीर नीति से पश्चिम के खिलाफ गुस्सा पैदा होने का खतरा है।
सिंध की अदालत ने कराची प्रशासन को कहा
मत तोड़ो मंदिर
पाकिस्तान के बड़े अखबार 'द डान' के हवाले से खबर आई है कि पाकिस्तानी सूबे सिंध के उच्च न्यायालय ने समुद्रतट पर बसे कराची शहर के अधिकारियों को 200 साल पुराने माने जाने वाले श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर को तोड़ने से रोक दिया है। नेटिव जेट्टी ब्रिज पर बने इस प्राचीन मंदिर को अब कराची पोर्ट ट्रस्ट या कोई और तोड़ नहीं पाएगा। मुख्य न्यायाधीश मुशीर आलम की पीठ ने अदालत के एक अफसर को मन्दिर का मुआयना करके रपट दर्ज करने को कहा है।
मंदिर परिसर में ही रहने वाले एक हिन्दू श्रद्धालु कैलाश विशराम ने अदालत में यह कहते हुए मामला दाखिल कराया था कि कराची पोर्ट ट्रस्ट के साथ जुड़ी एक निजी कंपनी ने कोई निर्माण कार्य शुरू किया था जिससे मन्दिर से समुद्र तट जाने का रास्ता बंद हो गया है। अपील में कहा गया था कि निर्माण कार्य से पूजा स्थल और मोटे तौर पर, अल्पसंख्यकों पर खतरा पैदा हो गया है। मामले में पोर्ट एंड शिपिंग मंत्रालय के सचिव, कराची पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष और वहां खाने का रेस्तरां चलाने वाली निजी कम्पनी को प्रतिवादी बनाया गया था। वादी विशराम ने कहा था कि मन्दिर उस जगह बंटवारे से बहुत पहले बनाया गया था और हिन्दू श्रद्धालु लंबे समय से यहां पूजानुष्ठान करते आ रहे हैं।
पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के अनुसार, श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर हिन्दुओं के मिलने-जुलने, पूजा-पाठ, तीज-त्योहार, सुख-दुख बांटने का प्रमुख केन्द्र है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मन्दिर, उसकी सीढ़ियां, चहारदीवारी और गलियारों को तोड़ा न जाए।
टिप्पणियाँ