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पाञ्चजन्य की दबंग पत्रकारिता, देश के करोड़ों पाठकों
को पसंद आ रही है, इसके लिये बधाई।
तीखे साहित्य को भी स्थान दे सकें तो अच्छा रहेगा।
तीखा, कड़वा सच, साहित्य, कोई छापता ही नहीं है।
फिर भी पाञ्चजन्य, ऐसी सामग्री दे रहा है
ये क्या कम है,सूखे सावन की हरियाली शुभकामनाएं।
–निखिल कुमार
परमार्थ गंगा संस्था, बाबई रोड, होशंगाबाद (म.प्र.)
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