देश कांग्रेस की जागीर नहीं है कि मनमाने तरीके से सरकारी खजाने की लूट से जनता आंखें मूंद ले और राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला व अब कोयला खदान आवंटन घोटाला जैसे महा भ्रष्टाचार के एक के बाद एक आयाम जुड़ते चले जाएं, जबकि प्रधानमंत्री गठबंधन की मजबूरी की आड़ लेकर सफाई देते रहें! कोयला खदान आवंटन घोटाला तो स्वयं प्रधानमंत्री के कोयला मंत्रालय के प्रभारी रहते हुआ, तो दोष 'कैग' के मत्थे क्यों मढ़ा जा रहा है? जबकि वास्तव में इसके लिए प्रधानमंत्री स्वयं नैतिक और प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं। इस सारी छीछालेदर से बौखलाई कांग्रेस विपक्ष पर बहस से भागने का आरोप लगा रही है जबकि वह खुद इस सरकार की छत्रछाया में हो रहे बड़े-बड़े घोटालों पर जवाब देने से कतराती रही है। अब उसके एक बड़बोले महासचिव ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की राजनीतिक मंशा का जुमला उछाला है। प्रधानमंत्री भी जब लोकसभा में जवाब देने आए तो उन्होंने तथ्यों को रखने की बजाय विपक्ष और 'कैग' पर निशाना साधकर अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की। स्वयं कांग्रेस ने भी भाजपा और 'कैग' के प्रति ही अपनी तल्खी दिखाई है और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके विरोध में पार्टी के सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है। वे भूल रही हैं कि देश उनकी असलियत जान गया है और वह इस भ्रष्टाचारी सरकार को माफ करने के लिए कतई तैयार नहीं है, क्योंकि इस सरकार की न देश में आस्था है और न देश के संविधान में।
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