बाल कहानीआपस में बैर अच्छा नहीं-हरिशंकर काश्यप-
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बाल कहानीआपस में बैर अच्छा नहीं-हरिशंकर काश्यप-

by
Aug 25, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 25 Aug 2012 15:57:14

 

किसी कुंए में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके दो दल थे। दोनों दलों के दो अलग-अलग मुखिया थे। दोनों दलों एवं मुखियाओं में बड़ा मेल था। कुछ दिन बाद उन दोनों दलों एवं दोनों दलों के मुखियाओं में किसी बात पर कहासुनी हो गई। यही कहासुनी बाद में धीरे-धीरे कटुता और फिर शत्रुता में बदल गई। उनकी अनबन का मुख्य कारण अपनी नेतागिरी चलाना था। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हावी होना चाहते थे।

एक दल का मुखिया गंगदत्त था। दूसरे दल का मुखिया भैरव था। दोनों मुखिया तेज थे। पर गंगदत्त ईर्ष्यालु था। वह अपने शत्रु पक्ष से बदला लेने तथा उन्हें नीचा दिखाने कुंए से निकल कर एक सांप के पास गया और बोला, 'मैं तुमसे दोस्ती करने आया हूं। मेरे अन्य बन्धु मुझे नीचा दिखाकर मेरा अपमान करना चाहते हैं। मैं तुम्हारी सहायता से उनसे बदला लेने की बात सोच रहा हूं। तुम मेरे साथ चलो। तुम्हारे भोजन की चिंता करना मेरी जिम्मेदारी है। मैं तुम्हें नित्य रुचिकर भोजन खाने को दूंगा।'

सांप बूढ़ा हो चला था। उसने सोचा, 'अच्छा प्रस्ताव है। बिना परिश्रम बैठे-बैठे भोजन मिलेगा, इसलिए अवसर हाथ से न खोते हुए, उसने हां कर दी।' वह गंगदत्त के साथ कुंए में आ गया। गंगदत्त मन ही मन खुश हो रहा था। वह सोच रहा था कि मैं शत्रुओं को मरवा कर खुद अपने दल के साथ चैन से स्वामी बन कर रहूंगा, बेचारे को क्या पता था कि यह सौदा उसे बड़ा ही महंगा पड़ेगा।

कुंए में एक बिल था। वह सांप उसी में रहने लगा। वह सांप गंगदत्त के कहे अनुसार भैरवदत्त के पक्ष के मेढकों को एक-एक कर चुन-चुन कर खाने लगा। सांप खुश था। एक दिन उसने भैरवदत्त का ही सफाया कर डाला। भैरवदत्त मोटा-ताजा था। सांप को मजा आ गया। कुछ ही दिनों में उसने शत्रु पक्ष के सभी मेंढक चट कर डाले। अब वह स्वतंत्र और स्वेच्छाचारी बन चुका था।

उसने एक दिन गंगदत्त से कहा, 'अब बताओ, मेरे खाने की क्या व्यवस्था है। तुम्हारे शत्रु पक्ष के मेंढक तो मैं खाकर समाप्त कर चुका। तुम मुझे भोजन देने का वचन देकर यहां इस कुंए में लाए हो। अत: मेरे भोजन का प्रबंध तो तुम्हीं को करना होगा।'

गंगदत्त बोला, 'भाई, अब तुम अपनी पहली वाली जगह पर चलो। मैं तुम्हें जिस काम के लिए लाया था वह तो पूरा हो गया। मैं तुम्हें तुम्हारी उसी जगह पहुंचा दूंगा। तुम तैयार हो जाओ।' पर सांप किसी भी प्रकार वहां से जाने को राजी न हुआ। उसे तो आंखों के सामने बड़ा ही स्वादिष्ट भोजन का भण्डार दिखाई दे रहा था।

सांप बोला, 'मैं अब वहां नहीं जाऊंगा। वहां अब कोई अन्य सांप आ गया होगा। वह मुझे नहीं रहने देगा। मैं यहीं सुख से हूं।' अंत में तय हुआ कि गंगदत्त उसे एक-एक मेंढक रोज खाने को देगा। अब गंगदत्त रोने और पछताने लगा। उसे अपनी भूल समझ में आ गई। वह कहने लगा, 'मैंने शत्रु को बुलाकर अच्छा नहीं किया। मैंने अपना सर्वनाश स्वयं कर डाला।'

अब धीरे-धीरे गंगदत्त के परिजनों की संख्या एक-एक करके कम होने लगी। गंगदत्त मन-ही-मन सोचने लगा कि कांटे से कांटा निकालने की नीति ने मेरा ही विनाश कर डाला। वह समझ गया कि जो कोई अपने से अधिक बलवान शत्रु से दोस्ती करता है, उसकी सच में यही दुर्दशा होती है। उसके प्रिय संबंधी भी मारे जाने लगे।

एक दिन उस सांप ने गंगदत्त के बड़े बेटे यमुनादत्त को उसी की आंखों के सामने मारकर खा डाला। बेचारा गंगदत्त रो पड़ा। वह खून का घूंट पीकर रह गया। गंगदत्त को दु:खी देखकर उसकी पत्नी कहने लगी, 'अब क्यों रोते हो! तुमने ही तुच्छ पद और झूठी शान के लिए स्वार्थवश अपने जातीय बन्धुओं का नाश करवाया है। अब तुम स्वयं भी इसी प्रकार नष्ट हो जाओगे।'

अगले दिन उस सांप ने गंगदत्त के देखते ही देखते उसकी पत्नी को मार डाला और खा लिया। कुछ दिन बाद सारे के सारे मेंढक समाप्त हो गए केवल गंगदत्त ही बाकी बचा। तब सांप बोला, दोस्त, मैंने कुंए के मेंढक सब खा लिए हैं। अब तू जल्दी ही अन्यत्र मेरे खाने का प्रबंध कर। मैं मित्र होने के कारण तुझे नहीं खाऊंगा।'

गंगदत्त रातभर अकेला बैठा रोता रहा। उसे अंत में एक युक्ति सूझी। उसने प्रात: सांप से कहा, 'मुझे दो दिन का समय दो। मैं बाहर जाकर अन्य मेंढकों को यहां इस कुंए में बुला लाता हूं। फिर तुम उन्हें आनन्द से खाते रहना।' सांप खुशी से भर उठा। गंगदत्त बाहर निकल आया। सांप उसकी प्रतीक्षा ही करता रहा। सच है- 'आपस में वैर अच्छा नहीं होता।'

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

कर्नल सोफिया कुरैशी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया क्यों चुनी सेना की राह?

“ये युद्धकाल है!” : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से नेपाल सीमा तक अलर्ट, CM ने मॉकड्रिल और चौकसी बरतने के दिए निर्देश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies