सीमा पार पहुंचा 'लवजिहाद' का जहर
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सीमा पार पहुंचा 'लवजिहाद' का जहर

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Aug 6, 2012, 12:00 am IST
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सीमा पार पहुंचा 'लवजिहाद' का जहर

दिंनाक: 06 Aug 2012 12:14:01

लंदन के लुटोन शहर में विरोध प्रदर्शन

पंजाब/राकेश सैन

भारत के बाद अब विदेशों में भी 'लव जिहाद' की समस्या ने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। दु:ख की बात यह है कि सिख समाज में अभी इस खतरे के प्रति जागरूकता नहीं है, परन्तु कुछ स्थानों पर इसका विरोध शुरू हो चुका है। गत 1 जुलाई को इसके खिलाफ लंदन के लुटोन शहर में इंग्लिश डिफेंस लीग के दर्जन भर सदस्यों ने पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन किया और यातायात बाधित किया। सूत्रों के अनुसार विदेशों में भारत और पाकिस्तान के लोग एक साथ रहते हैं। सिख परिवारों के पंजाबी होने का लाभ उठाकर पाकिस्तानी पंजाब के लड़के इन हिन्दू परिवारों में घुसपैठ कर रहे हैं। भारतीय लोगों की सदाशयता का लाभ उठाकर पाकिस्तानी युवक इन परिवारों से निकट संबंध बना लते हैं और तब शुरू होती है असली समस्या। ये युवक इन भारतीय परिवारों को बहन-बेटियों पर बुरी नजर रखते हैं और कई बार तो बात बदनामी तक पहुंच जाती है।

इंग्लिश डिफेंस लीग के नेता टोमी रॉबिन्सन ने बताया कि मुस्लिम लड़कों के गिरोहों को पुलिस का कोई डर नहीं है। पुलिस-प्रशासन सिख समाज की रक्षा करने में विफल रहा है, तभी हमें सड़कों पर निकलना पड़ा है। लुटोन गुरुद्वारे के पाठी भाई जसविंद्र सिंह नागरा का कहना है कि जिस तरह से स्कूल-कालेज जाने वाली सिख छात्राओं को झूठे प्यार का शिकार बनाया जा रहा है और उनका मानसिक व शारीरिक शोषण किया जा रहा है, उसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अनिवासी भारतीय श्री बहादुर सिंह बताते हैं कि विदेशों में बसे पाकिस्तानियों में अधिसंख्या पंजाबियों की है। पंजाबी मुसलमान जानते हैं कि पंजाबीयत के नाम पर वे सिख परिवारों की भावनाओं को आसानी से भुना सकते हैं। इसके अलावा स्कूल-कालेजों में एक साथ पढ़ने पर भी सिख बच्चियां मुसलमानों के संपर्क में आ जाती है। टोरांटों में रेडियो कार्यक्रम 'रंगला पंजाब' चलाने वाले सरदार दिलबाग सिंह चावला बताते हैं कि सिख समुदाय हर पंथ-मजहब का सम्मान करता है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं कि हम अपनी बहन-बेटियों की इज्जत के साथ किसी को खेलने दें। उन्होंने बताया कि कई बार तो आधुनिक दिखने के चक्कर में माता-पिता भी मुस्लिम लड़कों के साथ अपनी लड़कियों की शादी कर देते हैं, परन्तु उनकी आधुनिकता का नशा उस समय काफूर हो जाता है जब उनकी बच्चियों को पाकिस्तान में असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है। सुर सागर टेलीविजन व रेडियो के संचालक सरदार रविंदर सिंह पन्नू कहते हैं कि बहुत-सी सिख लड़कियों को अवैध व वैध तरीके से पाकिस्तान ले जाया जा चुका है, जहां वे न घर की हैं, न घाट की। उन्होंने कहा कि वे रेडियो व टीवी के द्वारा लोगों को जागरूक करते रहेंगे।

 

शेर–ए–पंजाब की हवेली बनी कूड़ा घर

शेर–ए–पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की ऐतिहासिक धरोहर पाकिस्तान में कूड़े के ढेर में बदलती जा रही है। लाहौर स्थित महाराजा रणजीत सिंह की ऐतिहासिक बारादरी को कूड़ा घर बनाने के बाद अब उनकी पैतृक हवेली का बड़ा हिस्सा भी गैरसरकारी तौर पर कूड़ा घर में बदल दिया गया है। गुजरांवाला की हवेली, जिसमें महाराजा रणजीत सिंह का जन्म हुआ था, की निचली मंजिल पर देश के बंटवारे के बाद कई वर्षों तक पुलिस थाना था। उसी दौरान हवेली के पिछले हिस्से में 9-10 शौचालय बनाए गए। लगभग 7 वर्ष पहले हवेली से थाना तो हटा दिया गया, परन्तु खस्ताहाल शौचालयों और उनके बाहर पड़ी गंदगी को नहीं हटाया गया। इसके बाद आस-पास के घरों और दुकान वालों ने यहां कचरा फेंकना शुरू कर दिया। अब गंदगी के ढेर छह-सात फुट की ऊंचाई तक पहुंच चुका है। गुजरांवाला की मछली मंडी के साथ सटी पुरानी सब्जी मंडी में स्थित इस हवेली में आज भी वह नामपट्ट मौजूद है जिस पर अंग्रेजी व उर्दू में महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवम्बर, 1780 उकेरा गया है। नामपट्ट वर्ष 1891 में गुजरांवाला के डिप्टी कमिश्नर जे. एबटसन ने लगवाया था। अमृतसर के इतिहासकार श्री सुरिन्द्र कोछड़ ने बताया कि हवेली से थाना हटाए जाने के बाद अब इस पर पाकिस्तान के पुरातत्व विभाग का कब्जा है, परन्तु विभाग द्वारा हवेली की देख-रेख की तरफ ध्यान न दिए जाने से इसका बड़ा हिस्सा कूडा घर में तब्दील हो     चुका है।

 

छत्तीसिंह पुरा का सच अलगाववादी बेनकाब

अब उन लोगों को शर्म आनी चाहिए जो सन् 2000 में अमरीका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा से दो दिन पूर्व जम्मू-कश्मीर के छत्तीसिंहपुरा में निर्दोष सिखों के अमानवीय नरसंहार के पीछे सेना और सरकार का हाथ बताते आ रहे थे। हाल ही में गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अबू जिंदाल ने बताया है कि छत्तीसिंहपुरा में निर्दोष सिखों के खून की होली खेलने का पाप लश्कर-ए-तोयबा ने इसलिए किया था ताकि अमरीका और भारत के बीच होने वाली बातचीत में किसी न किसी तरह का व्यवधान पैदा किया जाए और इस नरसंहार के लिए भारतीय सेना को बदनाम किया जाए।

छत्तीसिंहपुरा  नरसंहार के बाद जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत कान्फ्रेंस सहित अनेक अलगाववादी संगठनों ने आरोप लगाने शुरू कर दिए थे कि इस हत्याकांड के पीछे भारत सरकार का हाथ है, जो कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति प्राप्त करना चाहती है। इन अलगाववादी गुटों के सुर में सुर मिलाते हुए पंजाब के अलगाववादी सगंठनों ने भी इसकी जांच अन्तरराष्ट्रीय एजेंसी से कराने की मांग कर डाली थी। शिरोणणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान, कांग्रेस समर्थित शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) सहित अनेक भूमिगत संगठनों ने भी इसके लिए भारत सरकार की भर्त्सना की थी।

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