उल्लास और उमंग का गीत है ऋग्वेद
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

उल्लास और उमंग का गीत है ऋग्वेद

by
Aug 6, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

उल्लास और उमंग का गीत है ऋग्वेद- हृदयनारायण दीक्षित-

दिंनाक: 06 Aug 2012 13:44:32

 हृदयनारायण दीक्षित

सुखी जीवन सबकी कामना है। इस विषय पर सैकड़ों पुस्तकें बिक रही हैं। इनमें चिन्ता छोड़ने और सकारात्मक ढंग से सोचने के उपाय होते हैं। अंग्रेजी में ऐसी किताबों की बाढ़-सी आ गई है। इनमें 'समय प्रबंधन' और 'काम को व्यवस्थित' ढंग से करने के सूत्र हैं, पर असली बातें छूट गयी हैं। मुख्य बात है जीवन दृष्टि। भारतीय दृष्टि के अनुसार हम सब एक विराट ब्रह्माण्ड की इकाई हैं, इसलिए विश्व परिवार के सदस्य हैं। सृष्टि में परस्परावलम्बन है। प्रकृति की सारी इकाइयां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। हम सब मनुष्य ही एक-दूसरे के रिश्तों के बंधन में नहीं हैं, कीट-पतंगे, पशु-वनस्पति और सूर्य-चन्द्र-तारे भी हमारे सम्बंधी हैं। ऐसी असंख्य इकाइयों की गति, प्रगति और सम्मिलित ऊर्जा का हम पर प्रभाव पड़ता है। जीवन इसी समग्रता का संगीत है। जीवन की एक और दृष्टि भी है। इस दृष्टि में प्रकृति और मनुष्य के बीच व्यापक अन्तर्विरोध है। मनुष्य और प्रकृति की शक्तियों के मध्य संघर्ष जारी है। मनुष्य जीत रहा है। उसने पहाड़ तोड़कर पानी निकाला है। पानी का बहाव रोककर बांध बनाये हैं। जंगल काटकर नगर बसाए हैं। इस जीवन दृष्टि का सीधा अर्थ है कि जीवन एक संघर्ष है। संघर्ष हमेशा तनाव देता है। जब जीवन ही संघर्ष हो तो पूरा व्यक्तित्व ही तनाव से भर जाता है। लेकिन वैदिक दृष्टि में समूची प्रकृति-सृष्टि दिव्य है। कहीं कोई संघर्ष नहीं है। जीवन और आनंद पर्यायवाची हैं। ऋग्वेद इसी जीवन दर्शन की प्राचीनतम अभिव्यक्ति है।

ऋग्वेद का महात्म्य

ऋग्वेद विश्व का प्राचीनतम काव्य संग्रह है। प्राचीनतम ज्ञान अभिलेख है। मनुष्य जाति के ज्ञात इतिहास की प्राचीनतम वाणी अभिव्यक्ति है। ऋग्वेद अंध-आस्था का ग्रन्थ नहीं है। यह कम से कम 8 हजार बर्ष पहले हमारे पूर्वजों के चित्त में उत्पन्न हुए काव्य मंत्रों का संकलन है। ऋग्वेद भारत की प्रज्ञा का प्राचीनतम इतिहास है। नि:संदेह यह यूरोपीय प्रकार का इतिहास नहीं है। इस इतिहास में लड़ाइयों का विवरण नहीं है। इसमें तत्कालीन समाज के राग-विराग हैं। प्रीति-प्यार और प्रगाढ़ रिश्तों की ऊष्मा है। कृषि कर्म के गीत हैं। श्रम कर्म की प्रतिष्ठा है। देवस्तुतियों में भी तत्कालीन समाज की जिजीवीषा है। उद्दाम वेग वाली कामनाएं हैं। ढेर सारे देवता हैं लेकिन 'परम सत्य एक' की उद्घोषणा है। वनस्पतियां- औषधियां भी नमस्कार पाती हैं। नदियां माताएं हैं, धरती माता है और आकाश पिता है। ऋग्वेद हमारा राष्ट्रीय स्वाभिमान है।

चिंतन प्रणाली का आदि स्रोत

दर्शन और विज्ञान आधुनिक विश्व के महत्वपूर्ण विषय हैं। इन दोनों में अंध-आस्था नहीं होती। यूरोपीय दर्शन का मुख्य स्रोत यूनानी चिन्तन है। यूनानी दर्शन-चिन्तन की तमाम बातें भारतीय उपनिषदों से मिलती-जुलती है। उपनिषद् दर्शन के बीज ऋग्वेद में हैं। आज का कुरुक्षेत्र ऋग्वेद के अधिकांश सूक्तों के द्रष्टा ऋषियों की मुख्य भूमि है। यहीं प्राचीनकाल में सरस्वती नदी बहती थी। यहीं भरतजन रहते थे। भरतजनों में से अनेक ऋषियों ने ऋग्वेद के मंत्र गाये। वे श्रम करते थे, मंत्र गाते थे और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकृति और मानवीय सम्बंधों की पड़ताल करते थे। वे आज की तरह प्रत्यक्ष उत्पादन के काम से अलग अवकाश-भोगी मनुष्य नहीं थे। प्रकृति सृष्टि के प्रति इनकी प्रज्ञा में अतिरिक्त जिज्ञासा थी। इन्हीं की गहन अनुभूतियों से प्राचीन दर्शन का जन्म हुआ। भारत में तर्क आधारित, ज्ञान-मीमांसा और दर्शन का जन्म पहले हुआ। धर्म का विकास बाद में हुआ। इसीलिए यहां प्रत्येक मनुष्य की भिन्न दृष्टि है। अनपढ़-अशिक्षित भी ईश्वर आदि विषयों पर तर्क करते हैं।

आधुनिक समाज में विदेशी के प्रति आकर्षण है और स्वदेशी के प्रति आत्महीनता है। मैक्समूलर जैसे विद्वानों ने ऋग्वेद की प्रशंसा की है। पर हम भारत के लोग प्राचीन इतिहास के अध्ययन में रुचि नहीं लेते। ऋग्वेद हमारी चिन्तन प्रणाली का आदि स्रोत है। भारतीय दर्शन का आदि स्रोत है। हमारी समाज व्यवस्था और मानव संगठन की प्राचीन प्यास का शिखर ग्रन्थ है। दुनिया के बाकी देश/भूखण्ड जब अंध-आस्था के कारण महा अंधकार में थे, उसके भी हजारों बरस पहले ऋग्वेद के ऋषि दर्शन और विज्ञान की तर्कसारिणी लेकर आसमान नाप रहे थे। सम्यक जीवन दृष्टि के लिए भारतीय दर्शन का ज्ञान जरूरी है। देश के प्रत्येक व्यक्ति को दर्शन का ज्ञान रखना चाहिए और इस ज्ञान के लिए जरूरी है ऋग्वेद का अध्ययन। ऋग्वेद हमारे ज्ञान-विज्ञान और दर्शन का पितामह है। उससे हमारा रिश्ता पारिवारिक है। हम उन्हीं ऋषियों की सन्तति हैं। उनके रचे मंत्र काव्य। ऋग्वेद से जुड़ाव जरूरी है। ऋग्वेद की परम्परा की समझ और भी जरूरी है।

संस्कृति का महामंत्र

ऋग्वेद भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत है। पशु-पक्षियों, वनस्पतियों और नदियों तक को नमस्कार करने की संस्कृति भारत ने ऋग्वेद से ही पाई है। भौतिक पदार्थो और जीवों के अलावा भाव जगत् की तमाम अनुभूतियों को भी ऋग्वेद में देवता कहा गया है। नमस्कार प्रत्यक्ष पदार्थ या वस्तु नहीं है, यह चित्त के भीतर उठने वाली प्रीति और आदर का अनुभाव है। नमस्कार उगता है हमारे अंत: स्थल में और प्रकट होता है हाथ जोड़ने और सिर झुकाने में। ऋग्वेद के ऋषियों ने 'नमस्कार' को भी देवता कहा है और नमस्कार को भी नमस्कार किया है। श्रद्धा भी ऐसी ही अनुभूति है। वैदिक श्रध्दा का अर्थ अंध विश्वास नहीं है। अस्तित्व के प्रति धन्यवाद भाव का नाम ही श्रद्धा है। ऋग्वेद के ऋषि श्रद्धा को देवता बताते हैं और प्राय: दोपहर, सायं श्रद्धा का आवाहन करते हैं। वे बताते हैं कि श्रध्दा में बड़ी ऊर्जा है। चित्त की विशेष दशा को हम सब शान्ति कहते हैं। वैदिक साहित्य में 'शान्ति' भी देवता हैं, ऋषि शान्ति से शान्ति मांगते हैं। वैज्ञानिकों ने हाल में ही हिग्स-वोसोन कण देखने का दावा किया। मैंने इसी स्तम्भ में लिखा 'उस हिग्स-वोसोन भाररहित कण को नमस्कार है।' ऋग्वेद की परम्परा यही है।

सारी दुनिया में ऋग्वेद की प्रतिष्ठा है। लेकिन भारत के अनेक श्रद्धालुओं के प्रचार-प्रसार से ऋग्वेद को रहस्यपूर्ण ग्रन्थ मान लिया गया है। ऋग्वेद कोई रहस्यपूर्ण ग्रन्थ नहीं है। इसके कथन सीधे-साधे हैं। यहां अंध-आस्था का कोई उल्लेख नहीं। जिज्ञासा और तर्क सम्मत वैज्ञानिक विवेचन की पद्धति है। यहां परिपूर्ण वैचारिक विविधता है। भरा-पूरा इहलोकवाद है। प्रत्यक्ष प्रमाण पर आधारित भौतिकवाद है। संसार को मंगलमय बनाने की स्तुतियां व सम्यक्‌ जीवन दृष्टि है। ऋग्वेद प्राचीनतम इतिहास दर्शन का झरोखा है। ऋग्वेद एक आनंदमगन 'बोधयात्रा' है। हम सब अनेक पुस्तकें पढ़ते हैं, ज्ञान-विज्ञान की ढेर सारी सामग्री में रस लेते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति, दर्शन, समाज और ज्ञान विज्ञान के मूल स्रोत की उपेक्षा करते हैं। ऋग्वेद का अध्ययन विचारोत्तेजक सामग्री से युक्त है। इसके अध्ययन से तमाम नये विचार उत्पन्न होते  हैं, चित्त पूर्वजों के ज्ञान-विज्ञान के प्रति धन्यवाद भाव से भर जाता है। हम सोच-विचार के नये आकाश में उड़ते हैं। ऋग्वेद पंख फैलाकर आकाशचारी होने की उमंग का गीत है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies