कैसे आया बाबर
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मुगल आक्रमणकारी बाबर अपनी सेना लेकर जब भारत पर आक्रमण करने आया तो वह सीमा पर ही कुछ दिन पड़ा रहा। उसने यह जांचना चाहा कि जिस देश पर हम आक्रमण करने जा रहे हैं, वहां के लोग कैसे हैं? वे आपस में किस प्रकार बर्ताव करते हैं? वह अपने घोड़े पर भारत की सीमा के अंदर आ गया,परन्तु उसे उस सीमा को पार करते समय किसी ने रोकाटोका नहीं। न वहां कोई पहरा था न कोई सैनिक ही देखने में आया। फिर भी चारों ओर भारत वालों के खेत फैले थे।
उस मुगल ने अपना खुरासानी घोड़ा उन्हीं खेतों में से एक खेत में छोड़ दिया और घोड़ा उसकी फसल को चरने लग गया। उस खेत का किसान वहां उस समय नहीं था। हां, पास के खेतों में कई किसान फसल काट रहे थे। वे चुपचाप बिना किसी असहमति के उस घोड़े को अपने पड़ोस के खेत में चरता देखते रहे। उस घोड़े को भगाया नहीं। यह देखकर उस मुगल ने उनसे पूछा कि 'घोड़ा खेत में अनाज खा रहा है और तुम उसे भगाते-मारते भी नहीं, क्या बात है?'
तब वे लोग बोले-'खाये, हमें क्या? वह क्या हमारा खेत है कि घोड़ा हम भगायें? खेत हमारे पड़ोसी का है, उसे हिरन खाये या घोड़ा, खाने दो, अच्छा है। हमें क्या करना?'
इससे ज्ञात हो गया कि वहां लोगों में आपसी भाई-चारे का प्रेम और मेल-जोल नहीं है। तब उस मुगल ने सोचा कि 'हमें ज्यादा चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। हिन्दुस्थान को हम सरलता से कब्जे में कर सकते हैं क्योंकि इनमें फूट डाल देना कोई कठिन न होगा।'
यह वह मुगल था जिसे स्वयं अपने देश से दुम दबाकर भागना पड़ा था। किन्तु भारत पर आक्रमण करके उसने यहां की काफी भूमि दबा ली और उसकी कई पीढ़ियां आगरा और दिल्ली से राज्य करती रहीं। वह मुगल था-बाबर। अकबर उसी का पोता था।
आज अपना यह देश स्वतंत्र है लेकिन यहां आज भी आपस में प्रेम, एक-दूसरे की सहायता करने और भाई-चारे की भावना की बहुत कमी है। हमें ऐसा जीवन बनाना पड़ेगा जिससे देश की रक्षा हो सके।वचनेश त्रिपाठी
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