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'देश की राजधानी दिल्ली में अतिवादी मुसलमानों ने कानून की धज्जियां उड़ाकर जिस तरह अवैध मस्जिद का निर्माण किया है। अगर उसे तोड़ा नहीं गया तो दिल्ली की सरकार को इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे। दिल्ली का हिन्दू चुप नहीं बैठेगा'। उक्त विचार विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने गत 21 जुलाई को नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री सिंहल ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर नगर निगम तथा पुरातत्व विभाग की जमीन पर जबरदस्ती नमाज पढ़ा जाना, क्या यही इस्लाम की शिक्षा है? कोई भी बड़ा धार्मिक कार्य और विशेष रूप से मस्जिद का निर्माण बिना रजामंदी के मुस्लिम कानून के विरुद्ध है। उन्हांेने कहा कि जबरदस्ती मस्जिद का निर्माण और वहां नमाज अदा करना पूरी दिल्ली में हिन्दू और मुसलमानों के बीच वैमनस्य और घृणा पैदा करना है, जिसको रोकने की आवश्यकता है।
श्री सिंहल ने कहा कि दिल्ली का निर्माण इन्द्रप्रस्थ के रूप में महाराजा युधिष्ठिर ने किया था। यह पूरा क्षेत्र पांडवों की राजधानी रहा है। इसके चप्पे-चप्पे में मिलने वाले खण्डहर मन्दिरों के अवशेष हैं। कहीं पर भी अकबरवादी मस्जिद के अवशेष बताकर बिना पुरातत्व विभाग के परीक्षण के स्वयं मस्जिद की घोषणा करना, उस स्थान पर कब्जा करने का षड्यंत्र मात्र है। उन्होंने कहा कि इस षड्यंत्र को रोकने के उच्च न्यायालय ने आदेश दिए हुए हैं। लेकिन दिल्ली की पुलिस अतिवादियों को रोकने के बजाय इस घटना का विरोध करने वाले सन्तों व हिन्दू समाज को ही दबाने में लगी है। लगता है इस अतिक्रमण को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है।
श्री सिंहल ने कहा कि यदि दिल्ली के पुलिस आयुक्त इस अवैध निर्माण को तुड़वा नहीं सकते तो इस्तीफा दें। सेना को यह जिम्मेदारी सौंप दी जाए। उन्होंने कहा कि यदि यह अवैध निर्माण तोड़ा नहीं गया तो इसके विरुद्ध दिल्ली की जनता को खड़ा होना पड़ेगा। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ दिल्ली के मोहल्ले-मोहल्ले में प्रदर्शन करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद् को बाध्य होना पड़ेगा। प्रतिनिधि
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