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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही कथित अल्पसंख्यक वर्ग के आपराधिक तत्वों के हौसले वास्तव में बुलंद हो गए हैं। पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक हुई अनेक घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं। पुलिस-प्रशासन ने आक्रामक दंगाइयों व गुण्डों के सामने पूरी तरह घुटने टेक दिये हैं। हिंसा के शिकार हुए हिन्दू समुदाय को न्याय दिलाने की कोशिश करने के स्थान पर पुलिस-प्रशासन समझौता कराने के लिए विवश करने में लगा रहता है।
बेवजह विपिन की हत्या
गत 7 जुलाई की गजियाबाद जिले के लोनी के निकट असालतपुर-फरुकनगर ग्राम में एक मोटरसाइकिल पर सवार विपिन त्यागी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। मुस्लिम समुदाय के लोग किसी मुद्दे पर उस दिन सड़क घेर कर खड़े थे। विपिन का दोष सिर्फ इतना था कि वह एक कोने से मोटरसाइकिल निकालने लगा तो कुछ कहा-सुनी हो गई। इससे उग्र होकर गुंडों ने तमंचा निकालकर विपिन पर गोलियां दाग दीं। विपिन की हत्या के बाद जब उसके परिजन व मोहल्ले वाले एकत्र होकर घटनास्थल पर पहुंचे तो दूसरे वर्ग के लोग छतों पर चढ़ गये और वहां से पथराव व गोलीबारी की। जवाब में दूसरी ओर से भी रक्षा के लिए प्रतिकार किया गया। लेकिन प्रशासन ने अपराधियों को पकड़ने की बजाय दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज की। विपिन के हमलावरों के रूप में 4 लोगों को नामजद किया गया है और 4 अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज हुआ है जबकि मुस्लिम पक्ष द्वारा 9 नामजद व 12 अज्ञात लोगों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया गया। दोनों ओर से कुछ गिरफ्तारियां भी की गयी हैं। पर अभी तक राज्य सरकार की ओर से मृतक विपिन के परिवार के लिए किसी प्रकार के मुआवजे या सहायता की घोषणा तक नहीं की गई है।
पैसे के बल पर मतान्तरण
उधर, 10 जुलाई को बागपत जिले के असारा गांव में एक हिन्दू परिवार के मतान्तरण का मामला सामने आया है। यह गांव जिला प्रबुद्धनगर से सटा हुआ है तथा लगभग पन्द्रह हजार की आबादी का है, जिसमें से 90 प्रतिशत मुस्लिम और केवल 10 प्रतिशत हिन्दू हैं। यहां बबीता नामक हिन्दू महिला एक आंगनबाड़ी केन्द्र में सहायिका है। यह केन्द्र एक मदरसे में चलता है। डा. गय्यूर नामक एक झोला छाप डाक्टर ने मतान्तरण के उद्देश्य से बबीता को अपने जाल में फंसाया। बबीता का पति योगेन्द्र प्रजापति पानीपत (हरियाणा) में फल-सब्जी का ठेला लगाता है। इनकी गरीबी का लाभ उठाकर गय्यूर ने लालच द्वारा पति-पत्नी तथा इनके तीन नाबालिग बच्चों-सचिन, ऋषभ और गुड़िया को मुस्लिम बना लिया। गय्यूर और उनके साथी अब हिन्दू समाज के लोगों को मतान्तरित परिवार से मिलने नहीं देते हैं। बबीता के भाई व पिता उनसे मिलने असारा आये तो उन्हें भीड़ ने गांव से भगा दिया। 12 जुलाई को विश्व हिन्दू परिषद के विभाग संगठन मंत्री सुदर्शन चक्र महाराज, प्रांत गोरक्षा-प्रमुख बलराज डूंगर 10 कार्यकर्ताओं के साथ गांव पहुंचे। इसकी भनक लगते ही गांव की मस्जिद से लाउडस्पीकर द्वारा ऐलान कर सैकड़ों की भीड़ फिर इकट्ठा कर ली गयी। किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए विहिप के लोग असारा से चले गये। गांव में हिन्दुओं के लिए भी दहशत का वातावरण बना दिया गया है। उनकी गलियों में कुछ गुण्डे धमकाते घूमते हैं। इससे भयभीत हिन्दू गांव छोड़ रहे हैं। 11 जुलाई की रात दो बजे श्रीराम शर्मा अपनी पत्नी व 5 लड़कियों सहित पलायन कर गये। गांव के सामने बनी ककड़ीपुर पुलिस चौकी में तैनात पुलिसकर्मी, थाना रमाला के थानाध्यक्ष और यहां तक कि बागपत के पुलिस अधीक्षक भी गय्यूर की गतिविधियों तथा उक्त अवैध मतान्तरण के बारे में जानते हैं, पर कोई कार्रवाई नहीं करते। छपरौली से लोकदल विधायक वीरपाल राठी भी मौन हैं।
इस सबके विरुद्ध प्रजापति समाज के लोगों ने 15 जुलाई को निकटवर्ती ग्राम किशनपुर बराल में एक पंचायत कर अवैध मतान्तरण और पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर रोष जताया। फिर हिन्दू समाज की तमाम बिरादरियों की एक पंचायत 17 जुलाई (श्रावण शिवरात्रि) के दिन समीपवर्ती रमाला गांव में हुई। इसमें एक 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बनाया गया है। यह असारा गांव जाकर मतान्तरण मामले की जांच करेगा। यदि बबीता का परिवार गरीबी के कारण लालच का शिकार होकर मुस्लिम बना है तो सर्व-बिरादरी पंचायत अपनी ओर से उन्हें तीन लाख रुपये की मदद भी देगी। अनौपचारिक रूप से असारा के कट्टरवादी समुदाय को यह संदेश भी दे दिया गया है कि वे बबीता के परिवार को स्वतंत्र
कर दें अन्यथा पूरे गांव का बहिष्कार कर दिया जायेगा।
गुण्डों ने कांवड़ तोड़ी
मेरठ से लगे मुस्लिमबहुल सिंभावली गांव में वीर सिंह पुत्र प्रकाश जाटव, जो हरिद्वार से गंगाजल लेकर शिवरात्रि से एक दिन पूर्व 16 जुलाई को पहुंचा था, की कांवड़ मुस्लिम युवकों ने तोड़ दी, उसके गंगा जल का पात्र लात मारकर नाली में फेंक दिया, उसे जातिसूचक शब्द कहे, बेरहमी से पीटते हुए उसके भगवा कपड़े फाड़ डाले। इसकी खबर मिलने पर 'फैंटम मोबाइल' बाइक सवार दो पुलिसकर्मी घटनास्थल पहुंचे तो गुंडों ने उनसे भी हाथापाई की। सिंभावली के हिन्दुओं द्वारा कंकरखेड़ा थाने में शिकायत किये जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। शिकायत तभी दर्ज की गयी जब बजरंग दल के महानगर संयोजक इंद्रपाल बजरंगी के नेतृत्व में दो सौ लोगों ने थाने में धरना दिया। समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने किसी भी नामजद आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है बल्कि पुलिस-प्रशासन समझौता करने का दबाव बना रहा है।
पुलिस द्वारा कांवड़ियों से अभद्रता
सावन की शिवरात्रि (17 जुलाई) को मेरठ के औघड़नाथ शिव मन्दिर में चार लाख कांवड़ियों ने जल चढ़ाया। पर इस दौरान नगर क्षेत्राधिकारी (प्रथम) मनीष कुमार ने अकल्पनीय उद्दंडता और निरंकुशता दिखाते हुए अचानक लेटकर कांवड़ लाने वाले बेहद थके-मांदे कांवड़ियों को उठा-उठा कर पीछे धकेल दिया। यहां तक कि उनका मार्ग रोकते हुए घुड़सवार पुलिस को खड़ा कर दिया। इस कारण कई कांवड़िये घायल भी हुए। विडंबना यह कि मेरठ के जिलाधिकारी विकास गोठलवाल तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के. सत्यनारायण निकट ही बैठे यह कारनामा देख रहे थे। लगता है कि सपा के राज में नौकरशाही व पुलिस विभाग हिन्दू संवेदनाओं को कुचलने में आनंद लेने लगा है।
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