दृष्टिपात
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आलोक गोस्वामी
आईएसआई की फटकार पर पलटी हुकूमत
सरबजीत नहीं, सुरजीत हुए रिहा
26 जून के दिन पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में कैद सरबजीत सिंह की रिहाई की खबर पाकर उनके गांव में लोग झूम उठे, उनकी बहन दलबीर कौर, पत्नी और दो बेटियों की तो जैसे बरसों की मुराद पूरी हुई थी, लड्डू बंटे, भंगड़े पड़े। लेकिन आधी रात के वक्त पड़ोसी देश ने पैंतरा बदलते हुए कहा, 'ओ जी सरबजीत नहीं, सुरजीत को छोड़ रहे हैं।' खबर पाकर सरबजीत के गांव बीखीविंड में सन्नाटा छा गया, खुशियां आंसुओं में बदल गईं।
पाकिस्तानी राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि 'सरबजीत नहीं, 30 साल की अपनी सजा पूरी कर चुके एक अन्य भारतीय कैदी सुरजीत को छोड़ा जा रहा है। 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर की सलाह पर तब के राष्ट्रपति इशाक खान ने सुरजीत की सजाए-मौत उम्र कैद में बदल दी थी।' जबकि राष्ट्रपति जरदारी की ओर से पहले सरबजीत की रिहाई का समाचार जारी हुआ था। उधर, सुरजीत के बेटे कुलवंत का कहना है कि उम्र कैद की सजा तो पांच साल पहले ही पूरी हो चुकी थी।
बहरहाल, 26 जून की सुबह सरबजीत की रिहाई की खबर मीडिया में आने के बाद पाकिस्तान के कट्टरवादियों में सरगर्मी बढ़ गई। मीडिया बहसों में सरबजीत को माफी देने पर जरदारी को खूब बुरा-भला कहा गया। कुछ पाकिस्तानी चैनलों पर सरबजीत की तुलना मुम्बई हमलों के एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब से की गई। जमाते इस्लामी और जमात-उद-दावा जैसे कट्टर इस्लामी संगठनों ने जरदारी के इस कदम को शर्मनाक बताया। जमाते इस्लामी के अगुआ मुनव्वर हसन का कहना था कि कसाब को बिना सबूत भारत ने सजा दी है और पाकिस्तान ने उसे कोई कानूनी सहायता नहीं दी। जमात-उद-दावा ने ट्विटर पर लिखा, 'लानत है कि सरबजीत को जान बख्शी जा रही है।'
सरबजीत को, दरअसल, पाकिस्तान ने 1991 में फैसलाबाद और लाहौर में बम धमाकों का दोषी मानते हुए सजाए-मौत सुनाई थी। वे पिछले 22 साल से पंजाब सूबे की कोट लखपत जेल में बंद हैं। इधर सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह तो एक किसान हैं जो गलती से सरहद के उस तरफ चले गए थे। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से उन्हें रिहा करने की कितनी ही अपीलें अपने और भारत सरकार के स्तर पर की हैं। लेकिन जरदारी ने उन्हें रिहा करने का फरमान जारी क्या किया पाकिस्तान में तीखा विरोध उठ खड़ा हुआ। और अंतत: आईएसआई और सेना के कथित दबाव के बाद फरहतुल्ला को 'सरबजीत नहीं, सुरजीत' का बयान देना पड़ा।
एम.आई.5 की चिंता
'अरब वसंत' में पनपेगा जिहाद?
ब्रिटेन के जिहादी उस मध्य-पूर्व में आतंकी प्रशिक्षण के लिए पहुंच रहे हैं जहां के देशों में हाल ही में अरब वसंत के जलजले उठे थे और सत्ताएं उलट-पलट हुई थीं। यह खुलासा किया है खुद ब्रिटेन की गुप्तचर एजेंसी एमआई 5 के प्रमुख जोनाथन इवांस ने। यानी मध्य-पूर्वी देश फिर से आतंकी गतिविधियों का केन्द्र बनने जा रहे हैं, क्योंकि उन देशों में हालात काफी नाजुक बने हुए हैं जिनमें अल कायदा के जिहादी मंसूबे पनप सकते हैं। इवांस की मानें तो, अल कायदा उन देशों में फिर से पैर जमाने को उतावला है जहां इस गुट को पहले लोगों का समर्थन मिल चुका है। ब्रिटेन के कुल कितने जिहादी मध्यपूर्वी देशों में गए हैं, उसका अभी कोई साफ आंकड़ा नहीं है, लेकिन एजेंसी के पास यमन, इजिप्ट, सीरिया और लीबिया जैसे देशों में मौजूद आतंकियों से सूत्र जोड़ने की कोशिश में लगे कई जिहादी तत्वों की जानकारी है। कुछ अफ्रीका में सोमालिया भी गए हैं।
इवांस इसे नया, पर खतरनाक चलन मानते हैं जो और गंभीर हो सकता है। ब्रिटेन पर आतंकी खतरे से जुड़े इवांस के इस भाषण को विशेषज्ञ गंभीरता से ले रहे हैं। एमआई 5 लंबे अरसे से अल कायदा की हरकतों पर नजर रखे है। ब्रिटेन के संभावित जिहादियों का अरब देशों में जाकर आतंकी प्रशिक्षण लेने और आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम देने का मौका तलाशने को वह ब्रिटेन में होने जा रहे ओलम्पिक खेलों की नजर से भी आंक रही है। हालांकि ओलम्पिक खेलों की सुरक्षा के बेहद पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इवांस यमन में जारी आतंकी गतिविधियों पर विशेष नजर रखे हैं। वहां अल कायदा अपनी बर्बर कार्रवाइयों में लगा है।
जिहाद के लिए चंदा
लश्करे तोयबा के सरगना, कुख्यात जिहादी और अमरीका की आतंकवादियों की फेहरिस्त में शामिल हाफिज सईद ने जम्मू-कश्मीर में जिहादी कार्रवाइयों में लगे आतंकियों के लिए पाकिस्तान में चंदा उगाही अभियान शुरू किया है। 25 जून को उसने घनी आबादी वाले पंजाब सूबे में लाहौर से 80 किलोमीटर दूर गुजरांवाला इलाके के अल मक्का सेंटर पर लोगों से चंदे में अनाज इकट्ठा किया। वहां पर लोगों के सामने तकरीर में उसने उनका शुक्रिया अदा करते हुए आने वाली मकई की फसल से भी मुहाहिदीनों के लिए खुलकर दान देने को कहा। 'नाटो' की बाबत उसने कहा कि उसमें शामिल सारे देश जल्दी ही अलग हो जाएंगे। सईद के मुताबिक, अमरीका पाकिस्तान और आईएसआई को बदनाम कर रहा है।
योग करो, मस्त रहो
न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वायर पर 14 हजार ने मिलकर किया योग
न्यूयार्क के नामी-गिरामी कारोबारी केन्द्र टाइम्स स्क्वायर पर पिछले दिनों खूब रौल-चौल देखी गई। वहां 'माइंड ओवर मैडनैस' आयोजन के दौरान हजारों योग प्रेमी स्त्री-पुरुषों, बच्चों-बुजुर्गों, युवक-युवतियों ने मिलकर योग प्रदर्शन किया। चौक पर हजारों को साथ-साथ योग अभ्यास करते देख आसपास के इलाके की सड़कें जाम हो गईं। कितने ही लोग कारें बाजू में लगाकर अपनी अपनी चटाइयां बिछाकर आसनों में शामिल हो गए। आयोजक डगलस स्टीवर्ट की मानें तो यह लगातार दसवां साल है जब योग प्रेमी इस तरह हजारों की संख्या में टाइम्स स्क्वायर पर मिलकर योग कर रहे हैं। बौराई आपाधापी के बीच कुछ पल दिलोदिमाग को स्थिर करने का यह सालाना उपक्रम न्यूयार्क में काफी चर्चित हो चला है।
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