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एटा और जालंधर में संघ शिक्षा वर्गों का समापन

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Jun 30, 2012, 12:00 am IST
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एटा और जालंधर में संघ शिक्षा वर्गों का समापनसमस्याओं से बचें नहीं, जूझकर समाधान का प्रयास करें-डा. कृष्णगोपाल, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

दिंनाक: 30 Jun 2012 15:37:42

समस्याओं से बचें नहीं, जूझकर समाधान का प्रयास करें

–डा. कृष्णगोपाल, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

'समस्याओं से जूझकर उनके समाधान का प्रयास करने के स्थान पर समस्याओं से बचकर रहने की हिन्दू समाज की प्रवृत्ति ही उसके एक हजार वर्षीय पतन का कारण रही है। हमने पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, महाराजा छत्रसाल, गुरु गोविन्दसिंह जैसे सिंह तो पैदा किए, लेकिन संगठित होकर मुकाबला करना नहीं सीखा। जिसका परिणाम यह हुआ कि संगठित आक्रमण होने पर विभाजित हिन्दू समाज को पराजित होना पड़ा'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल ने गत 22 जून को उत्तर प्रदेश के एटा में रा.स्व.संघ के ब्रज प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग (प्रथम वर्ष) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

डा. कृष्णगोपाल ने कहा कि जिस तरह मां गंगा बिना यह जाने कि उसके घाट पर स्नान कर रहा व्यक्ति किस जाति, गोत्र, वर्ण, भाषा आदि का है, सभी का कल्याण करती है। उसी प्रकार संघ की शाखा इस प्रकार के कृत्रिम भेद समाप्त कर सभी को देशभक्त, प्रामाणिक व भेददृष्टि से दूर रहने वाला स्वयंसेवक बनाती है। उन्होंने कहा कि जिस देश का प्रधानमंत्री देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकांे का बताता हो उस देश में संघ कार्य की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है। समारोह में रा.स्व.संघ के अ.भा.कार्यकारी मंडल के सदस्य डा. दिनेश, संस्कार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री बांकेलाल, क्षेत्र सेवा प्रमुख श्री गंगाराम, ब्रज प्रांत के प्रांत प्रचारक श्री दिनेश, सह प्रांत प्रचारक श्री रामस्नेही सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक तथा गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे।

वहीं जालंधर (पंजाब) में सम्पन्न हुए संघ शिक्षा वर्ग (प्रथम वर्ष-सामान्य) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के अ.भा. सह सम्पर्क प्रमुख श्री राममाधव ने कहा कि कश्मीर पर सरकारी वार्ताकारों द्वारा दी गई रपट में सारी भाषा आतंकियों व अलगाववादियों की है, जबकि केवल ठप्पा वार्ताकारों का लगा है। अगर इस रपट के छोटे से अंश को भी लागू किया जाता है तो इससे देश की एकता-अखण्डता को भारी खतरा पैदा हो जाएगा और कश्मीर पर हमारा पक्ष काफी कमजोर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की राष्ट्रभक्त जनता इस रपट को किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देगी। इसके खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा 6 जुलाई से राष्ट्रव्यापी कश्मीर बचाओ आंदोलन चलाया जाएगा।

श्री राममाधव ने कहा कि वार्ताकारों की रपट के अनुसार एक संवैधानिक समिति का गठन होगा। 1949 के बाद भारतीय संसद द्वारा बनाए गए एवं जम्मू-कश्मीर में लागू उन सभी कानूनों को वापस लिया जाएगा जो धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दी गई स्वायत्तता का हनन करते हैं। इस सीमावर्ती प्रदेश के विशेष दर्जे को स्थाई बनाए रखने के लिए धारा 370 के साथ जुड़े अस्थाई शब्द को विशेष शब्द में बदल दिया जाएगा, ताकि स्वायत्तता कायम रह सके। उन्होंने कहा कि रपट में अनुशंसा की गई है कि प्रदेश में तैनात भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियां कम की जाएं और उनके विशेषाधिकारों को समाप्त किया जाए। जम्मू-कश्मीर में कार्यरत अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की संख्या पहले घटाई जाए और बाद में समाप्त कर दी जाए। जिन्होंने पहली बार अपराध किया है उनके मुकदमे रद्द किए जाएं, चाहे उसका अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो।

श्री राममाधव ने कहा कि इस रपट में जम्मू-कश्मीर के हिंदू विस्थापितों, विभिन्न युद्धों के बाद विस्थापित हुए हजारों सीमावर्ती नागरिकों, जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की भावनाओं का कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित अनेक बलिदानियों के बलिदानस्वरूप जम्मू-कश्मीर में स्थापित एक विधान, एक निशान और एक प्रधान के नियम को बदलने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे इस रपट के खिलाफ किसी न किसी रूप में विरोध अवश्य दर्ज कराएं, अन्यथा भारतमाता के मुकुट की संज्ञा प्राप्त धरती का स्वर्ग हमसे छिन सकता है।

इस अवसर पर उपस्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति श्री अशोक मित्तल ने संघ द्वारा राष्ट्रनिर्माण में निभाई जा रही भूमिका की सराहना की और कहा कि अनुशासन, भ्रातृभाव, संगठन शक्ति के बल पर ही भारत दुनिया की महाशक्ति बन सकता है। वर्गाधिकारी श्री अजीत जेतली ने बताया कि 20 दिन चले इस वर्ग में 118 नगरों व 83 गांवों से 201 शिक्षार्थियों ने हिस्सा लिया। समारोह के दौरान शिक्षार्थियों ने दंड प्रहार, नियुद्ध का प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में समता व घोष का प्रदर्शन सराहनीय रहा।

'सत्यमेव जयते' लोकार्पित

आपातकाल की दुर्दशा का आकलन

गत 25 जून को दिल्ली में पूर्व राज्यसभा सांसद श्री श्रीगोपाल व्यास की पुस्तक 'सत्यमेव जयते' का लोकार्पण किया गया। राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में जनता पार्टी के अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी विशेष रूप से उपस्थित थे। पुस्तक का प्रकाशन संजीवनी प्रकाशन ने किया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि श्री श्रीगोपाल व्यास की पुस्तक 'सत्यमेव जयते' भारत में जारी आपातकाल की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इस पुस्तक की तटस्थता और तथ्यों का परिपूर्ण भाव से उपयोग उन लोगों के लिए भी लाभप्रद होगा जिन्होंने आपातकाल को केवल पढ़ा या सुना है। उन्हें इस पुस्तक के माध्यम से आपातकाल की सही जानकारी और उस वक्त भारत की स्थिति का भी सही अंदेशा हो सकेगा।

पुस्तक के लेखक श्री श्रीगोपाल व्यास ने पुस्तक के बारे मंे बताते हुए कहा कि यह आपातकाल के दौरान भोगी गई पीड़ा और उसके बावजूद सरकार के खिलाफ लोगों के संघर्ष की कहानी है। इसमें दर्शाया गया है कि कैसे सरकार ने राष्ट्रहित की बात करने वालों पर अत्याचार किए और देश के लिए अपना सर्वस्व लुटाने को प्रतिबद्ध लोग अपने प्रण पर अडिग रहे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष श्री नंदकिशोर त्रिखा ने कहा कि आपातकाल ने देश को काफी पीछे धकेल दिया। उस पर वर्तमान सरकार की नीतियां तो देशवासियों के लिए अभिशाप ही साबित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान सीधे तौर पर प्रथम कदम के रूप में मीडिया पर अंकुश लगाने का काम किया गया। सरकार का शायद मानना था कि मीडिया एक और क्रांति की अलख को भड़का सकता है, जिसे अगर अंकुश में नहीं लिया गया तो बड़े स्तर पर लोग भी प्रभावित होंगे।

कार्यक्रम का संचालन हिन्दुस्थान समाचार के कार्यकारी सम्पादक श्री हेमंत विश्नोई ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन किया हिन्दुस्थान समाचार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अनिरुद्ध शर्मा ने। इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल श्री केदारनाथ साहनी, भाजपा नेता श्री ओमप्रकाश कोहली, हिन्दुस्थान समाचार के संरक्षक श्री श्रीकांत जोशी, सह संरक्षक श्री लक्ष्मी नारायण भाला, पत्रकारिता संस्थान काशी विद्यापीठ के निदेशक श्री ओम प्रकाश सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे। प्रतिनिधि

आपातकाल में जेल में रहे कार्यकर्ताओं का सम्मान

भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली प्रदेश के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ, साहित्य, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ तथा वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ के तत्वावधान में गत 26 जून को दिल्ली में 'लोकतंत्र बनाम अघोषित आपातकाल' विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आपातकाल के दौरान जेल में रहे वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं का अभिनंदन भी किया गया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने की। मुख्य अतिथि थे दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार मल्होत्रा। मुख्य वक्ता भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा सांसद श्री तरुण विजय थे। इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल श्री केदारनाथ साहनी, प्रसिद्ध कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी भी मंचासीन थे।  कार्यक्रम का शुभारम्भ मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद श्री गजेन्द्र सोलंकी ने देशभक्ति कविता का पाठ कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री तरुण विजय ने अपने उद्बोधन में कहा कि कांग्रेस का इतिहास एक परिवार की तानाशाही का इतिहास है। इस तानाशाही मनोवृत्ति के विरुद्ध हम सब कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर वर्तमान परिस्थितियों का सामना करना है।  श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल के जुल्मों से कोई सबक नहीं सीखा। आज भी कांग्रेस का चरित्र तानाशाह का ही है। इसका जीता जागता उदाहरण कांग्रेस की सरकारें हैं जो आम जनता के हित की चिंता न कर केवल दलालों, माफियाओं, बिचौलियों और महंगाईखोरों के हितों की सोचती हैं। उद्बोधन कार्यक्रम के पश्चात मंचस्थ अतिथियों ने आपातकाल के दौरान जेल में रहे वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ताओं का माल्यार्पण तथा अंगवस्त्र देकर सम्मान किया। प्रतिनिधि

'सहकारिता एक व्यावहारिक आर्थिक उद्यम' पर सम्मेलन

सहकार भारती, दिल्ली तथा केशव सहकारी बैंक के संयुक्त तत्वावधान में गत 23 जून को दिल्ली मेंे 'सहकारिता एक व्यावहारिक आर्थिक उद्यम' विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में दिल्ली के अनेक सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सम्मलेन को संबोधित करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र है जिसके विकास से समाज का विकास संभव है। सहकारिता क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए आदर्श यह है कि वे व्यक्तिगत विकास के स्थान पर संस्थान के विकास को ज्यादा प्रोत्साहन दें। सहकार भारती के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सहकार भारती की स्थापना भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित विकास की परिकल्पना को लेकर हुई थी। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रिजर्व बैंक के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्री रत्नाकर देवले ने कहा कि कार्यप्रणाली में सुधार के द्वारा ही बैंकों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और जो बैंक आर्थिक रूप से सक्षम होगा, वही समाज का उत्थान कर पाएगा। प्रतिनिधि

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