उल्टे चश्मे से समाज का सीधा चित्रण-आलोक भार्गव
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

उल्टे चश्मे से समाज का सीधा चित्रण-आलोक भार्गव

by
Jun 23, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 23 Jun 2012 17:00:10

 

साहित्य जगत को तारक भाई जैसा लेखक बहुत नसीब से ही मिलता है। आज 83 वर्ष की आयु में समय ने उनके शरीर को बहुत दुर्बल कर दिया है। आंखों की रोशनी मंद पड़ गई है, परंतु आयु का प्रवाह उनके लिखने की ललक और धार को कुंद नहीं कर पाया है। न जाने यह पाठकों का प्यार है या उनके अंदर का जुझारूपन? हमारी शुभकामनाएं हैं कि तारक भाई भविष्य में भी साहित्य जगत को अपनी लेखनी से इसी तरह समृद्ध करते रहें और पाठकों को धन्य!!

आर. के. लक्ष्मण का 'आम आदमी' कुछ नहीं बोलकर भी सब कुछ कह जाता है। जसपाल भट्टी का 'उल्टा-पुल्टा' हंसा हंसाकर लोटपोट कर जाता है, वहीं 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' बहुत सादगी से सीधे-सीधे शब्दों में जीवन के कटु सत्य पर भी केवल डेढ़ इंच नहीं, ढेर सारी मुस्कान बिखेर जाता है और दर्शक हंसते-हंसते बेहाल हो जाते हैं। 'प्रॉब्लम तो है सबके साथ, बस नजरिए की है बात' के द्वारा कठिन से कठिन समस्याओं के सहज समाधान का संदेश देने वाला यह धारावाहिक आम आदमी की रोजमरर्ा की दिक्कतों से जुड़ा होने के कारण अपनी शुरुआत में ही बेहद लोकप्रिय हो गया, उस स्तर को आज भी उसने बरकरार रखा है।

अपने लेखों से दुनिया को गुदगुदाकर खुशियां बांटने वाले तारक भाई का स्वयं का बचपन इतना खुशनुमा नहीं बीता। उनका जन्म 26 दिसम्बर, 1929 को अमदाबाद में हुआ। जन्म के कुछ ही दिनों के बाद उनकी मां का निधन हो गया तो पिता ने दूसरी शादी कर ली। इसलिए उनका बाल्यकाल मामा के घर बीता। उनके अनुसार, 'बचपन में उनके कोमल व सरल हृदय पर क्रूर समाज ने ऐसा भय बिठा दिया कि उन्हें दुनिया में सब कुछ उल्टा ही लगने लगा। यहीं से उन्होंने 'उल्टे चश्मे' को अपनी पटकथा का आधार बनाया।' वाणिज्य (कामर्स) विषय लेकर इंटर (बारहवीं) में वे तीन-तीन प्रयासों में भी सफल नहीं हुए। फिर लटकते-पटकते आर्ट्स में एम.ए.तक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

तारक भाई के मित्रों का कहना था कि उनका चेहरा राजकपूर से मिलता है, उन्हें इस पर विश्वास नहीं होता था। लेकिन मित्रों के अधिक जोर देने पर वे भी ऐसा ही मानने लगे और फिल्मों में हीरो बनने का शौक तारक को मुम्बई ले आया, परंतु हाथ लगा मात्र संघर्ष, संघर्ष और संघर्ष। पर उन्होंने हार नहीं मानी और रंगमंच से जुड़ गये। यहां नाटकों में उन्होंने अभिनय, निर्देशन, लेखन आदि सारी विधाओं में अपना जौहर दिखाया। तारक भाई ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के 'चित्र पट प्रभाग' में 26 वर्षों तक नौकरी की। वहां वे डाक्यूमेंटरी फिल्मों का गुजराती में अनुवाद किया करते थे। इस विभाग में उनके साथ अनेक भाषाओं के अनुवादक भी कार्य करते थे। वहां उन्हें विभिन्न प्रांतों के लोगों के रहन सहन, भाषा, पहनावे, संस्कृति को जानने का मौका मिला। आगे चलकर इस जानकारी का उन्होंने अपने लेखन में भरपूर उपयोग किया।

सन् 1970 में गुजराती भाषा के प्रसिद्ध लेखक श्री हरिकिशन मेहता ने तारक भाई को चित्रलेखा (गुजराती साप्ताहिक) में हास्य व्यंग्य लेखन हेतु प्रोत्साहित किया। तब उन्होंने 'तारक मेहता ना ऊंधा चश्मा' नामक स्तंभ लिखना प्रारंभ कर दिया। पाठकों द्वारा यह स्तंभ इतना सराहा गया कि 42 वर्ष बाद भी यह उनकी पहली पसंद बना हुआ है। उन्हीं लेखों पर आधारित धारावाहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' ने इन दिनों टेलीविजन में लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं और तारक भाई को विश्व प्रसिद्ध कर दिया है।

एक बार श्री हरिकिशन मेहता के साथ तारक भाई भी पेरिस गये। वहां दो लड़कों को गुजराती में बात करते देख हरिकिशन मेहता ने उनसे पूछा कि क्या वह चित्रलेखा पढ़ते हैं? लड़कों के 'हां' बोलने पर उन्होंने प्रश्न किया कि उसमें उन्हें सबसे अच्छा क्या लगता है, लड़कों का उत्तर था, 'तारक मेहता का ऊंधा चश्मा'। जब उन लड़कों को पता चला कि स्वयं तारक मेहता भी उनके सामने खड़े हैं, तो उनकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं रहा। यह उनकी लोकप्रियता का एक जीवंत उदाहरण था।

मध्यमवर्गीय परिवार से आए तारक मेहता के सभी पात्र उनके आसपास रहने वाले वास्तविक चरित्रों से ही लिए गए हैं, जैसे चंपकलाल (जेठालाल के पिता) की भाषा-शैली में उनके पिता की वाणी झलकती है। स्वयं जेठालाल का पात्र उनके एक वकील मित्र श्री महेश से प्रेरित है। बबिता का चरित्र उनके मोहल्ले में काम करने वाली एक सिंधी महिला पर आधारित है। पहले उनके पात्रों की संख्या सीमित थी, लेकिन धीरे-धीरे उसमें नए पात्र जुड़ते चले गए। हां, यह बात अलग है कि आज भी टप्पू, चंपकलाल, जेठालाल सभी पात्र उसी उम्र के हैं जितने 40 वर्ष पहले थे। तारक भाई जहां भी गए, टप्पू सेना (पात्र) उनके साथ-साथ ही रही, चाहे वह कुंभ का मेला हो या पेरिस, रेल यात्रा हो अथवा वायुयात्रा। उनकी लेखनी ने उसे ही अपने लेखों की पृष्ठभूमि बना लिया। जैसे चंपकलाल विमान से विदेश जा रहे हैं तो जेठालाल जिद करके उन्हें कुर्ता-पायजामा की जगह कोट-पैंट पहना देते हैं। अब कोट- पैंट पहनकर चंपकलाल विमान में ऐसी धमा-चौकड़ी मचाते हैं कि पाठकों के पेट में बल पड़ जाए हैं।

लेखन के अतिरिक्त तारक भाई को क्रिकेट देखने का बहुत शौक है। वे बहुत ही आलोचनात्मक दृष्टि से यह खेल देखते हैं। तारक मेहता की टप्पू सेना चाहे कितनी बड़ी हो, स्वयं वे 'छोटा परिवार सुखी परिवार' के सिद्धांत पर अडिग थे।  उनकी एकमात्र पुत्री 'ईशानी' अपने कवि पति के साथ अमरीका में रहती है। उनके दामाद गुजराती कम्प्यूटर लिपि को तैयार करने वाली टीम के महत्वपूर्ण सदस्य थे। अपनी पत्नी इंदू के लिए तारक भाई कहते हैं कि ऐसी पत्नी नसीब वालों को ही मिलती है।

और हमारा मानना है कि साहित्य जगत को तारक भाई जैसा लेखक भी बहुत नसीब से ही मिलता है। आज 83 वर्ष की आयु में काल के प्रवाह ने उनके शरीर को बहुत दुर्बल कर दिया है। आंखों की रोशनी मंद पड़ गई है, परंतु आयु का प्रवाह उनके लिखने की ललक और धार को कुंद नहीं कर पाया है। न जाने यह पाठकों का प्यार है या उनके अंदर का जुझारूपन? हमारी शुभकामनाएं हैं कि तारक भाई भविष्य में भी साहित्य जगत को अपनी लेखनी से इसी तरह समृद्ध करते रहें और पाठकों को धन्य!! (वार्ताधारित)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies