सर्वोच्च न्यायालय का केन्द्र सरकार पर करारा तमाचा
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कोटे में मुस्लिम कोटा निरस्त करके देश से माफी मांगे संप्रग सरकार
–डा. प्रवीण तोगड़िया
अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, विहिप
4.5 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण निरस्त करने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश देने से मना करने के बाद विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डा. प्रवीण तोगड़िया ने गत 11 जून को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके केन्द्र सरकार से मुस्लिम आरक्षण खत्म करने और देश से माफी मांगने को कहा है। डा. तोगड़िया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की अपील तब तक स्वीकारने से ही मना कर दिया जब तक सरकार कोटे के अंदर ऐसे गैरकानूनी मजहब आधारित कोटे के कुछ साक्ष्य और आधार नहीं देती। (उल्लेखनीय है कि 13 जून को सरकार द्वारा अपने फैसले को लेकर जो तथ्य और तर्क प्रस्तुत किए गए, उन्हें स्वीकार न करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 4.5 प्रतिशत अल्पसंख्यक आरक्षण को असंवैधानिक और देश में मजहबी आरक्षण का प्रावधान न होने के आधार पर अस्वीकार कर दिया।) विहिप कार्याध्यक्ष के अनुसार, यह केन्द्र सरकार और उन तमाम राज्य सरकारों के मुंह पर करारा तमाचा है जो मुस्लिम वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए असल में गरीब और जरूरतमंद अन्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के हकों को छीनकर मुसलमानों को कोटा और आरक्षण देने की कोशिश कर रही हैं। डा. तोगड़िया ने मांग की कि–
शिक्षा, रोजगार, बैंक ऋण आदि में मुसलमानों के लिए अगर कोई कोटा है तो केन्द्र और राज्य सरकारें उसे तुरन्त वापस लें।
सरकार वोट बैंक पर नजर रखकर भारत पर थोपे गए ऐसे गैरकानूनी फैसले के लिए देश से तुरंत माफी मांगे, जिसके लिए जरूरतमंद अन्य पिछड़े वर्गों, अनूसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य गरीब नागरिकों को शिक्षा, रोजगार, बैंक ऋण आदि में उनके अधिकारों से वंचित किया गया।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऐसे करारे तमाचे के बाद, अब सरकार को रंगनाथ मिश्र आयोग और राजिन्दर सच्चर समिति की रपटों को पूरी तरह निरस्त करना चाहिए, क्योंकि एक मजहब विशेष को दूसरे पंथों से बढ़कर लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कराया गया अध्ययन खुद में गैरकानूनी है।
केन्द्र और कई राज्य सरकारों ने हिन्दू करदाताओं के पैसे को इस तरह के बेबुनियाद अध्ययनों और अदालती मामलों पर खर्चा है। इसकी भरपाई के तौर पर इस साल सभी हिन्दू करदाताओं को सभी कर भुगतानों में एक प्रतिशत की छूट देनी चाहिए। ऐसे गैरकानूनी सर्वेक्षणों और अदालतों में अपीलों पर हुआ खर्च मुस्लिमों से वसूलना चाहिए।
प्रतिनिधि
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