Panchjanya
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

by
May 20, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विकसित देशों की आर्थिक शक्ति को चुनौती

दिंनाक: 20 May 2012 13:30:07

विकसित देशों की

आर्थिक शक्ति को चुनौती

डा. अश्विनी महाजन

यह सही है कि अभी भी अमरीका, यूरोप के देश और जापान दुनिया के मानचित्र पर विकसित देश माने जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन देशों की प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा है। प्रति व्यक्ति ऊंची आय के चलते वहां के लोगों का जीवन स्तर भी काफी अच्छा है, लेकिन अब दुनिया का आर्थिक संतुलन बदल रहा है। कोई जमाना था जब अमरीका आर्थिक ताकत की दृष्टि से दुनिया का नंबर एक देश तो था ही, यूरोप के विभिन्न देश और जापान की आर्थिक शक्ति की तुलना में भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका बहुत पीछे थे। पर दुनिया में सबसे तेजी से उभर रही विकासशील अर्थ व्यवस्थाओं के कारण ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह को आज 'ब्रिक्स' का नाम दिया गया है। 'ब्रिक्स' अर्थात इन पांच देशों के नामों के पहले शब्द से बना एक नाम। ये पांचों देश अत्यंत तेजी से विकास ही नहीं कर रहे हैं बल्कि दुनिया के विकसित देशों की आर्थिक शक्ति को चुनौती भी दे रहे हैं। दुनिया का आर्थिक संतुलन बदल रहा है। आज से दस वर्ष पहले जिन देशों का वर्चस्व दुनिया में था, उनका प्रभाव कम हुआ है और तेजी से विकास कर रही इन पांच अर्थ व्यवस्थाओं ने अपना वर्चस्व आर्थिक शक्ति के नाते स्थापित भी किया है।

तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

ब्रिक्स देशों का चौथा सम्मेलन हाल ही में दिल्ली में सम्पन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका इस समूह में पिछले वर्ष के सम्मेलन में ही शामिल हुआ था। उससे पूर्व इसमें केवल चीन, भारत, ब्राजील और रूस ही शामिल थे और इसे 'ब्रिक' के नाम से जाना जाता था। क्रय शक्ति क्षमता के आधार पर अब चीन दुनिया की दूसरी और भारत तीसरी आर्थिक शक्ति बन चुका है। हम कह सकते हैं कि अब रूस, चीन और भारत ही नहीं, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे हैं। वैश्विक मंदी के दौर में यह प्रक्रिया और तेज हुई है और ये देश विकसित देशों से ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि विकसित देशों की आमदनी में एक ठहराव आ गया है, जबकि ब्रिक्स देशों की राष्ट्रीय आय 8 से 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि इन विकासशील देशों के लोगों का जीवन स्तर भी विकसित देशों सरीखा हो गया है। वास्तव में यह आर्थिक संवृद्धि केवल सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के स्तर पर है। लेकिन जब हम प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो पाते हैं कि इस दृष्टि से अभी विकसित और विकासशील देशों के लोगों के बीच एक बड़ी खाई है।

क्रय शक्ति क्षमता के आधार पर भी वर्ष 2009 में भारत की प्रति व्यक्ति आय मात्र 3260 डॉलर प्रतिवर्ष और चीन की प्रति व्यक्ति आय 6770 डॉलर प्रतिवर्ष थी। इसी वर्ष विकसित देशों में औसत प्रति व्यक्ति आय 36,473 डॉलर प्रतिवर्ष थी। इसलिए स्वभाविक ही है कि मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से दुनिया में भारत का स्थान वर्ष 2011 में 134वां और चीन का 101वां रहा। ऐसे में तेजी से विकास के बावजूद ब्रिक्स देशों में आम जन के जीवन स्तर में सुधार के लिए अभी बहुत लम्बा सफर तय करना बाकी है। इसलिए इनके और तेजी से विकास और आम जन के जीवन स्तर में सुधार हेतु सहयोगी भूमिका निभा सकते हैं। ब्रिक्स के पांच देशों की जनसंख्या दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत है। लेकिन वर्ष 2011 तक इन देशों की जी.डी.पी. 21 खरब डालर तक ही पहुंच पाई है। पर यह बात सही है कि पिछले दशक के प्रारंभ में चीन, भारत, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका की अर्थ व्यवस्थाओं का कुल आकार वैश्विक अर्थ व्यवस्था के कुल आकार का मात्र छठा हिस्सा ही था, जो वर्ष 2011 तक बढ़कर वैश्विक अर्थ व्यवस्था का 29.5 प्रतिशत हो चुका है।

स्थानीय मुद्रा के लाभ

ब्रिक्स देशों ने विकास की अपनी अपेक्षाओं को कार्यरूप देने और दुनिया के अमीर देशों के वर्चस्व को कम करने की अपनी कोशिशों के अंतर्गत दिल्ली में संपन्न सम्मेलन में अन्य बातों के अतिरिक्त अपने बीच व्यापार में उधार को स्थानीय मुद्रा आधारित करने का निर्णय लिया है। इसका अर्थ यह है कि भारत-ब्राजील या ब्राजील-रूस इत्यादि के बीच व्यापार का भुगतान अब डॉलर अथवा यूरो में नहीं बल्कि अपनी ही मुद्रा में होना संभव हो जायेगा। दुनिया के विभिन्न देशों के बीच व्यापार का भुगतान डॉलर, पाऊंड या यूरो जैसी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में होना अनिवार्य तो नहीं है, लेकिन फिर भी परम्परा यही है कि व्यापार में असंतुलन होने की स्थिति में उधार की सुविधा डॉलर में ही होती है। इस कारण से भारत सरीखे देशों को पर्याप्त मात्रा में डॉलर तथा अन्य विकसित देशों की मुद्रा का भारी भंडार (रिजर्व) रखना पड़ता है, ताकि अंतरराष्ट्रीय भुगतानों में कोताही न हो। लेकिन यदि भुगतान अपनी ही मुद्रा में होता है तो विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में रखने की अनिवार्यता कम हो जाती है।

उल्लेखनीय है कि भारत का चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से आयात अभी तक 53 अरब डॉलर वार्षिक तक पहुंच चुका है। भारत द्वारा इन देशों को निर्यात 27.3 अरब डॉलर के लगभग है। ब्रिक्स देशों के बीच कुल व्यापार अब 230 अरब डॉलर का हो चुका है, जिसके वर्ष 2015 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की आशा है। स्थानीय मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देने से न केवल ब्रिक्स देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़ेगा, बल्कि डॉलर की अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मान्यता भी कम होगी। इससे भुगतान शेष में घाटे के कारण डॉलर की कमी के चलते रुपये के अवमूल्यन की समस्या के भी समाधान की आशा है।

ब्रिक्स विकास बैंक की अवधारणा

अन्तरराष्ट्रीय शक्ति के रूप में उभरते ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी से इन देशों में विकास को बल मिलेगा। ब्रिक्स देशों द्वारा न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार को स्थानीय मुद्रा में चलाने का निर्णय लिया गया है, बल्कि इन देशों में निवेश को बढ़ावा देने हेतु विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के मॉडल पर 'ब्रिक्स विकास बैंक' की स्थापना के उद्देश्य से आगे बढ़ने का निर्णय भी लिया है। इस दृष्टि से इन देशों के वित्त मंत्री 'ब्रिक्स विकास बैंक' के प्रस्ताव पर विचार करेंगे और आगामी ब्रिक्स की बैठक में रपट प्रस्तुत करेंगे। माना जा रहा है कि 'ब्रिक्स विकास बैंक' ढांचागत विकास हेतु सदस्य देशों के बीच संसाधनों को एकत्र करने का काम तो करेगा ही, वैश्विक संकट के समय उधार देने का काम भी कर सकेगा।

ब्रिक्स देशों की एकता से बहुत संभावनाएं जन्म ले रही हैं, लेकिन जरूरत इस बात की है कि ब्रिक्स देशों में सबसे ताकतवर देश चीन अपने रुख में बदलाब लाए। चीन द्वारा भारत की सीमाओं पर की जा रही छेड़खानी से ब्रिक्स देशों की एकता में दरार पड़ सकती है। ऐसे में अमरीका और अन्य विकसित देशों की दादागिरी से टक्कर लेना कठिन हो सकता है।

(लेखक पीजीडीएवी कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।)

श्रम के सम्मान से राष्ट्र बनेगा महाशक्ति

–स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि, संस्थापक, भारतमाता मंदिर, हरिद्वार

गत दिनों हरिद्वार में भारतीय मजदूर संघ की दो दिवसीय बैठक सम्पन्न हुई। बैठक का उद्घाटन हरिद्वार स्थित भारतमाता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण में श्रमिकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बिना श्रमिकों के उन्नति की कल्पना करना असम्भव होगा। उन्होंने कहा कि देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए श्रमिकों का सम्मान जरूरी है। आज मजदूरों और उद्योगों की समस्याएं चिन्ताजनक हैं।

बैठक में राज्य व केन्द्र सरकारों की श्रम नीतियों पर विस्तार से चर्चा हुई। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सज्जी नारायण ने केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विगत 20 फरवरी को हुई मजदूर संघों की देशव्यापी हड़ताल की सफलता के लिए श्रमिकों को बधाई दी।

बैठक में 'चलो गांव की ओर' अभियान चलाने का फैसला किया गया। राष्ट्रीय महामंत्री श्री बैजनाथ राय ने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मजदूरों को नहीं मिल रहा है। बैठक में सर्वश्री उदय पटवर्धन, के. लक्ष्मा रेड्डी, बसंत कुमार, सुश्री गीता गोखले आदि ने भी अपने विचार रखे। मनोज गहतोड़ी

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कुमार विश्वास ने की बलूचिस्तान के आजादी की प्रार्थना, कहा- यही है पाकिस्तान से छुटकारा पाने का सही समय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ युद्ध नहीं, भारत की आत्मा का प्रतिकार है : जब राष्ट्र की अस्मिता ही अस्त्र बन जाए!

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कुमार विश्वास ने की बलूचिस्तान के आजादी की प्रार्थना, कहा- यही है पाकिस्तान से छुटकारा पाने का सही समय

‘ऑपरेशन सिंदूर’ युद्ध नहीं, भारत की आत्मा का प्रतिकार है : जब राष्ट्र की अस्मिता ही अस्त्र बन जाए!

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies