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सहारनपुर
सपा सरकार के आते ही पुलिस ने दिखाई तेजी
गोवंश रक्षकों को बताया गोवंश के लुटेरे
वैसे तो उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला काफी समय से गो तस्करों का का अड्डा बना हुआ है। जिले में कई जगहों पर अवैध रूप से गोवंश की हत्या और गोमांस का अवैध व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड की सीमा को जोड़ने वाला उ.प्र. का सहारनपुर जिला गो-तस्करों द्वारा राज्यों की सीमा पार कराने का एक प्रमुख केन्द्र है। समाजवादी पार्टी की सरकार आने को बाद से इस जिले के पशुतस्करों के हौसले बुलंद हैं और सपा सरकार भी उन्हीं की मदद कर रही है। यही वजह है कि इन दिनों पूरा सहारनपुर जिला उबल रहा है और जगह-जगह पर हिन्दू संगठनों के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आक्रोश के लिए जिम्मेदार है वह पुलिस-प्रशासन जिसने गोवंश रक्षकों पर ही गोवंश की लूट और डकैती का झूठा मकदमा दर्ज किया और गो-तस्करों को पशु व्यापारी बताकर उनका संरक्षण कर रही है।
घटनाक्रम के अनुसार गत 4 मई की सायंकाल मुस्लिमों के प्रमुख केन्द्र देवबंद थाना क्षेत्र के भायला गांव से होकर गोवंश तस्करों के 5 ट्रक जा रहे थे। इसकी जानकारी जब हिन्दू युवकों को लगी तो उन्होंने ट्रक रुकवा लिए। चारों तरफ से ग्रामीणों ने ट्रकों को घेरा तो 2 चालक ट्रक लेकर भागने में कमयाब हो गए और बाकी ट्रकों के ड्राइवर भाग गए। 3 ट्रकों में से लगभग 70 गाय और बछड़ों को ग्रामीणों ने मुक्त करा दिया। इसके बाद गंगोह निवासी इकबाल पुत्र अल्लाबंद ने क्षेत्र के सुपरिचित भाजपा नेता रामपाल सिंह पुण्डीर सहित अज्ञात लोगों के खिलाफ देवबंद थाने में हथियारों के बल पर पशु व नकदी लूटने का मुकदमा दर्ज करवा दिया। पुलिस ने भी बिना छानबीन किए लूट व डकैती की धाराओं (धारा 395, 397) में मामला दर्ज कर लिया। वस्तुस्थिति यह है कि उस दिन रामपाल सिंह पुण्डीर भायला गांव में थे ही नहीं। उधर भायला गांव जाकर पुलिस ने मुनादी पिटवा दी कि लूटी गई गाय थाने तक पहुंचा दें वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिर 7 मई की सायंकाल रामपाल सिंह पुण्डीर व गायों की तलाश में गांव में छापेमारी की गई। पुलिस का दावा है कि उसने 11 गाय और 6 बछड़े बरामद कर लिए हैं, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि वे गाय व बछड़े उनके हैं, तस्करों से छुड़ाए गए नहीं।
इस बीच बिजनौर के अख्तराबाद निवासी खलील अहमद,इरफान, तस्लीम और महबूब भी देवबंद कोतवाली पहुंचे और पशु खरीद के कागजात दिखाकर कथित तौर पर लूटे गए गोवंश को वापस दिलाने की मांग की। पुलिस ने उनके खिलाफ पशु व गोवंश संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की वजाय वापस जाने दिया। नियमानुसार यदि व्यापार के लिए ट्रकों से पशुओं को लाया-ले जाया जा रहा है तो एक ट्रक में 5 से ज्यादा गाय या भैंस नहीं होनी चाहिए। पर 3 ट्रकों में 70 के लगभग गाय-बछड़ों को ठूंस-ठूंसकर भरने वाले ये कथित व्यापारी क्या पशु तस्कर नहीं थे? पुलिस प्रशासन की इसी दोगली और मुस्लिमपरस्त नीति के विरुद्ध हिन्दू संगठनों में जबरदस्त आक्रोश पैदा हो गया। सहारनपुर, देवबंद, रामपुर मनिहारन, गंगोह, तलहेड़ी बुजुर्ग, ननौता सहित जिले के सभी छोटे-बड़े कस्बों में प्रदर्शन, सांकेतिक चक्का जाम, पुतला दहन व सभाएं हुर्इं और भाजपा नेता रामपाल सिंह पुण्डीर व अन्य पर से लूट का झूठा मुकदमा वापस लेने व गो-तस्करों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की गई। भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद्, हिन्दू जागरण मंच, युवा रामा दल आदि संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो विरोध प्रदर्शन और व्यापक होगा।
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड की सीमा को जोड़ने वाला उ.प्र. का सहारनपुर जिला गो-तस्करों द्वारा राज्यों की सीमा पार कराने का एक प्रमुख केन्द्र है।
इस बीच 8 मई को सहारनपुर जिले के ही कमेला क्षेत्र में छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में गोवंश की खालें, गोवंश के अवशेष, 12 जिंदा बैल और सांड़ मिले। गोमांस से भरी दो जीपें भी बरामद हुइ। पुलिस ने मौके पर से अजीम और नूर हसन को गिरफ्तार किया, बाकी साथी भागने में कामयाब रहे। साफ है कि सहारनपुर में गोवंश रक्षकों और गो-हत्यारों के बीच संघर्ष बढ़ सकता है। देखना है कि प्रशासन क्या भूमिका अपनाता है।
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