बाल-बाल बची गाय
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बाल-बाल बची गाय

by
Apr 28, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बाल-बाल बची गाय

दिंनाक: 28 Apr 2012 14:52:23

गो–मांस निर्यातकों और सरकार की बुरी नजर से

यदि आपके शरीर में धड़कता दिल है तो इन मांस और रक्त के सौदागरों को इतना अवश्य कहिए कि भारत माता को इतना मत नोचो की भविष्य की पीढ़ी तुम्हारा नाम लेने से भी घृणा करे।

 मुजफ्फर हुसैन

छले दिनों योजना आयोग द्वारा गठित एक समिति ने सिफारिश की कि गोमांस के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाए। इसके बाद देश में गोमांस के कारोबार से जुड़े लोग उछलने लगे। उन्हें लगने लगा कि अब तो उनके हाथों में अलीबाबा का खजाना आ गया है। समिति की इस वाहियात और अदूरदर्शी  सिफारिश से करोड़ों गोभक्त असमंजस में पड़ गए। ज्यों ही यह समाचार अहिंसावादियों और राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों तक पहुंचा वे बेचैन हो उठे। सारे देश में जबरदस्त आन्दोलन खड़ा हो गया। सरकार के इस पाप की चहुं ओर भर्त्सना होने लगी। कई राष्ट्रवादी संगठनों ने इस सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं अन्य लोगों को पत्र लिखा और इस सिफारिश को न मानने की हिदायत दी। जनाक्रोश को देखने के बाद सरकार ने अपने आप पाप को धोने के लिए यह बहाना तलाश कर लिया कि सरकार की ऐसी कोई नीति नहीं है और न ही इच्छा। यह सब तो एक 'क्लेरीकल एरर' का नतीजा है। अतएव सरकार इस गलती को सुधार कर अपनी पुरानी नीति पर ही कायम  रहेगी। यानी गोमांस का निर्यात नहीं होगा। सरकार इसे कर्मचारी की गलती बता रही है यह तो जनता के साथ एक भोंडा मजाक है।

यदि सरकार का ध्यान इस ओर नहीं खींचा जाता तो करोड़ों गो माताएं छुरी के नीचे आ जातीं और उनके मांस का व्यापार करने वालों के वारे-न्यारे हो जाते। सरकार कुछ भी कहे लेकिन कोई यह तर्क स्वीकार करने वाला नहीं है। क्या इस पर कभी सरकार ने ठंडे दिमाग से विचार किया है? 'क्लेरिकल एरर' का परिणाम लाखों गायों की हत्या, ऐसा पाप करने वाले को क्या सरकार और समाज कभी दण्डित करेगा? क्या वास्तव में यह भूल थी या फिर सरकार और मांस निर्यातकों का कोई षड्यंत्र? कृषि विभाग के कुछ सूत्रों का कहना है कि जो कुछ भी हुआ है वह एक षड्‌यंत्र के तहत हुआ है। जनता का विरोध होने के पश्चात् जब सरकार को अपना चेहरा आईने में दिखाई पड़ने लगा तो उसने इसे अंजाने में हुई भूल से निरूपित कर दिया। यदि वास्तव में सरकार इसे गलती मानती तो निश्चित ही क्षमा याचना करती है। अपनी भूल के लिए लोकसभा में पछतावा जाहिर करती। लेकिन सरकार के चेहरे पर ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई पड़ा।

यह तो साजिश है

माना जा रहा है कि सरकार और मांस निर्यातकों ने मिलकर यह षड्यंत्र रचा था। एक बार गो मांस के निर्यात से प्रतिबंध हट गया होता तो मांस निर्यातकों को रोकना कठिन होता। इन लोगों ने सभी प्रकार के प्रबंध कर लिए थे। सचिवालय में बैठे उनके दलाल अपने सामने विदेशी मुद्रा के ढ़ेर देख रहे थे इसलिए उन्होंने कुछ नहीं कहा। इतने गहरे षड्यंत्र को 'क्लेरीकल एरर' कहना सरकार का पाखंड और निरा झूठ है। यह एक सामान्य बात है कि जब जनता चिल्लाती है उस समय सरकार की आंखें खुलती हैं। ऐसी भूल करते रहना सरकार की पुरानी आदत है। 2001 में भी दसवीं पंचवर्षीय योजना को लागू करने के अवसर पर सरकार ने 5000 कत्लखानों के खोलने की घोषणा करने का दुस्साहस किया था। लेकिन समय रहते अरविंद भाई पारेख और राजेन्द्र जोशी जैसे सैकड़ों अहिंसावादियों ने सरकार के इस सपने को साकार नहीं होना दिया था।

12वीं पंचवर्षीय योजना में भी सरकार ने एक ऐसे ही कार्य समूह की रचना की है। जिसका मुख्य काम योजनाओं के लिए सुझाव देना है। कृषि मंत्रालय से जुड़े पशुपालन एवं डेरी विभाग को मांस और कत्लखाने का विषय दिया गया है। इसने जो रपट तैयार की है उसे पढ़ते ही शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कत्ल के आंकड़े तेजी से बढ़ाना, कार्यरत कत्लखानों का आधुनिकीकरण करना, अधिक से अधिक आधुनिक मशीन से सुसज्जित कत्लखाने खोलना, मांस के निर्यात में आने वाले अवरोधों को हटाना और यह सब कुछ करने के लिए क्या किया जाए? आदि बातों का समावेश किया गया है। इसने एक भयानक सुझाव दिया है कि गोमांस निर्यात पर जो वर्तमान में प्रतिबंध है, उसे हटाया जाए। भारत की आयात-निर्यात नीति में पिछले 63 साल से गो-मांस के निर्यात पर प्रतिबंध है उसे दूर करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। रपट में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि इस समय जो मांस भेड़, बकरे, भैंस, खरगोश और अन्य पक्षियों का निर्यात किया जाता है वह पर्याप्त नहीं है। उसकी मांग कम होती जा रही है इसलिए भारतीय कृषि और पशु पालन पर अंतिम झटका गाय की हत्या का ही होगा।

रपट में दिए गए सुझावों में कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि मांस और कत्लखाने के विभागीय समूह के सदस्यों के वरिष्ठ अधिकारी डा. एस.के. रंजन हैं, जो हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज के निर्देशक हैं। यह कम्पनी मांस का निर्यात करने वाली बड़ी कम्पनियों में से एक है। जो लोग मांस के धंधे में हैं उन्हें ही सुझाव देने का अधिकार देना कितना न्यायिक और नौतिक है? इस विभागीय समूह के एक और सदस्य डा. एन कोण्डय्या हैं। वे पिछली तीन पंचवर्षीय योजनाओं से इस प्रकार के समूह के सदस्य के रूप में अपनी सलाह दे रहे हैं।

रक्त के सौदागर

मांस निर्यात को प्रोत्साहन देने वाले कौन से नेता हैं, इसकी जानकारी भी पाठकों को होना अनिवार्य है। इनमें सबसे अग्रणी योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोन्टेक सिंह आहलूवालिया, उद्योग मंत्री आनंद शर्मा, कृषि मंत्री शरद पवार और प्रोफेसर अभिजीत सेन हैं। यदि आपके शरीर में धड़कता दिल है तो इन मांस और रक्त के सौदागरों को इतना अवश्य कहिए कि भारत माता को इतना मत नोचो की भविष्य की पीढ़ी तुम्हारा नाम लेने से भी घृणा करे। गो मांस के निर्यात पर तो भारत सरकार इस प्रकार की बेहूदी मिसालें देकर अपना पल्ला झाड़ सकती है, लेकिन क्या वह इस बात का दावा कर सकती है कि भारत में गोवध नहीं होता है और उसके मांस का भक्षण खुलेआम नहीं होता है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर 'बीफ' के नाम पर  बेचा जाने वाला मांस किस पशु का है? पाठक इस बात को भूले नहीं होंगे कि में कामनवेल्थ खेल दिल्ली में आयोजित किए गए थे, उसकी सूची में गोमांस शामिल था। विरोध करने पर यह कहा गया था कि खिलाड़ियों के खानपान की सूची एक अंतरराष्ट्रीय समिति तय करती है, क्योंकि खिलाड़ियों को अपनी ऊर्जा बनाए रखने के लिए स्तरीय भोजन दिया जाता है। इसमें 'बीफ' अनिवार्य रूप से शामिल है। अनेक प्रभावशाली लोगों ने इसका विरोध भी किया लेकिन सुरेश कलमाडी और शीला दीक्षित की कम्पनी ने ऐसा नहीं होने दिया। वहां खुलेआम गोमांस परोसा गया। जबकि दिलचस्प बात यह है कि जिन भारतीय खिलाड़ियों ने स्वर्ण एवं रजत प्राप्त किए उनमें 70 प्रतिशत खिलाड़ी शाकाहारी थे। शाकाहारी खिलाड़ियों में सबसे अधिक संख्या हरियाणा के खिलाड़ियों की थी। पिछले दिनों हैदराबाद में 'बीफ फेस्टीवल' आयोजित किया गया। यह भारत जैसे शाकाहारी देश में पहली घटना है। गोमांस के अलग-अलग प्रकार के पकवान प्रतिस्पर्धा में तैयार करके रखे गए। बड़ी बेशर्मी के साथ उसकी तस्वीरें अखबारों में प्रकाशित की गईं।

जब गोमांस का विरोध किया जाता है तो यह बहाना बना लिया जाता है कि 'बीफ' का अर्थ होता है भैंस का मांस। बैलों को काटना और उसका मांस चोरी-छिपे विदेशों में भेज देने का कुचक्र बड़े पैमाने पर चलता है। गोवंश की सही परिभाषा नहीं होने से बैल और भैंस के नाम पर गो हत्या बड़ी संख्या में होती है। 'बीफ' के नाम पर कंटेनरों में भरकर गोमांस चोरी-छिपे आज भी विदेशों में भेजा जाता है। भैंस को काटना हमारे यहां कानूनी रूप से वैध है इसलिए इस आड़ में गोहत्यारों को पकड़ पाना बड़ा मुश्किल है। ब्रिटिश काल से चला आ रहा 'बीफ' शब्द अत्यंत भ्रामक है। गोवंश को इस शब्द से अलग किया जाना चाहिए। वरना 'बीफ' के नाम पर गोवंश की अवैध हत्या कभी बंद नहीं होगी।Enter News Text.

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

वैष्णो देवी यात्रा की सुरक्षा में सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies