स्वास्थ्य डा. हर्ष वर्धन  एम.बी.बी.एस.,एम.एस. (ई.एन.टी.) पीठ का दर्द  आधुनिक जीवन शैली की देन
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स्वास्थ्य डा. हर्ष वर्धन  एम.बी.बी.एस.,एम.एस. (ई.एन.टी.) पीठ का दर्द  आधुनिक जीवन शैली की देन

by
Apr 16, 2012, 12:00 am IST
in Archive

स्वास्थ्य

दिंनाक: 16 Apr 2012 12:52:35


पीठ दर्द को मेडिकल भाषा में डोर्साल्जिया कहा जाता है। पीठ का दर्द लोगों की अक्सर आने वाली शिकायतों में से एक है। यह दर्द आम तौर पर मांसपेशियों, तंत्रिका, हड्डियों, जोड़ों या रीढ़ की अन्य संरचनाओं में महसूस किया जाता है। यह अचानक होने वाला दर्द या स्थायी दर्द भी हो सकता है। लगातार या कुछ अंतराल पर भी हो सकता है। किसी एक जगह पर हो सकता है या अन्य हिस्सों में फैल सकता है। हल्का या तेज दर्द हो सकता है। दर्द में चुभन या जलन महसूस हो सकती है। कुछ लोगों में ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि वह जमीन पर गिरी चीजें भी नहीं उठा पाते हैं। 
पीठ का दर्द अपने आप में कोई गंभीर रोग नहीं अपितु कई रोगों या गलत आदतों से पैदा हुआ एक लक्षण मात्र है। जब हम गलत तरीके से लेटते या बैठते हैं तो संवेदनशील नाड़ियों एवं शरीर के अन्य अंगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसा बार-बार होने या गलत प्रभाव के कारण पीठ के दर्द की शिकायत हो जाती है।  आम तौर पर उम्र बढ़ने के साथ शुरू होने वाले पीठ दर्द की शिकायत 30-50 वर्ष की उम्र में ही लोगों को होने लगी है। खासतौर पर नौजवानों में पीठ का दर्द अधिकांशत: गलत तरीके से बैठने के कारण हो सकता है। बुजुर्गों में यह दर्द “ओस्टियोपोरोसिस” तथा कैल्शियम की कमी के कारण शरीर में होने वाली हड्डियों की टूट-फूट की वजह से हो सकता है। अनेक महिलाओं में पीठ का दर्द गर्भावस्था के दौरान अथवा इसके उपरांत भी हो सकता है। इस अवस्था में पीठ में दर्द होने के प्रमुख रूप से दो कारण होते हैं: प्रथम-शरीर में अतिरिक्त वजन के बढ़ जाने के कारण पीठ के निचले हिस्से पर दबाव पड़ने लगता है तथा दूसरा : हारमोन्स में परिवर्तन के कारण रीढ़ (स्पाइन) के निचले हिस्से का अस्थिबंध (लिगामेन्ट्स) सुस्त हो जाता है।
पीठ दर्द के सामान्य कारण निम्नलिखित हैं-
थ् पीठ पर अधिक बोझ लादकर चलना
थ् जोड़ों का घिस जाना, सीधे न बैठना या चलना
थ् मोटापा
थ् निष्क्रिय जीवन शैली
थ् पैरों में कोई खराबी
थ् किसी प्रकार की चोट का लगा होना
थ् कमर में मोच आना
थ् रीढ़ की हड्डी में विकृति या संक्रमण
थ् कमर की हड्डियों में कोई जन्मजात विकृति
थ् कभी-कभी रीढ़ की हड्डी में गंभीर रोगों जैसे टी.बी., संक्रमण, कैंसर आदि के कारण भी पीठ में दर्द हो सकता है, इसलिए इलाज में लापरवाही खतरनाक हो सकती है।
थ् व्यायाम की कमी
थ् खेलकूद या यात्रा करते समय बार-बार झटके लगना
थ् बहुत अधिक चिन्ता, थकावट या मानसिक तनाव। ऐसी स्थिति में पीठ की मांसपेशियों में तनाव पैदा हो जाता है जो पीठ दर्द का कारण बन जाता है। उपयुक्त स्थिति में न सोना
थ् घंटों एक ही जगह तथा एक ही स्थिति में बैठे रहना
थ् संतुलित भोजन का अभाव
थ् लेटकर पढ़ना
थ् झुककर टीवी देखना या कार्य करना।
थ् उम्र के साथ बढ़ती बीमारियों के कारण भी पीठ का दर्द हो सकता है।
पीठ दर्द के लक्षण-
थ् पीठ के निचले हिस्से या कमर में लगातार हल्का-हल्का दर्द होना।
थ् शरीर में बहुत अधिक अकड़न तथा दर्द होना।
थ् हल्की सी चोट लगने पर भी दर्द होना।
थ् कमर के नीचे के भाग में एक समान दर्द वाली अवस्था का बना रहना।
पीठ में दर्द का वास्तविक कारण क्या है, इसका पता तो चिकित्सक द्वारा सुझाये गये आवश्यक जांच के उपरांत ही पता चल पाता है। अत: पीठ का दर्द होने पर जीवन चर्या में कुछ परिवर्तन कर निम्नलिखित सावधानियां बरतने पर काफी हद तक राहत मिल सकती है।
थ् हमेशा सीधे बैठें और उचित ढंग से चलें।
थ् कुर्सी पर भी सीधी अवस्था में बैठें। शरीर का पश्चभाग कुर्सी के पिछले हिस्से को स्पर्श करती हो। घुटनों के मुड़ने की स्थिति 90 डिग्री की बनाये रखें तथा एक दूसरे के ऊपर रखकर न बैठें। घुटनों को “हिप्स” के बराबर अथवा थोड़ा सा ऊंचा करके बैठें।
थ् पैरों को फर्श पर फ्लैट करके रखें। एक ही स्थिति में अधिक देर तक न बैठें।
थ् कार्य स्थल पर अपनी कुर्सी को “वर्क स्टेशन” से इस प्रकार व्यवस्थित करें, जिससे  आपको कार्य करने में आसानी हो। कोहनी और हाथों को कुर्सी अथवा “डेस्क” पर आराम की अवस्था में रखें तथा कंधों को शिथिल रखें।
थ् आगे झुकने वाले आसन न करें और ज्यादा दर्द होने पर योग व व्यायाम न करें।
थ् ज्यादा देर तक कुर्सी पर न बैठें। आधे घंटे के अंतराल पर उठकर टहलें।
थ् कोई वजनदार वस्तु न उठायें। कभी उठाना पड़े तो इस प्रकार उठायें कि कमर पर दबाव न पड़े।
थ् शारीरिक श्रम से परहेज न करें। शारीरिक श्रम मांसपेशियों को पुष्ट बनाता है।
थ् ऊंची एंड़ी के जूते-चप्पल की बजाय साधारण जूते-चप्पल का इस्तेमाल करें।
थ् देर तक कहीं खड़े होने की जरूरत हो तो एक ही अवस्था में खड़े न रहें बल्कि स्थिति को बदलते रहें।
थ् सीढ़ियों पर चढ़ते-उतरते समय सावधानी बरतें।
थ् मोटे या अधिक ऊंचे तकिया का प्रयोग न करें।
थ् पीठ में ज्यादा दर्द हो तो व्यक्ति को काम नहीं करना चाहिए और उसे आराम करना चाहिए।
थ् ठोस बिस्तर का प्रयोग करना चाहिए तथा उस अवस्था में कभी नहीं सोना चाहिए जिस अवस्था में रीढ़ की हड्डी मुड़ती हो। कभी भी अपनी मर्जी से दर्द निवारक  गोलियां न लें।
पीठ दर्द के संदर्भ में दी गयी उपरोक्त जानकारी पाठकों की जागरूकता के लिए है। यदि किसी पाठक को यह परेशानी है तो उपरोक्त जानकारी के आधार पर सावधानियां तो बरतें परन्तु अपनी मर्जी से कोई दवा न लें। पीठ में होने वाले दर्द को सामान्य स्थिति (रूटिन सिमटम) की तरह नहीं समझना चाहिए। यह हमेशा किसी बीमारी का लक्षण होता है, जिसका शुरू में ही निदान (डायग्नोसिस) करके भविष्य में आने वाली जटिल समस्याओं से बचा जा सकता है अन्यथा बढ़ी हुई बीमारी के कारण रीढ़ की हड्डी को गंभीर नुकसान होने के बाद, अक्सर किसी भी इलाज के द्वारा ठीक करना असंभव हो जाता है। अत: यह आवश्यक है कि बिना विलंब किये किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि दर्द के सही कारणों का पता चल सके तथा उपयुक्त इलाज संभव हो सके।
लेखक से उनकी वेबसाइट ध्र्ध्र्ध्र्. ड्डद्धण्ठ्ठद्धद्मण्ध्ठ्ठद्धड्डण्ठ्ठद.ड़दृथ्र् तथा ईमेल ड्डद्धण्ठ्ठद्धद्मण्ध्ठ्ठद्धड्डण्ठ्ठदऋ ढ़थ्र्ठ्ठत्थ्.ड़दृथ्र् के माध्यम से भी सम्पर्क किया जा सकता है।द

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