पाठकीय (26 फरवरी,2012)
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पाठकीय
अंक-सन्दर्भ
26 फरवरी,2012
आवरण कथा के अन्तर्गत श्री कमलेश सिंह की रपट “आजमगढ़ के रास्ते सत्ता की तलाश” सच्चाई पर आधारित एक अत्यंत शक्तिशाली दस्तावेज है। दस जनपथ के चाटुकार कभी दिल्ली पुलिस के जांबाज इन्सपेक्टर मोहनचन्द्र शर्मा की शहादत को शर्मसार करते हुए सोनिया गांधी के कथित आंसुओं पर वोट मांगते हैं, तो कभी जबरन “हिन्दू आतंकवाद” का मुद्दा उछालकर जिहादी आतंकवादियों से हमदर्दी जताते हैं। कांग्रेसियों को पता होना चाहिए कि अब वह समय नहीं रहा जब लोग जज्बाती आधार पर वोट करते थे।
-आर.सी.गुप्ता
द्वितीय ए-201, नेहरू नगर, गाजियाबाद-201001 (उ.प्र.)
द बहादुर पुलिस अधिकारी मोहनचन्द्र शर्मा की शहादत पर गर्व करने की बजाय जिहादियों के लिए आंसू बहाना कांग्रेसियों के प्रति विकर्षण का भाव उत्पन्न करता है। स्व. अर्जुन सिंह के शिष्य दिग्विजय सिंह की गतिविधियों से तो मान सिंह की याद आ रही है, जिसने अकबर की ओर से हिन्दू राजाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। मान सिंह वाला कलंक दिग्विजय सिंह को लग रहा है।
-क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया
कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
द अल्पसंख्यकवाद का विष फैला कर समाज को खोखला करने की प्रतिस्पर्धा में कांग्रेस, बसपा और समाजवादी पार्टी एक-दूसरे से आगे जा रही है। सामाजिक समरसता और सद्भाव को समाप्त कर देश को दांव पर लगाने की कुटिल नीति वर्षों से जारी है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस लगभग ढाई दशक से सत्ता से बाहर है। अब वह सत्ता पाने के लिए वह सब कर रही है, जो समाज को खंडित करे। उसके लिए राष्ट्रवाद गौण हो गया, सत्ता महत्वपूर्ण हो गई।
-मनोहर “मंजुल”
पिपल्या बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)
द उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान केन्द्र सरकार के अनेक मंत्रियों और कांग्रेसी नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए कई हथकण्डों को अपनाया। यह न तो राष्ट्र के लिए ठीक है और न ही लोकतंत्र के लिए। शनै:-शनै: देश एक बार फिर विभाजन की ओर बढ़ रहा है और इस देश के बहुसंख्यक हिन्दू अपने में ही मस्त हैं।
-वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर, दिल्ली-110051
निष्पक्ष नहीं रहा चुनाव आयोग
श्री अजय मित्तल की रपट “राहुल की रैली में आओ, दो सौ रु. पाओ” में चुनाव आयोग के निष्पक्ष होने के दावे की पोल खोली गई है। लगता है कि सीबीआई की तरह चुनाव आयोग भी कांग्रेस के इशारे पर काम करता है। यदि ऐसा नहीं होता तो वह मेरठ में राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई जरूर करता। राहुल की रैली में लोगों को पैसा देकर लाया गया, इसके पक्के सबूत होने के बावजूद चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी और उसके महासचिव राहुल गांधी पर एक सख्त टिप्पणी भी नहीं की। जबकि अन्य नेताओं के विरुद्ध चुनाव आयोग बिना शिकायत मिले सक्रिय हो जाता है।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
विकास योजनाओं में लूट
श्री अरुण कुमार सिंह की रपट “भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी मनरेगा” को पढ़कर यह कहना सही होगा कि मनरेगा पर यूपीए के मेहरबान होने का एक ही कारण है मिशन 2014। किन्तु संप्रग से जुड़े नेता ही मनरेगा के पैसे को लूट रहे हैं। मनरेगा योजना तो अच्छी है। मगर इसके संचालन का जिम्मा अति भ्रष्ट केन्द्र की यूपीए सरकार के पास है। इसलिए मनरेगा पर निगरानी रखने के लिए कोई सशक्त तंत्र खड़ा नहीं किया गया।
-निमित जायसवाल
ग-39, ई. डब्ल्यू एस, रामगंगा विहार, फेस प्रथम,
मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)
द देश के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनीं और चलीं। किन्तु सारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस है। इसने प्रारंभ से ही विकास योजनाओं के नाम पर देश को लूटा है। भ्रष्टाचार में अब भी कांग्रेसी ही आगे हैं। कांग्रेसी रोग अन्य दलों को भी होने लगा है, यह चिन्ताजनक स्थिति है।
-हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
द 1970 के आस-पास कांग्रेसी राज में तत्कालीन बिहार के संथाल परगना क्षेत्र में सुन्दर नदी पर एक बांध बना और वहां से नहरें निकाली गईं। पर उनमें कभी पानी नहीं आया। अब वे नहरें भी विलुप्त हो चुकी हैं। ऐसी योजनाओं का क्या लाभ? अगर उन नहरों में पानी आता तो पूरा क्षेत्र खुशहाल रहता। ऐसी कागजी योजनाओं से ही देश का विकास नहीं हो रहा है।
-गोपाल प्रसाद
गांधीग्राम, जिला-गोड्डा (झारखण्ड)
वीर और बलिदानी सिख
वीर बालक स्तम्भ के अन्तर्गत सिखों की तीन पीढ़ियों के बलिदान की गाथा दिलों में आग भरती है। अनेक बार सुनी गई गुरुपुत्रों की वीरता हर बार शब्दों के माध्यम से आंखों में आंसू ला देती है। कैसे वीर और बलिदानी हैं सिख? मोहाली का नामकरण वीर गुरु पुत्र अजीत के नाम पर “अजीतगढ़” करना उस इतिहास को जीवित करना है।
-प्रो. परेश
1251/8सी, चण्डीगढ़
शुरू हो नदी जोड़ो परियोजना
पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देंश दिए हैं कि “नदी जोड़ो परियोजना” पर अमल किया जाए। नदी जोड़ो परियोजना अटल जी की सरकार ने 2002 में तब बनाई थी जब देश में सूखा पड़ा था। अगर देश की सभी प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ा जाए तो बाढ़ और सूखे की समस्या से बहुत हद तक निपटा जा सकता है। किन्तु दुर्भाग्य से 2004 में केन्द्र में सरकार बदलते ही यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। न्यायालय के निर्देश से यह उम्मीद जगी है कि मनमोहन सरकार इस परियोजना को साकार करने के लिए कमर कसेगी।
-अरुण अतरी
560, सीता नगर, लुधियाना (पंजाब)
सुन्दर सन्देश
श्री राकेश भ्रमर की लघुकथा “लौकी की कीमत” में वह सब है जो आज सामान्य जन चाहता है। लोकमान्य तिलक से लेकर आजादी के दीवाने सारे कांतिकारियों की आवाज, सुराज की कल्पना एवं महात्मा गांधी से लेकर अण्णा हजारे तक के सभी जन नायकों का प्रयास मानो एकाएक सफल हो गये। इस लघुकथा के माध्यम से पूरे समाज को एक सन्देश दिया गया है कि आखिर में जीत उसी की होती है, जो सच्चाई को नहीं छोड़ता है और सुकर्म में लगा रहता है।
-ज्ञान चन्द्र जैन
अरहंत मेडिकोज, “गोकुल” गौरमूर्ति, सागर-470002 (म.प्र.)
कांग्रेस का देश-विरोधी कार्य
देश में संतति नियमन कानून की पिछले 40 वर्षों से आवश्यकता अनुभव की जा रही है, परन्तु कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति के चलते देश की विपत्ति से आंखें मूंदे बैठी है।
बढ़ती जनसंख्या का कारण बढ़ी हुई जन्म दर तो है ही, इसके अतिरिक्त चार करोड़ बंगलादेशी भी जनसंख्या वृद्धि का कारण हैं। सरकार उन्हें निकालने के लिए कुछ नहीं कर रही है। वोट बढ़ाने के लिए राजनेता तथा रिश्वत के लिए सरकारी कर्मचारी बंगलादेशियों को नागरिकता प्रदान करने के साथ ही राशन कार्ड भी बनवा रहे हैं। गरीबों के लिए आरंभ की गई कल्याण योजनाओं का लाभ तो बंगलादेशी उठाते ही हैं, इसके अतिरिक्त ये लोग विभिन्न अपराधों में लिप्त रहते हैं। 24 जनवरी 2012 को दिल्ली के रोहिणी न्यायालय की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुश्री कामिनी ला ने एक बंगलादेशी युवक को सजा सुनाते हुए लिखा है “अवैध रूप से रह रहे बंगलादेशी न केवल मजे से जीवन गुजार रहे हैं, बल्कि भारतीय नागरिकों के अधिकारों एवं भारतीय लोगों के लिए बनी सरकारी सुविधाओं का भी भरपूर मात्रा में दोहन कर रहे हैं”। परन्तु सरकार चलाने वाले राजनेता देशहित की चिन्ता न करके अपने मतदाता बढ़ाने में व्यस्त हैं। बंगलादेशियों को देश से बाहर भेजने की उनकी इच्छा ही नहीं है।
इससे पूर्व सर्वोच्च न्यायालय भी अवैध रूप से आए हुए बंगलादेशियों को मिल रहे राजनीतिक संरक्षण पर गंभीर चिन्ता प्रकट कर चुका है। किन्तु अवसरवादी राजनीति के कारण अब तक कोई ठोस योजना नजर नहीं आती।
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के तत्काल पश्चात् बंगलादेशियों का आगमन आरंभ हुआ था। नेहरू उस समय प्रधानमंत्री थे, फखरुद्दीन अली अहमद असम के मुख्यमंत्री तथा मुईनुल हक चौधरी असम के सिंचाई मंत्री थे। इन नेताओं ने असम में जो सबसे बड़ा काम किया, वह वहां पर बंगलादेशियों को बसाने का था। स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों में ही बंगलादेशियों को बसाकर मुसलमान मतदाताओं का अनुपात तीव्र गति से बढ़ाया गया। इससे कांग्रेस को शक्ति मिली और फखरुद्दीन अली अहमद को राष्ट्रपति पद प्राप्त हुआ।
असम में कांग्रेस के इस देशद्रोही कार्य के विरोध में वहां के छात्रों ने उग्र आन्दोलन किया और इस काम के लिए असम गण परिषद् के नाम से एक राजनीतिक संगठन की स्थापना की। इसका प्रतिनिधिमंडल बार-बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी से मिलने दिल्ली आता और कई-कई दिन दिल्ली में पड़ा रहता, परन्तु इन्दिरा गांधी मिलने का समय नहीं देती थीं। तब आन्दोलनकारियों ने असम में ही अपना आन्दोलन तीव्र किया। इसके परिणामस्वरूप इन्दिरा सरकार ने एक आव्रजन विरोधी कानून (आईएमडीटी) बनाया। यह कानून कहने के लिए तो बंगलादेशियों को निकालने का था, परन्तु वास्तव में यह कानून बंगलादेशियों का भारत में निवास पक्का करने वाला था। इस कानून के अन्तर्गत किसी बंगलादेशी की शिकायत करने पर शिकायत करने वाले की ही जिम्मेदारी, उसे बंगलादेशी साबित करने की थी। भला कोई भारतीय किसी बंगलादेशी के जन्मस्थान, स्कूल आदि का पता कैसे बता सकता है? यह तो जिसकी शिकायत हुई है, वह यदि स्वयं को भारतीय कहता है, तो भारत में अपना जन्मस्थान, स्कूल सर्टिफिकेट आप बताए। परिणामस्वरूप इन्दिरा गांधी के बनाए कानून के अन्तर्गत एक भी बंगलादेशी वापस नहीं भेजा जा सका। यह इन्दिरा सरकार का एक षड्यंत्र भी था। बाद में 1974 में असम के एक कार्यकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में इस कानून को चुनौती दी थी और सर्वोच्च न्यायालय ने इस कानून को रद्द कर दिया। इस प्रकार कांग्रेस ने शुरू से ही चुनावों में जीतने के लिए राष्ट्रविरोधी कार्य किया। जुलाई 2008 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी बंगलादेशी घुसपैठियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था “बंगलादेशी इस देश में “किंग मेकर” की भूमिका में आ गए हैं”। नेहरू और इन्दिरा से कांग्रेस को विरासत में बंगलादेशियों के वोट प्राप्त हुए हैं और उसने निष्ठापूर्वक इस विरासत को संभाला है, भले ही इससे राष्ट्र का अहित हो रहा है।
-डा. शशिकान्त गर्ग
152/2, अहीरवाड़ा, बल्लभगढ़, फरीदाबाद-121004 (हरियाणा)
समरभूमि में ढेर
कहां छिपे किस मांद में, हैं दिग्विजयी शेर
राहुल संग वे भी हुए, समरभूमि में ढेर।
समरभूमि में ढेर, बाटला राग सुनाया
पर जनता ने सभी दलीलों को ठुकराया।
कह “प्रशांत” किस्मत पिंजरे में बंद हो गयी
चेहरे की मुस्कान न जाने कहां खो गयी?
-प्रशांत
पञ्चांग
वि.सं.2069 तिथि वार ई. सन् 2012
चैत्र शुक्ल 3 रवि 25 मार्च, 2012
“” “” 4 सोम 26 “” “”
“” “” 5 मंगल 27 “” “”
“” “” 6 बुध 28 “” “”
“” “” 6 गुरु 29 “” “”
(तिथि वृद्धि)
“” “” 7 शुक्र 30 “” “”
“” “” 8 शनि 31 “” “”
(श्रीरामनवमी)
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