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बंगलादेश से घुसपैठ भारत के लिए गंभीर खतरा

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Feb 25, 2012, 12:00 am IST
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बंगलादेश से घुसपैठ भारत के लिए गंभीर खतरा

दिंनाक: 25 Feb 2012 13:11:28

–भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ 

 कोलकाता से बासुदेब पाल

'देश का एक बड़ा हिस्सा आतंकवादियों के निशाने पर है, विशेषकर हिन्दू समाज जिहादी आतंकवादियों का निशाना और शिकार बन रहा है। पिछले कुछ सालों से देश के कई बड़े शहरों व मन्दिरों में विस्फोट करके इस देश में रहने वाले हिन्दूसमाज को भयभीत करने का प्रयास किया जा रहा है। भारत के बाहर से आतंकवादियों के द्वारा एक प्रकार से छद्मयुद्ध  चलाया जा रहा है। अपने देश का कानून, संविधान एवं हिन्दू विचार हिंसाचार की इजाजत नहीं देता। फिर भी प्रतिक्रियावश कुछ हिन्दू युवकों द्वारा जब एक-आध घटना घट जाती है, तब उसको 'हिन्दू आतंकवाद' बताकर भ्रम फैलाया जाता है और जब लगातार जिहादी आतंकवादी घटनाओं के कारण मुस्लिम आतंकवाद जैसा शब्द सामने आता है तो कई राजनीतिक नेता व मंत्री कहते हैं कि 'आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता।' एक ओर तो ऐसे दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं और दूसरी ओर देश के गृहमंत्री 'हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद' का दमन करने की बात कहते हैं? देश का आम आदमी भी जानता है कि आतंकवाद कौन लोग चला रहे हैं फिर गृहमंत्री वास्तिवकता को कैसे नहीं जानते?'

उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैया जी जोशी ने प. बंगाल के  रायगंज में स्वयंसेवकों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बातें कहकर जिहादी आतंकवाद की समस्या को और भी गंभीर बनाया जा रहा है। जिहाद का एक और स्वरूप है 'लव जिहाद', इससे सम्बंधित घटनाएं भी सोच-समझकर हिन्दू समाज को दुर्बल करने के लिए की जा रही हैं। श्री जोशी ने कहा कि 1971 में जब बंगलादेश बना, उस समय संघ के सरसंघचालक श्री गुरुजी ने कहा था कि 'पाकिस्तान का एक और टुकड़ा हो गया, लेकिन यह भारत के लिए सिरदर्द बनकर समस्याएं खड़ी करेगा।' आज हम देख रहे हैं कि बंगलादेश से लगातार बड़ी मात्रा में घुसपैठ हो रही है, जो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा व एकात्मता के लिए गंभीर खतरा है। करीब 4 करोड़ बंगलादेशी घुसपैठिए इस देश में अवैधरूप से घुसकर भारत में रह रहे हैं। दूसरी ओर पिछले दिनों जब पाकिस्तान में पीड़ित होकर हिन्दू भारत में आए हैं, तो सरकार उन्हें बाहर करने को सोचती है। दुनिया में कहीं भी उत्पीड़ित होने पर तो हिन्दू भारत में ही आएंगे, यह स्वाभाविक है। लेकिन सरकार को हिन्दुओं की चिंता नहीं है।

श्री जोशी ने आगाह करते हुए कहा कि भारत की सीमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। चीन भारत को 20-25 टुकड़ों में बांटने का मंसूबा पाल रहा है। इन खतरों से बेपरवाह केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् ने 'साम्प्रदायिक व लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक' के नाम पर भारत को अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक व जातिगत समूहों में बांटने का खतरनाक प्रारूप तैयार किया है, जिसके अनुसार अल्पसंख्यकों के जरा से भी उत्पीड़न के लिए बहुसंख्यक हिन्दू समाज को अपराधी माना जाएगा। इस प्रारूप से देश के संघीय ढांचे पर भी चोट होगी क्योंकि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी जो राज्य सरकारों के पास है, उसे छीनने की कोशिश की जा रही है। श्री जोशी ने उक्त कानून का हर-सम्भव विरोध करने के लिए सभी का आह्वान किया। उन्होंने विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं पाश्चात्य सांस्कृतिक आक्रमण से भी सभी को सावधान किया।

उद्बोधन के अंत में श्री जोशी ने कहा कि इस देश के हिन्दू जीवन दर्शन के विचार पर आधारित संगठित हिन्दू समाज समूचे विश्व के कल्याण के लिए आवश्यक है। इस हेतु प्रत्यक्ष संघ कार्य से जुड़ने के लिए श्री जोशी ने उपस्थित नागरिकों का आह्वान करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल अपने को सेकुलर व प्रगतिवादी होने का दावा तो करते हैं, मगर यही लोग वोट के लिए आम समाज में विभेद व अलगाववाद भड़काकर असमंजस की स्थिति पैदा करते हैं। वे अपने दलगत, राजनीतिक लाभालाभ के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे देशभक्त  संगठन को अलगावादी व विघटनकारी कहते हैं। मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दू चिंतन और जीवन दर्शन को आधार मानकर देशव्यापी समाज जागरण और हिन्दू संगठन का काम पिछले 87 वर्षों से करता आया है। संघ का कहना है कि हिन्दू समाज की संगठित शक्ति से ही इस देश की समस्याओं का समाधान होगा। वस्तुत: हिन्दू विचार-दर्शन किसी का विरोधी नहीं और न वह हिंसाचार में विश्वास रखता है। उसी भाव को लेकर काम करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी किसी का विरोधी नहीं है। संघ का काम रचनात्मक है, नकारात्मक नहीं।

सम्मेलन में तीन हजार से ज्यादा स्वयंसेवक व नागरिक स्थानीय विद्या चक्र हाईस्कूल मैदान में उपस्थित थे, जिनमें माता-बहनों की भी  काफी संख्या थी। कार्यक्रम के मंच पर पूर्वक्षेत्र के क्षेत्र संघचालक श्री रणेन्द्रलाल वन्द्योपाध्याय एवं उत्तर बंग प्रान्त संघचालक विद्रोही सरकार भी आसीन थे। दीनाजपुर विभाग कार्यवाह श्री ऋषिकेश साहा ने मंचस्थ अधिकारी एवं अन्य केन्द्रीय व क्षेत्रीय अधिकारियों का परिचय करवाया। इस अवसर पर संघ के केन्द्रीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य श्री श्रीकृष्ण मोतलग, क्षेत्र प्रचारक श्री अद्वैतचरण दत्त व सह-क्षेत्र प्रचारक श्री अजित प्रसाद महापात्र विशेष रूप से उपस्थित थे। अंत में विभाग सम्पर्क प्रमुख अपूर्व सरकार ने सभी का आभार प्रकट किया।

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