दृष्टिपात
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दृष्टिपात
आलोक गोस्वामी
इस्लामाबाद बीजिंग को देगा
गिलगित–बाल्टिस्तान!
अमरीका की रणनीतिक अध्ययन करने वाली संस्था मिडल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पाकिस्तानी उर्दू अखबारों के हवाले से चौंकाने वाली रपट छापी है, जिसके अनुसार, पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियों को गहरानेे के लिए पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान का विवादित क्षेत्र 50 साल के लिए बीजिंग को पट्टे पर देने का मन बनाया है। इस मुद्दे पर लम्बी-चौड़ी बात पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल कयानी के 4 से 8 जनवरी 2012 के बीजिंग दौरे के दरम्यान चीन के प्रधानमंत्री सहित फौज के बड़े वाले अफसरों के बीच हुई थी। अमरीकी संस्था की रपट, पाकिस्तान के उर्दू दैनिक 'रोजनामा बागे सहर' के हवाले से कहती है कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को चीन को पट्टे पर देने के पहले चरण में चीन वहां परियोजनाओं के विकास की योजनाएं बनाकर, उन पर काम करने के नाम पर धीरे-धीरे इलाके पर अपना नियंत्रण बना लेगा। अगले चरण में वह 50 साल के लिए इलाके को अपने कब्जे में लेकर अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के फौजी तैनात करेगा। बताते हैं कि उर्दू अखबार के इस रपट वाले अंक को गिलगित-बाल्टिस्तान में 13 दिसम्बर 2011 को खूब प्रसारित किया गया था यानी 'नाटो' हमले में 24 पाकिस्तानी फौजियों के मारे जाने के महज तीन हफ्ते से भी कम समय बाद। कयानी ने बीजिंग दौरे में वहां कहा भी था कि पाकिस्तान-चीन रिश्तों में रणनीतिक साझेदारी अहम है। तब चीन के प्रधानमंत्री वेन जिया बाओ ने कहा था, चीनी हुकूमत और पी.एल.ए. (चीन की फौज) दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूती देना जारी रखेगी, दोनों देशों की फौजों के बीच आदान-प्रदान बढ़ेगा।
भारत के लिहाज से पाकिस्तान का यह कदम इलाकाई शांति और खुशहाली के लिए किसी तरह सुभीता नहीं होगा। साउथ ब्लाक के रणनीतिकारों को पैनी निगाह रखेगी,
काबुल में उबाल
काबुल, जलालाबाद और परवान उबल रहे हैं, लोग सड़कों पर उतर आए हैं और पुलिस और अमरीकी फौजियों पर पत्थर बरसा रहे हैं, गाड़ियां फूंक रहे हैं। अफगानिस्तान के इन शहरों में पारा एकदम से चढ़ गया है, क्योंकि अफगानी जनता बगराम स्थित अमरीकी वायुसेना के अड्डे पर कुरान जलने की घटना को लेकर भड़क गई है। हिंसक प्रदर्शनों के चलते, इन पंक्तियों के लिखे जाने तक, सात लोगों की मौत हो चुकी थी जबकि दर्जनों घायल हुए थे। हालांकि वहां तैनात अमरीकी सेना के बड़े वाले अफसरों और खुद रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा ने इसे 'अनजाने' में हुई 'भूल' बताते हुए खेद जताया है, पर लोगों का गुस्सा थम नहीं रहा है। अफगानिस्तान के चार पूर्वी प्रांत सुलग रहे हैं, लोग 'अमरीका मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए जुलूस निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि बाहरी ताकतें उनके कायदों और उनकी तहजीब का अपमान कर रही हैं।
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत 21 फरवरी को हुई जब बगराम में अमरीकी वायुसेना अड्डे पर काम कर रहे अफगानी कर्मचारियों ने सैनिकों को कुछ किताबें उस भट्टी में डालते देखा जिसमें कचरा जलाया जाता है। उन्होंने पास जाकर देखा तो वे कुरान और दूसरी मजहबी किताबें थीं। 'नाटो' कमांडर जान एलेन ने राष्ट्रपति करजई और बड़े अखबारों को फोन करके बताया कि 'कुरान सहित कुछ मजहबी किताबें गलती से भट्टी में चली गईं, जिसका उन्हें खेद है। जैसे ही सैनिकों को पता चला कि उनकी गलती से क्या जला जा रहा था वैसे ही उन्होंने भट्टी रोककर किताबें निकाल लीं।' बताते हैं कि बगराम अड्डे के अफसरों को शक था कि तालिबानी कैदी उन किताबों की मार्फत एक-दूसरे को संदेश भेजते थे। कुरान की खबर सुनकर रातोंरात अफगानिस्तानियों में गुस्सा फैल गया, प्रदर्शन होने लगे। अमरीकी सैन्य ठिकानों पर पत्थरबाजी हुई। देश के मौलवियों की संस्था ने अमरीकी अफसरों से कहा, 'माफी काफी नहीं, दोषियों को सजा दो।' राष्ट्रपति करजई ने प्रदर्शनकारियों के गुस्से से हमदर्दी जताई, पर कहा कि शांति बनाए रखें। उधर 23 फरवरी को तालिबान ने अफगानियों को उकसाते हुए कहा कि 'पश्चिम वालों को मार डालो'। तालिबानी प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद के भेजे ईमेल संदेश में कहा गया है कि 'हमारे बहादुर लोगों को हमलावर सेनाओं के फौजी अड्डों, फौजी काफिलों को निशाना बनाना SÉÉʽþB*'l
'ज्यादा सताया तो हमला बोल देंगे'
ईरान ने अमरीका को चेताया
अभी हफ्ता भर भी नहीं गुजरा जब अमरीकी रक्षा गुप्तचर एजेंसी के निदेशक ले. जनरल रोनाल्ड बुर्गेस ने अमरीकी संसद तो बताया था कि 'ईरान पर हमला हुआ तो वह मिसाइलें दाग सकता है, पर वह शुरुआत नहीं करेगा या जानबूझकर लड़ाई नहीं छेड़ेगा।' इसके बाद ईरान के दूसरे सबसे बड़े फौजी अफसर मोहम्मद हेजाजी ने तड़ से जवाब दिया है कि 'अगर हमें अपने राष्ट्रीय हितों पर खतरा महसूस हुआ तो हम अपनी सुरक्षा करने के लिए हरकत में आ जाएंगे।' ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव है। तेजी से गरमाते माहौल के बीच ईरान ने 20 फरवरी को दक्षिणी इलाके में ताजा फौजी अभ्यास शुरू किया है। देश के सियासी और फौजी अफसर आएदिन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जरूरत पड़ी तो ईरान अपने दुश्मनों को सबक सिखाने का दमखम रखता है। lEnter News Text.
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