इस्लामी सिद्धांतों का हनन करके"लश्करे तोएबा" तैयार कर रहा है महिला आतंकवादी फौज
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इस्लामी सिद्धांतों का हनन करके
“लश्करे तोएबा” तैयार कर रहा है
नरेन्द्र सहगल
अमरीकी सैनिकों के हाथों मारे जा चुके विश्व के सबसे खतरनाक आतंकी ओसामा बिन लादेन द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय स्तर के आतंकी संगठन अलकायदा के बाद दूसरे स्थान के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन लश्करे तोएबा ने अब युवा लड़कियों को हिंसक आतंकवादी बनाने की एक ऐसी योजना तैयार की है जिससे इस्लाम के वजूद पर पहले से ही लग रहे सवालिया निशान और भी ज्यादा गहरे हो सकते हैं। औरतों को घर की चारदीवारी के बाहर सदैव बुर्के में रहने का आदेश देने वाले इस्लामिक सिद्धांत क्या मुस्लिम लड़कियों को जंगलों और पहाड़ों की गुफाओं में चलने वाले प्रशिक्षण शिविरों में पुरुष आतंकियों के साथ रहने की इजाजत देंगे?
पाकिस्तान प्रेरित लश्करे तोएबा
इन दिनों संसार भर में कुख्यात लश्करे तोएबा पिछले 18 वर्षों से पाकिस्तान के लाहौर के निकट मुरीदके नामक स्थान पर अपना मुख्यालय बनाकर अपनी सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों का संचालन कर रहा है। पाकिस्तान की सरकार, सेना, आईएसआई और मजहबी संगठनों की छत्रछाया में जन्म लेकर जवान हुआ यह संगठन भारत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। कश्मीर घाटी में तो इस आतंकी संगठन से संबंधित हथियारबंद दहशतगर्दों ने अब तक एक लाख से अधिक निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा जवानों की जान ले ली है।
लश्करे तोएबा के वर्तमान सर्वेसर्वा कमांडर जकीउर्रहमान लखवी ने ही मुम्बई में हुए 26/11 आतंकी हमले की साजिश रची थी। इस सोचे समझे नरसंहार में 187 निहत्थे लोगों की मौत हुई थी जिनमें अमरीका सहित कई देशों के ऐसे पर्यटक भी शामिल थे जो भारत में भ्रमण हेतु आए थे। पाकिस्तान स्थित लश्करे तोएबा द्वारा अब तक अंजाम दिए गए आतंकी हमलों में यह सबसे बड़ा हिंसक हमला था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिबंधित इस संगठन के आतंकी संसार भर में अपना जाल बिछा रहे हैं।
फिर निशाने पर कश्मीर घाटी
कश्मीर घाटी में तैनात भारतीय सुरक्षा बलों ने लश्करे तोएबा के कई गुप्त ठिकानों को तबाह करके अनेक लश्करी दहशतगर्दों को मार गिराया है। इनके ठिकानों से चीन और पाकिस्तान निर्मित आधुनिक हथियारों, विस्फोटक पदार्थों को जब्त करके भारतीय जवानों ने इस संगठन की कमर तोड़ने में बहुत हद तक सफलता प्राप्त की है। कश्मीर में मार खा रहे संगठन को मजबूती देने के लिए लश्करे तोएबा के पाक स्थित कमांडरों विशेषतया जकीउर्रहमान लखवी ने एक पुराने आतंकी कमांडर उस्मान उर्फ छोटा रहमान को नियुक्त किया है। भारतीय सुरक्षाधिकारी इसका संज्ञान ले रहे हैं।
सर्वविदित है कि पाकिस्तान में राजनीतिक परिस्थितियां बद से बदतर हो चुकी है। सत्ता और सेना में टकराव बढ़ता जा रहा है। आईएसआई की भी हालत खस्ता हो गई है। घरेलू विवाद इतने गहरे हो गए हैं कि पाकिस्तान की सरकार सहित सभी शक्तियां वहां की जनता का ध्यान बांटने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। कश्मीर की समस्या का गंभीर मुद्दा उनके अस्तित्व का सहारा हमेशा बनता है, इसलिए लश्करे तोएबा जैसे आतंकी संगठनों की पीठ थपथपा कर कश्मीर में एक प्रकार से बुझ रही आतंकी आग को तेज करना यह पाकिस्तान की चिर पुरातन रणनीति है।
“दुख्तरान ए तोएबा” की स्थापना
कश्मीर घाटी समेत पूरे भारत में हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने एवं इसे नई दिशा देने के लिए आईएसआई के खास चहेते संगठन लश्करे तोएबा ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के निकट दिवासिया नामक स्थान पर पहले से चल रहे एक प्रशिक्षण शिविर में युवा मुस्लिम लड़कियों को हथियारों की ट्रेनिंग देनी प्रारंभ की है। फिलहाल इन महिला आतंकियों की संख्या 21 बताई जाती है। भारतीय सुरक्षाधिकारियों को मिली सूचनाओं के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में चलने वाले 42 आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में तैयार हो रही महिला आतंकवादियों की तादाद इससे भी ज्यादा है।
लश्कर के कमांडरों ने एक महिला आतंकवादी संगठन की स्थापना कर दी है जिसे “दुख्तरान ए तोएबा” का नाम दिया गया है। अर्थात इस्लामिक महिलाओं की फौज उल्लेखनीय है कि हमारे कश्मीर में पहले से ही एक महिला अलगाववादी संगठन सक्रिय है। “दुख्तरान ए मिल्लत” नामक इसी संगठन ने कश्मीर में औरतों को मर्दों के साथ बसों में सफर करने, बिना बुरके के घर से बाहर निकलने, सिनेमा हाल, होटलों, क्लबों में जाने और दिन ढलने के बाद बाहर रहने जैसे आदेश जारी कर रखे हैं। इस संगठन की कश्मीर में पूरी दहशत और दबदबा है।
दुख्तरान ए मिल्लत का शब्दार्थ होता है इस्लाम की बेटियां। कश्मीर घाटी में कई वर्षों से सक्रिय इस संगठन की प्रधान कमांडर आयशा अंद्राबी को कई बार भारतीय सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार करके पुलिस को सौंपा है। परंतु जम्मू-कश्मीर पुलिस में पर्याप्त मात्रा में अलगाववाद समर्थकों की मौजूदगी की वजह से यह महिला आतंकी सदैव सुरक्षित रहती है। आयशा आंद्रबी के नेतृत्व में सक्रिय लगभग एक दर्जन बुर्काधारी मुस्लिम महिलाओं की टोली हड़ताल करवाने, होटलों में छापे मारने और सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाने के काम में सिद्धता प्राप्त किए हुए है।
हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे अलगाववादी संगठनों एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसे आजादी समर्थक राजनीतिक दलों के नेताओं के संरक्षण एवं सम्पर्क में रहने वाली आयशा आंद्राबी की अध्यक्षता वाला यह दुख्तरान ए मिल्लत महिला संगठन आतंकवादियों का भी मददगार साबित हो रहा है। इस संगठन के मुताबिक कश्मीर को या तो पाकिस्तान में जाना चाहिए या स्वतंत्र देश के रूप में अपना स्थान प्राप्त करना चाहिए। बेसहारा लोगों को इस्लाम के नाम पर मौत के घाट उतारने वाले पाक प्रेरित आतंकियों को मुजाहिद्दीन (स्वतंत्रता सेनानी) कहने वाला यह महिला संगठन औरतों की आजादी के पक्ष में नहीं है।
इस्लामी उसूलों पर प्रश्नचिन्ह
अब कश्मीर सहित सारे भारत में आतंकवाद को फैलाने के उद्देश्य से लश्करे तोएबा ने मुस्लिम औरतों के जिस संगठन दुख्तरान ए तोएबा की स्थापना की है उसकी सदस्य युवा लड़कियों को पुरुष आतंकियों के साथ रहने, खाने पीने, मौजमस्ती करने, वक्त के अनुसार बुर्का उतार फेंकने और खून खराबा करने का पूरा हक होगा। यहीं पर कई प्रश्न एक साथ खड़े हो जाते हैं। क्या इस्लामी उसूल मुस्लिम औरतों को जंग की इजाजत देते हैं? क्या शरीयत के अनुसार निकाह से पहले मुस्लिम युवक-युवतियों का एक साथ रहना हराम नहीं है? मुस्लिम मां-बाप अपनी लड़कियों को आतंकवादी।
प्रशिक्षण शिविरों में खुशी से भेजेंगे या वे बंदूक के निशाने पर घरों से भगा कर लाई जाएंगी? इन लड़कियों के सम्मान की सुरक्षा का जिम्मा किसका होगा? इन मुस्लिम युवतियों को कहीं दुर्दांत आतंकी कमांडरों की ऐय्याशी का सामान तो नहीं बनाया जा रहा?
मुस्लिम समाज को लश्करे तोएबा की इस नई परंतु इस्लाम घाती मुहिम का जमकर विरोध करना चाहिए। कश्मीर घाटी में पहले भी सुरक्षा बलों तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कई ऐसी लड़कियों को गिरफ्तार किया है जो आतंकवाद के धंधे में आतंकियों का साथ देती थीं। हथियारों की आवाजाई, आतंकी ठिकानों पर खाना पहुंचाने, सुरक्षा बलों के शिविरों में जाकर सूचनाएं लाने, सैन्य, पुलिस कार्रवाई में बाधाएं पहुंचाने के काम में इन युवतियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है।
बुरके की आड़ में
26/11 के मुम्बई आतंकी हमले के सूत्रधार लखवी के दिमाग की उपज इस नए प्रशिक्षित महिला आतंकी संगठन दुख्तरान ए तोएबा की हथयारबंद लड़कियों की नियंत्रण रेखा या फिर नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करने की आशंका व्यक्त की जा रही है। अगर यह साजिश सफल हो जाती है तो नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सीमा सुरक्षा बल, भारत-नेपाल सीमा पर तैनात भारत-नेपाल की पुलिस और कश्मीर सहित देश के भीतरी इलाकों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के लिए एक अजीबोगरीब मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
यह महिला आतंकवादी बुरका अथवा बिना बुरके के किसी भी वक्त सलवार कमीज, जींस एवं साड़ी में हो सकती हैं। अपने वस्त्रों के नीचे छोटे हथियार तथा विस्फोटक सामग्री को छिपाना इनके लिए बहुत आसान होगा। महिला पुलिस की सहायता के बिना इनकी जामा तलाशी भी नहीं हो सकती। उलटा इनके लिए किसी भी सभ्य अथवा भ्रष्ट तरीके से सुरक्षा अधिकारियों, जवानों से सूचनाएं-खबरें निकलवा लेना आसान होगा। सुरक्षा जवानों पर कई प्रकार से चरित्र हनन के आक्षेप लगाना भी इनकी रणनीति हो सकती है।
अब मौन क्यों हैं मुल्ला मौलवी?
लश्करे तोएबा द्वारा भविष्य में व्यवहार में लाई जाने वाली इस खतरनाक साजिश ने समूचे विश्व के मुस्लिम जगत को सैद्धांतिक चुनौती दे दी है। दुख्तरान ए तोएबा आतंकी संगठन में भर्ती की जा रही मुस्लिम लड़कियां कहीं आतंकी सरगनाओं और आईएसआई के अधिकारियों के द्वारा यौन शोषण का शिकार तो नहीं होंगी? अपने देश, मां-बाप और घर परिवार से दूर कश्मीर के जंगलों में बने हुए आतंकी ठिकानों में रहकर आखिर कब तक अपने युवा साथी आतंकवादियों का शिकार होने से बचेंगी? इस तरह के जोर जबरदस्ती के कई उदाहरण पहले भी सार्वजनिक हुए हैं।
एक प्रगतिशील एवं तार्किक उपन्यास लज्जा की लेखिका तस्लीमा, वास्तविकताओं को उजागर करने वाली पुस्तक से स्टेनिक वर्सिस और हजरत मुहम्मद का कार्टून बनाने वालों पर तूफान खड़ा कर देने वाले मुल्ला-मौलवी लश्करे तोएबा की इस्लाम विरोधी और गैर इंसानी जघन्य हरकतों पर मौन क्यों हो जाते हैं? इस्लामी उसूलों के यह कथित ठेकेदार “बुरके की लाज” पर लगने वाले संभावित लांछन का समय रहते संज्ञान लेने से संकोच क्यों कर रहे हैं?
आतंकी दहशत का भारी दबाव
लगता है कि ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी अंतरराष्ट्रीय आतंकी अलजवाहिरी, लश्करे तोएबा के सुप्रीम कमांडर जकीउर्रहमान लखवी, जमात उद दावा के संस्थापक मौलाना सईद, जिहाद काउंसिल के मुख्य कमांडर मुहम्मद सलाहुद्दीन जैसे खतरनाक आतंकी नेताओं ने सारे विश्व के मुल्ला-मौलवियों पर अपनी दहशतगर्दी का दबाव इतना ज्यादा बढ़ाया हुआ है कि इस्लाम के यह वर्तमान पहरेदार कुछ भी बोलने से डरते हैं। इंसानी खून के इन आतंकी सौदागरों को ठिकाने लगाने अथवा इस्लाम का वास्ता देकर इन्हें सीधे रास्ते पर लाने की किसी ने आज तक कोई कोशिश क्यों नहीं की? जबकि सच्चाई यह है कि मुसलमानों सहित संसार के सभी सभ्य समाजों का इस तथाकथित हिंसक जिहाद से मोह भंग हो चुका है।
मुस्लिम युवा वर्ग इन जिहादी आतंकवादियों से कतराने लगा है। जिहाद और इस्लाम के नाम पर दुनिया भर में खूनी उत्पात मचा रहे आतंकी संगठनों को नई भर्ती में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। भारत के कश्मीर में भी न्यूनाधिक यही स्थिति है। कश्मीरी युवक अब जिहादियों की गिरफ्त से बचने लगा है इसीलिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों विशेषतया लश्करे तोएबा ने अब मुस्लिम युवतियों पर इस्लाम खतरे में के पुराने शगूफे के डोरे डालने शुरू किए हैं1 यह नया खतरा भारत समेत पूरी दुनिया पर है।
अत:बुरके की आड़ लेकर इस गैर इस्लामिक मुहिम को जन्म लेने से पूर्व ही खत्म करने के लिए सभ्य समाजों को एक साथ विरोध के स्वर गुंजाने होंगे। अन्यथा समस्त नारी जाति पर ही लगने वाले इस कलंक को मिटाना असंभव हो जाएगा।द
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