आवरण कथा 2
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मायावती के परिजनों पर भाजपा का आरोप
फर्जी कंपनियों के नाम
सोमैया ने उजागर किए 26 फर्जीवाड़ा कंपनियों के नाम-पते
* आलोक गोस्वामी
मायावती के राज में उत्तर प्रदेश में जिस तरह एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं उससे साफ है कि मुख्यमंत्री की शह पर ही सरकारी कारिंदे इन घोटालों को अंजाम दे रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री पर ही प्रदेश में अनेक आर्थिक अनियमितताओं के जरिए, चुनावी फंड के बहाने, तबादलों के रूप में और विकास योजनाओं के नाम पर बड़े पैमाने पर पैसे की हेराफेरी के पुष्ट-अपुष्ट समाचार आए दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहे हैं। “मनरेगा” के तहत घोटालों और दागी मंत्रियों, विधायकों की कारिस्तानियों की चर्चाओं, इस्तीफों के बीच ही अब सीधे मायावती के परिवार और उनके भाई पर करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े के खुलकर सामने आने से प्रदेश सरकार सांसत में है। भाजपा ने मुख्यमंत्री के भाई आनंद कुमार पर सीधे-सीधे आरोप लगाया है कि उन्होंने नोएडा में बेनामी फर्जी कंपनियों के जरिए हजारों करोड़ रुपया इकट्ठा किया है जो मायावती सरकार के एक लाख करोड़ रुपए के नोएडा घोटाले का ही एक हिस्सा हैं। इतना ही नहीं, भाजपा ने उन 26 कंपनियों के नाम (पते सहित) जारी किए हैं जो पिछले 3-4 सालों के दौरान ही खोली गई हैं और जिनके माध्यम से करोड़ों रुपए बनाए गए हें। ये कंपनियां, भाजपा के अनुसार, मायावती के परिवार की फर्जी कंपनियां हैं। इतना ही नहीं, इन कंपनियों के बैंक खातों और शेयरों की ताजा स्थिति भी भाजपा ने जारी की है।
पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री डा. किरीट सोमैया ने 5 दिसम्बर, 2011 को लखनऊ में पत्रकार वार्ता में नोएडा घोटाले और उससे मायावती परिवार के संबंध पर विस्तृत जानकारी देकर प्रदेश सरकार की नींद उड़ा दी है। उन्होंने बताया कि आनंद कुमार (मायावती के भाई), सुखदेव कुमार, दीपक बंसल और यादव सिंह के नाम उन फर्जी कंपनियों के पर्याय बन चुके हैं जो संदिग्ध तरीकों से करोड़ों रुपए डकार चुकी हैं। डा. सोमैया ने बताया कि मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्रलता के स्वामित्व वाली डी.के.बी. इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. ने कई फर्जी कंपनियों के मार्फत संदिग्ध तरीकों से 34 करोड़ रुपए बनाए हैं। कंपनी ने “वायदा बाजार” के जरिए 30 करोड़ रु. का लाभ दर्शाया है। 31 मार्च 2011 को कंपनी का बैंक में 37.41 करोड़ रु. नकद जमा दिखाया गया था। इसी तरह उन्हीं दोनों के स्वामित्व वाली दो साल पहले शुरू की गई एडेप्ट रियलकॉन प्रा.लि. कंपनी की पूरी आय यानी 15 करोड़ रु. लाभ के रूप में दिखाई गई है जबकि कंपनी का काम स्पष्ट नहीं है। इसी तरह 2008-09 में खोली गई नवीन इंफ्राडेवेलपर एंड इंजीनियर्स प्रा. लि. कंपनी का शुरू से अब तक का व्यवसाय 30 हजार रु. का था कि अचानक 2011 में कंपनी को 67 करोड़ रु. का कर्ज मिल गया। कंपनी ने 2011 में ही ऋण/अग्रिम के तौर पर 62.90 करोड़ रु. बांट दिए। नोएडा के मुख्य अभियंता यादव सिंह के साथ दर्जन भर कंपनियों के नाम जुड़े हैं जिसमें उनकी पत्नी कुसुमलता, बेटा सन्नी यादव, बेटियां करुणा यादव, गरिमा यादव (भूषण) भी भागीदार हैं। इन फर्जी कंपनियों को मारिशस की फर्जी कंपनियों से भी पैसा आता रहा है। ये तमाम कंपनियां जिन रास्तों से ठगी कर रही हैं उनमें नोएडा में भूखण्डों पर घोटाले के पैसे का निवेश, नोएडा में जमीन का फर्जी कंपनियों को छुपे तौर पर देना शामिल है।
भाजपा ने इन कंपनियों की विशेष जांच दल से जांच कराने की मांग की है। पार्टी ने मायावती सरकार के परिजनों और संबंधियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही बेनामी कंपनियों की पड़ताल कराने की मांग उठाई है। लेकिन चुनावी सरगर्मी तेज होने के साथ ही मायावती सरकार या उनके प्रति नरमी दिखाने वाली केन्द्र की सोनिया पार्टी सरकार भ्रष्टाचारी लेन-देन पर कोई जांच कराएगी, उसकी संभावनाएं कम ही हैं।द
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