हुसैन हटाए, शैरी लाए
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हुसैन हटाए, शैरी लाए

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Nov 26, 2011, 12:00 am IST
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दृष्टिपात

दिंनाक: 26 Nov 2011 12:09:13

 वाशिंगटन में बदला पाकिस्तानी राजदूत

गुप्त 'संदेश' से सरकार–फौज रिश्ते डगमगाए

22 नवम्बर को पाकिस्तान सरकार ने वाशिंगटन में बैठे अपने राजदूत हुसैन हक्कानी को इस्तीफा देकर इस्लामाबाद लौट आने को मजबूर कर ही दिया। ये वही हुसैन हैं जिन्होंने अपने देश के फौजी और खुफिया प्रमुखों को उनके ओहदों से हटाने के लिए अमरीका से कथित मदद  देने की गुहार की थी। पाकिस्तान सरकार ने इस सनसनीखेज खुलासे की खुलकर जांच करने का फरमान सुनाते हुए हुसैन को लौटा लिया।

एक रुतबेदार पाकिस्तानी-अमरीकी कारोबारी मंसूर एजाज ने हुसैन पर कई एक आरोप लगाते हुए यह कहकर सबको चौंका दिया था कि पिछली मई में हुसैन ने बतौर पाकिस्तानी राजदूत अमरीका के उस समय के वरिष्ठ सैन्य प्रमुख एडमिरल माइक मुल्लन को एक गुप्त 'संदेश' भेजकर उनसे 'पाकिस्तान में सेना के तख्ता पलट' को रोकने में मदद मांगी थी। वह संदेश, एजाज के अनुसार, उसी ने मुल्लन को पहुंचाया था। संदेश में एक 'नई राष्ट्रीय सुरक्षा टीम' स्थापित करने और अफगानिस्तान के आतंकी गुटों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. के कुछ हिस्सों को खत्म करने की पेशकश थी। एजाज ने कहा, वह संदेश पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी की हरी झंडी के बाद ही आगे पहुंचाया गया था। जाहिर है, 'संदेश' के खुलासे से पहले से ही तने पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार और इसकी फौज के बीच रिश्ते पर संकट के बादल गहरा गए। फौज के प्रमुख जनरल कयानी 'संदेश' का मजमून सुनकर बौखला गए और हुसैन हक्कानी के इस्तीफे पर अड़ गए। मुसीबत टलने की आस लगाए बैठे हक्कानी की उम्मीद में पैबंद तब लग गया जब अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल जेम्स जोन्स ने खुलासे को सही बताया कि हां, भेजा गया था कोई संदेश मुल्लन को। बताया गया कि अमरीकी जांबाजों द्वारा लादेन-वध के एक हफ्ते बाद हुसैन का वह संदेश भेजा गया था। अमरीकी कार्रवाई से पाकिस्तानी जनरल फुफकारने लगे थे और उनकी खूब छीछालेदर हो रही थी कि उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी। तब, बताते हैं कि जरदारी को डर सताने लगा था कि कहीं ऐसा न हो कि फौजी तख्ता पलट हो जाए, ताकि लोगों का फौज में भरोसा बना रहे।

बहरहाल, प्रधानमंत्री गिलानी ने खुलासे की जांच के आदेश देते हुए 23 नवम्बर को ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री शैरी रहमान को राजदूत बनाकर वाशिंगटन भेज दिया।

हिमालयी देशों में करार

मौसमी बदलावों पर मिलकर करें विचार

भूटान में अभी दो दिन तक हिमालय से सटे देशों-भारत, भूटान, नेपाल और बंगलादेश ने मौसमी बदलाव पर गहरा सोच-विचार करके तय किया कि पहुंच के भीतर और भरोसेमंद साफ ऊर्जा संसाधनों और तकनॉलाजी तक मिलकर पहुंच बढ़ाएंगे, आपस में जानाकारियां साझी करेंगे। पेयजल सुरक्षा पर भी काफी चिंता जताई गई। चारों देशों के बीच हुए करार में खाद्यान्न सुरक्षा, संरक्षित रोजागार और खाद्यान्न उत्पादन में सुधार अपनाने के तरीकों पर सबकी सहमति थी।

इस सम्मेलन में आना तो पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान को भी था, पर नहीं आए। इसे ज्यादा वजन न देते हुए आयोजकों ने फरमाया कि अरे भई, ये सम्मेलन तो हिमालय के पूर्वी हिस्से में मौसमी तंत्र, लुप्तप्राय नस्लों, खाद्यान्न और जल संसाधनों को संरक्षित करने के लिए था। वैसे 28 नवम्बर से डरबन (द. अफ्रीका) में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता का अगला दौर होने ही जा रहा है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की प्रमुख लीसा रोहवीडर ने थिम्फू सम्मेलन को क्षेत्रीय पहल कहकर इसकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि डरबन बैठक से पहले ये अच्छी चर्चा रही।

हिमालयी देशों में आपसी सहयोग में क्षेत्रीय तनाव अड़चनें डालते रहे हैं, जिससे ध्रुव्रीय क्षेत्र से बाहर दुनिया में 40 फीसदी ताजा पानी देने वाले ग्लेशियरों के सबसे बड़े व्याप में बुनियादी अनुसंधानों पर उल्टा असर पड़ा है। सम्मेलन में भाव उभरा कि आपसी तनाव घटें तो सहयोग बढ़े, तो धरती की चिंता मिलकर हो, तो मानव जीवन सुखकर हो।

वेबसाइट पर गलत नक्शा

भारत गरमाया तो अमरीका ने हटाया

अमरीकी विदेश विभाग को अंतत: सद्बुद्धि आई और उसने अपनी वेबसाइट से भारत के उस गलत नक्शे को हटा लिया जिसमें 'पी.ओ.के.' का इलाका पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने 21 नवम्बर को साफ कहा कि उस नक्शे को वेबसाइट से हटा लिया गया है, जिसमें भौगोलिक सीमाओं से जुड़ी कुछ 'खामियां' थीं। नूलैंड ने पत्रकारों से कहा कि नया नक्शा तब लगाया जाएगा जब हमें तसल्ली हो जाएगी कि यह सही है। जब सवाल पूछा गया कि मैडम, यह खामियों वाला नक्शा आया कहां से? तो नूलैंड ने कोई जवाब नहीं दिया, बस इतना ही कहा कि 'वह जान-बूझकर नहीं किया गया था। हम नक्शे को ठीक करवा रहे हैं और ठीक किया नक्शा ही लगाया जाएगा।' अमरीकी विदेश विभाग ने भारत के ही गलत नक्शे को अपनी वेबसाइट से नहीं हटाया, बल्कि पाकिस्तान के भी नक्शे को भी हटा लिया क्योंकि उसमें पी.ओ.के.का इलाका पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। इस कार्रवाई से पहले भारत सरकार ने वेबसाइट पर गलत नक्शा लगाने पर अमरीकी विदेश विभाग को अपना कड़ा विरोध दर्ज करा दिया था। यहां बता दें कि अमरीकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर 'ए' से 'जेड' तक उन सभी देशों की जानकारियां और नक्शे दिए गए हैं जिनके साथ अमरीका के कूटनीतिक रिश्ते हैं।

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