भ्रष्टाचार के विरुद्ध जारी रहेगा संघर्ष
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जन चेतना यात्रा के समापन पर आडवाणी का संकल्प
जितेन्द्र तिवारी
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी की 40 दिवसीय यात्रा का गत 20 नवम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में समापन हुआ। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के दौरान “सोमनाथ से अयोध्या” तक की राम रथयात्रा से शुरू हुई यात्राओं के क्रम में उनकी यह छठी यात्रा इस दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण कही जा सकती है कि उम्र की चुनौतियों को परास्त करते हुए 84 वर्ष की आयु में उन्होंने देश की 7600 कि.मी. की यात्रा सफलतापूर्वक पूर्ण की। इस दौरान श्री आडवाणी ने 22 राज्यों व 5 केन्द्र शासित प्रदेशों में जाकर छोटी-बड़ी लगभग 350 जनसभाओं के माध्यम से देश में बढ़ते भ्रष्टाचार और राजनेताओं के प्रति बढ़ती अनास्था, अविश्वास को दूर करने के लिए लोक जागरण किया। उनकी यह “जन चेतना यात्रा” भी भ्रष्टाचार, महंगाई और कुशासन के विरुद्ध केन्द्र में सत्तारूढ़ सोनिया-मनमोहन सरकार को ललकारने और देशवासियों के बीच फैली निराशा को दूर कर सुशासन के लिए संकल्पबद्ध करने के लिए थी।
श्री लालकृष्ण आडवाणी की इस जन चेतना यात्रा के समापन अवसर पर गत 20 नवम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान पर 6 माह में तीसरी बार पुन: वही दृश्य दिख रहा था जो 4 जून को स्वामी रामदेव की स्वाभिमान रैली और 18 अगस्त से अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन में दिखा था। गाजियाबाद (उ.प्र.) की सीमा से लेकर दिल्ली के भीतर 15 कि.मी. तक अभूतपूर्व उत्साह और भव्य स्वागत के बाद जब जन चेतना यात्रा रामलीला मैदान पहुंची तो वहां तिल रखने भर की जगह तक नहीं थी। 30 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ यात्रा के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने व श्री आडवाणी के अभिनंदन के लिए न केवल भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सभी प्रमुख घटक दलों के प्रमुख व उनके प्रतिनिधि भी वहां उपस्थित हुए। मंच पर राजग के अध्यक्ष व जद(यू) के प्रमुख श्री शरद यादव, शिवसेना के प्रतिनिधि सांसद श्री अनंत गीते, अकाली दल के प्रतिनिधि सांसद सरदार मंजीत सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी, दो पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह व श्री वेंकैया नायडू, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री अरुण जेटलीसहित अनेक राजनेता, सांसद व विधायक उपस्थित थे।
अपने अभिनंदन व स्वागत से अभिभूत श्री लालकृष्ण आडवाणी ने यात्रा को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और कहा कि 5 यात्राओं के बाद इस छठी यात्रा में कमी सिर्फ यह रही कि उन्हें अपने अग्रज “अटलजी” का अस्वस्थता के कारण सक्रिय सहयोग नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि देशभर में उनकी यात्रा को पूर्व की तुलना में अधिक समर्थन मिला। इसका कारण पार्टी कार्यकर्ताओं का परिश्रम व सहयोग तो था ही, इसके साथ ही ऐसा भी स्पष्ट दिखा कि केन्द्र की भ्रष्ट सरकार के निरंकुश आचरण से लोगों में गुस्सा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि एक के बाद एक मंत्री जेल जाएं, लाखों-करोड़ों रुपए के घोटालों का आए दिन खुलासा होता रहे, और प्रधानमंत्री उस सबसे अनभिज्ञ व अलिप्त रहें। डा. मनमोहन सिंह को आड़े हाथों लेते हुए श्री आडवाणी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद की साख मिट्टी में मिला दी। आम जनता महंगाई की मार से त्रस्त है, बेहाल है, त्राहि-त्राहि कर रही है, उधर मंत्री घोटाले पर घोटाले कर रहे हैं और जनता को निराशा ने घेर लिया है, ऐसे में इस यात्रा ने लोगों के मन में उत्साह भरने का काम किया है। आज यह यात्रा पूर्ण हो गई है पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक देशवासियों के मन में राजनेताओं और राजसत्ता के प्रति विश्वास पुन: न स्थापित हो जाए। भारत की राजनीति पर आज जो कोहरा छाया हुआ है वह जन चेतना के जागरण से ही छंटेगा।
विदेशी बैंकों में जमा रसूखदार भारतीयों के कालेधन पर सरकार के रवैये की तीखी आलोचना करते हुए श्री आडवाणी ने कहा कि फ्रांस की सरकार ने ऐसे 100 लोगों के नामों की सूची भारत को सौंपी है जिनका काला धन उनके देश के विभिन्न बैंकों में जमा है, पर सरकार न तो उनके नाम सार्वजनिक कर रही है और न ही कालेधन को वापस लाने की दिशा में कोई प्रयास ही कर रही है। इसी के साथ उन्होंने घोषणा की कि हमारे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी सांसद, लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के सभापति को वर्तमान शीतकालीन सत्र के प्रथम सप्ताह में ही शपथपूर्वक यह लिखकर देंगे कि “मेरा भारत के बाहर किसी भी विदेशी बैंक में न कोई खाता है, न ही धन जमा है और न ही किसी प्रकार की गैरकानूनी सम्पत्ति है।” इस घोषणा से राजग ने एक प्रकार से सत्तारूढ़ सरकार और उसकी नेतृत्वकर्ता श्रीमती सोनिया गांधी के समक्ष एक नैतिक प्रश्न खड़ा कर दिया है कि वे और उनकी पार्टी के सदस्य भी ऐसा करते हैं या नहीं।
इससे पूर्व समारोह को सम्बोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी ने बताया कि जिस घटना ने श्री आडवाणी को यात्रा पर जाने के लिए उद्वेलित किया, उस “वोट के बदले नोट” मामले में षड्यंत्रपूर्वक फंसाए गए भाजपा के तीनों सांसदों व श्री आडवाणी के पूर्व सहयोगी श्री सुधीन्द्र कुलकर्णी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत देते हुए साफ कहा है कि इनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है। यात्रा के समापन से एक ही दिन पूर्व आए इस निर्णय में यात्रा की सफलता ही दिखाई देती है। श्री गडकरी ने 2जी घोटाले में राजा के जेल जाने और चिदम्बरम के बचे रहने और राष्ट्रमण्डल खेल घोटाले में सुरेश कलमाडी को जेल भेजने और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाने के दोहरे मापदण्ड अपनाने के लिए केन्द्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ए.राजा और कलमाडी तो सिर्फ लूट के “दूल्हा” भर हैं, “बाराती” तो पूरी सरकार है।
राजग के अध्यक्ष श्री शरद यादव ने कहा “कुशासन और अराजकता से लोगों के मन में उत्पन्न बेचैनी निराशा में और व्याकुलता अफसोस में न बदले बल्कि आक्रोश पैदा हो, उससे परिवर्तन हो- इस दृष्टि से श्री आडवाणी के यात्रा बेहद सफल रही।” समारोह को श्रीमती सुषमा स्वराज, श्री अरुण जेटली, श्री थंबीदुरैई, श्री रामदास अठावले, श्री अनंत गीते, सरदार मंजीत सिंह व श्री विजेन्द्र गुप्ता ने भी सम्बोधित किया।द
मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की साख मिट्टी में मिला दी -लालकृष्ण आडवाणी
इस यात्रा से जनता की बेचैनी और निराशा दूर होगी
-शरद यादव
राजा सिर्फ दूल्हा, बाराती पूरी सरकार
-नितिन गडकरी
विशिष्टताएं
थ् लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिवस (11 अक्तूबर) को उनके पैतृक गांव सिताबदियारा से यात्रा प्रारंभ हुई और 22 नवम्बर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में समापन। थ् 22 राज्यों व 5 केन्द्र शासित प्रदेशों में गई। थ् 40 दिन में 7600 कि.मी. की यात्रा। यात्रा के संयोजक थे भाजपा के महासचिव अनंत कुमार व सहसंयोजक श्री रविशंकर प्रसाद (महासचिव), मुरलीधर राव (सचिव) व श्री श्याम जाजू (सचिव) थ् पिछली यात्राओं से पृथक यह यात्रा अलग-अलग चरणों और स्थानों से शुरू हुई ताकि सम्पूर्ण देश तक जा सके। थ् पूर्वोत्तर भारत के गुवाहाटी और इटानगर के साथ ही पोर्ट ब्लेयर इस यात्रा के उल्लेखनीय स्थान रहे। थ् इससे पूर्व रामरथ यात्रा (1990), जनसंदेश यात्रा (1993), स्वर्ण जयंती रथयात्रा (1997), भारत उदय यात्रा (2004) और भारत सुरक्षा यात्रा (2006) के माध्यम से श्री आडवाणी विभिन्न गंभीर मुद्दों पर देशवासियों का ध्यान आकृष्ट करा चुके हैं।
बढ़ा राजग का समर्थन
जन चेतना यात्रा के कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और अधिक मजबूत होकर उभरा है। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ होने के बाद से अन्नाद्रमुक की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं थी। पर दिल्ली की रैली में अन्नाद्रमुक की प्रमुख व तमिलनाडु की मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता ने अपने प्रतिनिधि श्री थंबीदुरैई को भेजकर राजग को अपना समर्थन दिया। उधर महाराष्ट्र के कद्दावर दलित नेता श्री रामदास अठावले ने भी मंच से घोषणा की कि उनकी रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आर.पी.आई) ने कांग्रेस की दगाबाजी से तंग आकर उसका साथ छोड़ दिया है और अब वह राजग में शामिल हो रहे हैं।
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