May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

 

by
Sep 28, 2011, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सांस्कृतिक धरातल पर ही सम्भव होगाव्यवस्था परिवर्तन

दिंनाक: 28 Sep 2011 19:32:06

नरेन्द्र सहगल

भ्रष्ट राज्य व्यवस्था को बदलने के लिए चारों ओर परिवर्तन का शोर मच रहा है। राजनीतिक तौर तरीकों में परिवर्तन, चुनाव प्रणाली में परिवर्तन, शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन, आर्थिक नीतियों में परिवर्तन और सरकारी तंत्र में परिवर्तन अर्थात राष्ट्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन की जरूरत पर बल दिया जा रहा है। योगगुरु बाबा रामदेव और सामाजिक नेता अण्णा हजारे ने देश में चल रही परिवर्तन की इस हवा को एक प्रचण्ड आँधी का रूप दे दिया है। इस संदर्भ में हमारे राजनीतिक दलों के नेताओं ने तो मानो परिवर्तन लाने के आश्वासनों की झड़ी लगा दी है।

 प्रशासनिक ढांचे को भ्रष्टाचार से मुक्त करके साफ-सुथरी राज्य व्यवस्था देने का आश्वासन, सामाजिक वैमनस्य को समाप्त करके सामाजिक समरसता स्थापित करने का आश्वासन, साम्प्रदायिक झगड़ों को मिटाकर शांति का आश्वासन, आर्थिक विषमता को दूर करके सबके भरण-पोषण का अश्वासन और आतंकवाद को रोककर परस्पर सौहार्द बनाने के आश्वासनों के इन गरजते बादलों में से कहीं भी ठोस परिवर्तन की बूंदें बरसती हुई दिखाई नहीं दे रहीं।

 सभी सद्प्रयास विफल हो गए

 व्यवस्था परिवर्तन का ये राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक अभियान स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत पश्चात् प्रारम्भ हो गया था। प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने वामपंथ प्रेरित रूस की समाजवाद आधारित आर्थिक व्यवस्था के मॉडल को आदर्श मानकर परिवर्तन की दिशा तय करने का निश्चय किया। उन्होंने इस ओर संवैधानिक पग भी बढ़ाए। बहुत थोड़े कालखण्ड में इस व्यवस्था के दुष्परिणाम सामने आने लगे।

 व्यवस्था परिवर्तन की इस दिशा पर अपनी असहमति प्रकट करते हुए तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के दिग्गज जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव, आचार्य कृपलानी, डॉ. राममनोहर लोहिया इत्यादि नेताओं ने भारत की ग्रामीण संस्कृति पर आधारित समाज व्यवस्था का नारा बुलंद कर दिया। इन नेताओं ने समाजवादी आंदोलन का धरातल तैयार करने का भरसक प्रयास किया। अपनी समाज भक्ति और ध्येयनिष्ठा के बावजूद ये समाजवाद प्रेरित कांग्रेसी नेता सफल नहीं हो सके। इनके सद्प्रयास छोटे-छोटे समाजवादी दलों में बिखर कर समाप्त हो गए।

 अन्त्योदय और संपूर्ण क्रांति

 इसी तरह महात्मा गांधी के परम शिष्य एवं उनके द्वारा बताए गए समाज परिवर्तन के आदर्शों से प्रेरित आचार्य विनोबा भावे ने भी अपनी तरह का एक सामाजिक आंदोलन खड़ा करने का प्रयास किया। सामाजिक जीवन में समानता लाने के उद्देश्य से उन्होंने देश के सामने व्धन और धरती बंट कर रहेंगेव् का आदर्श वाक्य रखा। आचार्य विनोबा भावे ने अन्त्योदय क्रांति के नाम से अनेक कार्यक्रम शुरू किए। इन आदर्शों पर आधारित भूमि वितरण से संबंधित कई सुधारों को सरकार ने कानून के माध्यम से लागू करने की मुहिम छेड़ी। परन्तु इस सरकारी प्रयास में से कोई भी दीर्घकालीन सुचारु व्यवस्था परिवर्तन नहीं कर सका।

 भ्रष्ट राज्य व्यवस्था से देश और जनता की हो रही भारी हानि से व्यथित होकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 80 के दशक में एक प्रचण्ड सामाजिक आंदोलन व्संपूर्ण क्रांतिव् को जन्म दिया। परिणामस्वरूप देश के तत्कालीन शासकों ने घबराकर अथवा अपनी सत्ता बचाकर रखने के उद्देश्य से देश में आपातकाल लागू कर दिया। लोकतंत्र की इस तरह से की गई हत्या के विरोध में सारा देश संपूर्ण क्रांति अर्थात व्यवस्था परिवर्तन के लिए खड़ा हो गया। परिणामस्वरूप आपातकाल हटा, सत्ता परिवर्तन हुआ परन्तु इस परिवर्तन के बाद सत्ता पर काबिज जनता पार्टी के घटक दलों ने आपस में लड़कर व्यवस्था परिवर्तन के जयप्रकाश नारायण के स्वप्न को चूर-चूर कर दिया।

 अण्णा और बाबा ने जगाई अलख

 लगभग तीन दशक के पश्चात् आज फिर अपने देश में व्यवस्था परिर्तन को लेकर जन आंदोलन प्रारम्भ हुए हैं। सामाजिक नेता श्री अण्णा हजारे ने महात्मा गांधी के रास्ते पर चलते हुए अपने ऐतिहासिक अनशन के माध्यम से केन्द्र की सरकार को जनलोकपाल विधेयक के मुद्दे पर झुकाया है। भ्रष्टाचार मुक्त राज्य व्यवस्था की स्थापना के लिए अण्णा हजारे ने अपने गैर राजनीतिक सामाजिक आंदोलन का तीसरा चरण प्रारम्भ करने की घोषणा कर दी है। वे देश के कोने-कोने में जाकर प्रशासनिक व्यवस्था में सम्पूर्ण परिवर्तन लाने के लिए समाज को विशेषतया युवकों को लम्बे संघर्ष के लिए तैयार करेंगे। अण्णा हजारे के इन कार्यक्रमों में भ्रष्ट राजनीतिक नेताओं का विरोध करना और स्वच्छ छवि वाले नेताओं को एक मंच पर लाना भी शामिल है। अण्णा हजारे ने बहुत शीघ्र अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का विश्वास प्रकट किया है।

 उधर देश के हर कोने में योग आधारित भारतीय संस्कृति की अलख जगाने वाले स्वामी रामदेव ने भी अपने द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय स्वाभिमान यात्रा का दूसरा चरण स्वतंत्रता सेनानी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली झांसी से प्रारम्भ कर दिया है। वे 16 दिन में एक लाख कि.मी. की यात्रा करके देशवासियों को भ्रष्टाचार और काले धन के विरोध में संगठित करेंगे। स्वामी जी ने 2012 में एक ऐसी जनक्रांति की भविष्यवाणी की है जिसका नेतृत्व देश का युवा वर्ग करेगा। बाबा ने इस क्रांति को व्2012 महासंग्रामव् का नाम दिया है।

दलगत राजनीति से ऊपर उठें

 इन दोनों गैर राजनीतिक सामाजिक नेताओं के प्रयासों के फलस्वरूप व्यवस्था परिवर्तन के लिए समाज में हुए जागरण का प्रभाव सत्ताधारी दलों पर थोड़ी बहुत मात्रा में पड़ना शुरू हुआ है। अनेक राजनीतिक दलों ने अपने क्रियाकलापों में भ्रष्टाचार, कालाधन और व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्थान दिया है। यह एक अच्छी बात है। यदि देश के राजनीतिक दल भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के उद्देश्य से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं तो निश्चित रूप से परिवर्तन आएगा। परन्तु इसके लिए दलगत स्वार्थों और सत्ता केन्द्रित राजनीतिक तौर तरीकों को तिलाजलि देकर राष्ट्र/समाज केन्द्रित कार्य संस्कृति को अपनाना होगा। श्री अण्णा हजारे और बाबा रामदेव द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलनों का समर्थन इसी मानसिकता से किया गया तो समाज जीवन में निश्चित रूप से परिवर्तन आएगा।

 उपरोक्त संदर्भ में इस सच्चाई पर विचार करना भी बहुत जरूरी है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् हमारे समाज जीवन को दिशा भ्रमित करने में सबसे अधिक योगदान हमारे राजनीतिक दलों और नेताओं का रहा है। आज प्रत्येक क्षेत्र में राजनीति का वर्चस्व है। राजनीतिक नेता अपने-आपको परिवर्तन का एकमात्र मसीहा और साधन मानकर पेश कर रहे हैं। यदि समस्त राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र पढ़े जाएं तो लगेगा कि बस अब भारत के लोग सुखी सम्पन्न होने ही वाले हैं। इन नेताओं के भाषणों से लगता है कि इनसे बड़ा ईमानदार जनता का हमदर्द और कोई नहीं है। ये राजनीतिक दल समाज सुधार, समरसता, साम्प्रदायिक सौहार्द और आर्थिक उन्नति इत्यादि नारों और वादों के माध्यम से परिवर्तन की स्वप्निल दुनिया खड़ी करने के लिए निरंतर प्रयासरत दिखाई देते हैं। परन्तु परिवर्तन की किरण कहीं दृष्टिगोचर नहीं हो रही।

 सांस्कृतिक प्रदूषण को समाप्त करें

 विचारणीय बिंदु यह भी है कि परिवर्तन जब होगा तो किसी एक कोने में न होकर सभी क्षेत्रों में होगा। आज तो हमारे राष्ट्र जीवन के सारे अंग-प्रत्यंग दूषित हैं। शिक्षा जगत में नैतिक शिक्षा का अभाव है। धार्मिक शिक्षा को जातिगत और साम्प्रदायिक कहकर नकारा जा रहा है। रोजगारोन्मुख शिक्षा की अवधारणा ने शिक्षण संस्थाओं को संस्कृति और नैतिकता से दूर करके भ्रष्टाचार के निकट पहुंचा दिया है। प्रशासन के प्रत्येक अंग में भ्रष्टाचार का वर्चस्व भी इसी सांस्कृतिक प्रदूषण का प्रतिफल है। वास्तव में परिवर्तन का चक्का यहीं जाम हो गया है।

 अपने देश में साधु संन्यासियों, धार्मिक उपदेशकों, गुरुओं, महामण्डलेश्वरों और शंकराचार्यों की कोई कमी नहीं है। सबके मत-मतांतर, वैचारिक क्रियाकलाप और कथा प्रवचन इत्यादि समाज को प्रेरित करके इसी परिवर्तन की ओर मोड़ने के ही प्रयास हैं। परन्तु हमारे राष्ट्र जीवन को व्यवस्थित करने के लिए गैर राजनीतिक धरातल पर हजारों लाखों साधन उपलब्ध होने के बावजूद हमारा समाज तेज गति के साथ अपनी शाश्वत जीवन पद्धति और अपनी अजर अमर सांस्कृतिक धरोहर से कटता चला जा रहा है। समाज जीवन में से सह-अस्तित्व, निस्वार्थ भाव, सत्य, अहिंसा, ईमानदारी, सेवा समर्पण और सहयोग जैसी मानवीय अवधारणाएं समाप्त हो रही हैं।

 दीर्घकालीन व्यवस्था परिवर्तन हो

 इस दिशा-भ्रमित परिवर्तन को रोके बिना न तो हमारे समाज जीवन में से भ्रष्टाचार का महारोग समाप्त होगा और न ही अण्णा हजारे और स्वामी रामदेव जैसे सामाजिक नेताओं के प्रयास ही सफलीभूत होंगे। किसी भी देश की संस्कृति ही वह धरातल होती है जिस पर समाज जीवन को व्यवस्थ्ति किया जाता है और समय-समय पर आवश्यक परिवर्तन भी किया जा सकता है। अपनी संस्कृति से विमुख हुए समाज में कभी भी सुचारु व्यवस्था की पकड़ नहीं बन सकती।

 अत: भ्रष्ट राज्य व्यवस्था को बदलने के तात्कालिक उपायों को न छोड़ते हुए दीर्घकालीन व्यवस्था परिवर्तन के लिए भारतीय संस्कृति के श्रेष्ठ धरातल पर मजबूती से खड़ा होने की जरूरत है। देश के राजनीतिक दल तो तात्कालिक उपायों को लागू करने तक ही सीमित रहेंगे। यह स्वाभाविक ही है परन्तु देश में सक्रिय गैरराजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों को भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित कार्यसंस्कृति को सशक्त करने का अभियान छेड़ना चाहिए।

 राज्य व्यवस्था के संचालकों एवं देश की राजनीतिक शक्तियों के विचलन के कारण जो अव्यवस्था फैल रही है उसे संस्कृति के समन्वित धागे से ही बांधा जा सकता है। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, संयम इत्यादि मानवीय अवधारणाओं पर आधारित संस्कृति हमारे समस्त राष्ट्र जीवन में परिवर्तन ला सकती है। परिवर्तन की यही दिशा सार्थक होगी। अन्यथा परिवर्तन की दिशा की कल्पना करना व्यर्थ होगा।

 समाज को सजग करना होगा

 आज देश में भ्रष्ट शासकीय व्यवस्था के विरुद्ध जो आवाज बुलंद हो रही है वह समस्त जनता की वेदना का स्वाभाविक प्रस्फुटन है। गैर राजनीतिक धरातल पर उभरकर सामने आए जनांदोलन को विफल करने के प्रयास भी युद्धस्तर पर शुरू हो गए हैं। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं को ये आंदोलन पसंद नहीं आ रहा है। अपने वोट बैंक को विपक्षी दलों के खाते में जाता देखकर कांग्रेस समेत ऐसे सभी दल घटिया राजनीति पर उतर आए हैं।

 इस समय भारतीय समाज को सजग रहने की आवश्यकता है। भ्रष्ट राज्य व्यवस्था के संचालक एवं संरक्षक राजनीतिक नेता प्रत्येक प्रकार के हथकंडे अपना कर इस सामाजिक जागृति को कुचलने का प्रयास करेंगे। इस समय बाबा रामदेव के प्रयासों से भारतीय संस्कृति पर आधारित सामाजिक जागृति का दौर शुरू हुआ है और अण्णा हजारे के आंदोलन के फलस्वरूप वंदे मातरम् और भारत माता की जय के नारों से देशभक्ति का माहौल देश में बना है। भारतीय संस्कृति के इसी धरातल पर व्यवस्था परिवर्तन होगा, यह निश्चित है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

बलूचिस्तान ने कर दिया स्वतंत्र होने का दावा, पाकिस्तान के उड़ गए तोते, अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द

IIT खड़गपुर: छात्र की संदिग्ध हालात में मौत मामले में दर्ज होगी एफआईआर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नैनीताल प्रशासन अतिक्रमणकारियों को फिर जारी करेगा नोटिस, दुष्कर्म मामले के चलते रोकी गई थी कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (चित्र- प्रतीकात्मक)

आज़ाद मलिक पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का संदेह, ED ने जब्त किए 20 हजार पन्नों के गोपनीय दस्तावेज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

बलूचिस्तान ने कर दिया स्वतंत्र होने का दावा, पाकिस्तान के उड़ गए तोते, अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द

IIT खड़गपुर: छात्र की संदिग्ध हालात में मौत मामले में दर्ज होगी एफआईआर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नैनीताल प्रशासन अतिक्रमणकारियों को फिर जारी करेगा नोटिस, दुष्कर्म मामले के चलते रोकी गई थी कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (चित्र- प्रतीकात्मक)

आज़ाद मलिक पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का संदेह, ED ने जब्त किए 20 हजार पन्नों के गोपनीय दस्तावेज

संगीतकार ए. आर रहमान

सुर की चोरी की कमजोरी

आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर

कंधार प्लेन हाईजैक का मास्टरमाइंड अब्दुल रऊफ अजहर ढेर: अमेरिका बोला ‘Thank you India’

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies