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अ.भा.शैक्षिक महासंघ के प्राथमिक संवर्ग का राष्ट्रीय सम्मेलन
शिक्षा में हो जीवनमूल्य, अस्मिता तथा संस्कृति का समावेश
–डा. बजरंग लाल गुप्त, क्षेत्र संघचालक, उत्तर क्षेत्र, रा.स्व.संघ
प्रतिनिधि
गत दिनों अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के प्राथमिक संवर्ग का राष्ट्रीय सम्मेलन बिलासपुर (छ.ग.) में सम्पन्न हुआ। इसमें 17 राज्यों के कुल 492 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ, उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी ठीक शिक्षा नहीं दी जा रही, यह बहुत ही चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि जीवनमूल्य, अस्मिता तथा संस्कृति का समावेश वर्तमान पाठ्यक्रम में नहीं है, इसके विपरीत पाश्चात्य संस्कृति के विषयों का अध्ययन कराया जा रहा है। डा. गुप्त ने कहा कि शिक्षक, बालकों में बौद्धिक विवेकशून्यता को दूर कर व्याप्त भ्रम को हटाएं तथा राष्ट्र की संस्कृति की शिक्षा दें। भारत की संस्कृति, परिवेश, प्रकृति, पर्यावरण तथा देशानुकूल शिक्षा दें। उन्होंने कहा कि भारत के प्रतिभावान व्यक्तियों ने विश्व के सभी देशों में पहचान बनाई है। शिक्षक ऐसे उदाहरणों को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों को शिक्षित करें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष श्री धरम लाल कौशिक ने भारतीय शिक्षा पद्धति पर बोलते हुए कहा कि हमें चिंतन करना होगा कि हम किस प्रकार की शिक्षा दे रहे हैं। इस अवसर पर शैक्षिक महासंघ की स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री महेन्द्र कपूर, सह संगठन मंत्री श्री ओमपाल सिंह सहित शैक्षिक महासंघ के अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
सम्मेलन में सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पारित हुए। ये हैं- शिक्षकों के नए पद सृजित हों एवं स्थायी प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, शिक्षक भर्ती में पात्रता प्रवेश परीक्षा का दोहरा मापदण्ड समाप्त हो तथा शिक्षिकों को छठे वेतनमान की संस्तुतियों के अनुरूप वेतनमान दिया जाए।
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