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गत 25 सितम्बर को पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा शिमला में स्थापित दीनदयाल उपाध्याय पीठ का विधिवत् उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने किया। मुख्य अतिथि थे धर्मशाला स्थित क्षेत्रीय केन्द्र के निदेशक डा. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री। इस अवसर पर उन्होंने प्रो. गुप्ता को इस बात की बधाई दी कि उनके प्रयासों से दीनदयाल उपाध्याय पीठ स्थापित हुई है। अन्य विश्वविद्यालयों में भी इसका अनुकरण किया जाना चाहिए। श्री अग्निहोत्री ने कहा कि आज जब विकास के दोनों मॉडल पूंजीवाद और साम्यवाद असफल हो चुके हैं और यह सिद्ध हो चुका है कि ये दोनों मॉडल मानव प्रकृति को ध्यान में रखकर नहीं तैयार किये गये थे, तो पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। एकांगी अर्थवादी विकास मॉडलों के कारण ही आज मानव सभ्यता विनाश के कगार पर पहुंच गई है, इसलिए यह जरूरी हो गया है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा उद्घोषित विकास के भारतीय मॉडल (एकात्म मानववाद) को प्रयोग में लाया जाये। उन्होंने कहा कि मनुष्य की खंडित और एकांगी अवधारणा से ही समाजिक ताना-बाना कमजोर पड़ रहा है। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने मन, बुद्वि और शरीर और आत्मा की एकात्मता व समग्र विकास की अवधारणा पर बल दिया था।इस अवसर पर पीठ के अध्यक्ष डा. सुरेश कुमार गर्ग ने बताया कि यह पीठ इस सत्र से “पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन दीनदयाल उपाध्याय थॉट” का पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर रही है। पीठ का प्रयास रहेगा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र लेखन को एकत्रित करके प्रकाशित किया जाए और उनके चिन्तन के विभिन्न आयामों पर शोध कार्य प्रारम्भ करवाया जाए। कार्यक्रम के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने आश्वस्त किया कि पीठ को सुदृढ़ करने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। प्रतिनिधि28
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