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नया मजहबी “प्लान” दिल्ली में है बन रहा, नया मजहबी प्लान मुस्लिम वोटों के लिए, खुले हाथ से दान। खुले हाथ से दान, चुनावी तैयारी है इसीलिए बाकी पर मुसलमान भारी है। कह “प्रशांत” ये भारत को फिर बंटवाएंगे देश बेचकर उससे रसगुल्ले खाएंगे।।निर्धन जन के प्राण महंगाई है ले रही, निर्धन जन के प्राण जाने कब इस रोग से, मिल पाएगा त्राण। मिल पाएगा त्राण, हो रहीं जेबें खाली पर दिल्ली सरकार बजाती हर दिन ताली। कह “प्रशांत” जब मैडम का शासन बदलेगा तब जाकर जनता को कुछ आराम मिलेगा।।बात-बात पर एंठ उधर वार्ता हो रही, और इधर घुसपैठ पाकिस्तानी नीति है, बात-बात पर एंठ। बात-बात पर एंठ, न जब तक मुंह तोड़ेंगे सीने पर रख पैर नहीं गर्दन मोड़ेंगे। कह “प्रशांत” तब तक पूरा उद्धार न होगा बातें कर लें जितनी, बेड़ा पार न होगा।।दुश्मन को मार गिराओ हिंसा में है जल रहा, पूरा भारत देश करना होगा याद फिर, कान्हा का संदेश। कान्हा का संदेश, नीति उनकी अपनाओ जैसे-जहां मिले, दुश्मन को मार गिराओ। कह “प्रशांत” गीता को तो हम नित पढ़ते हैं मगर आचरण उस पर जरा नहीं करते हैं।।लाल चौक मुरझाया झंडा फहराना बना, भारत में अपराध हम गुलाम हैं क्या अभी, नहीं हुए आजाद ? नहीं हुए आजाद, लाल चौक मुरझाया जहां तिरंगा जोशी जी ने था फहराया। यदि “प्रशांत” ऐसे ही तुष्टीकरण चलेगा साफ समझ लो भारत फिर परतन्त्र बनेगा।।छोड़ें भाषा मरगिल्ली सभी ओर आतंक है, बम-गोली-विस्फोट क्षेत्र नहीं बाकी जिसे, लगी न भीषण चोट। लगी न भीषण चोट, सुरक्षित जगह नहीं है माओ, मुस्लिम या नक्सल आतंक वहीं है। कह “प्रशांत” अब सब छोड़ें भाषा मरगिल्ली साफ कहें – गोली का उत्तर है बस गोली।।देश जगाना होगा खेती करके थे सुखी, पहले सभी किसान आत्मघात अब कर रहे, कैसा देश महान? कैसा देश महान, कर्ज इतना चढ़ आया जब से दवा, खाद औ बीज विदेशी पाया। कह “प्रशांत” अब फिर से देश जगाना होगा धूर्त विदेशी फर्मों को धकियाना होगा।।चमचा धर्म महान सभी ओर है गूंजता, चमचा धर्म महान इससे ही बच पाएगी, कांग्रेस की आन। कांग्रेस की आन, सोनिया गांधी की जय राहुल जी आ जाएं तो फिर नहीं कहीं भय। कह “प्रशांत” है जातिवाद तो बड़ी बुराई उससे ज्यादा वंशवाद को समझो भाई।।उनको भूल न जाएं होली फिर से आ गयी, लिये प्यार पैगाम एक रंग की छींट हो, प्रिय स्वदेश के नाम। प्रिय स्वदेश के नाम, डटे हैं जो सीमा पर उनको दें सम्मान, रंग भेजें उनके घर। कह “प्रशांत” हम भी अपना कर्तव्य निभाएं रंगों के मेले में उनको भूल न जाएं।।होली है होली होली फिर से आ गयी, लेकर रंग गुलाल कोई गाता फाग है, कहीं बज रही ताल। कहीं बज रही ताल, सब तरफ मस्ती छाई बैर भेद को दी है सबने आज विदाई। कह “प्रशांत” सब ओर हो रही हंसी ठिठोली बुरा नहीं माने कोई, होली है होली।।11
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