श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन
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श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन

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May 12, 2010, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 May 2010 00:00:00

मंडल, रा.स्व.संघ, अ.भा.कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघविगत दिनों इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जिन तथ्यों को आधार बनाकर श्रीराम जन्मभूमि के संबंध में निर्णय दिया, उन्हीं मुद्दों को लेकर विश्व हिन्दू परिषद् तथा अन्य हिन्दू संगठन वर्षों से श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चला रहे थे। इन संगठनों का कहना था कि विवादित स्थल भगवान श्रीराम की जन्मस्थली और लीलास्थली है, ढांचा बनने से पहले वहां एक भव्य मंदिर था, रामलला विराजमान को वहां से हटाया न जाए, वह स्थान देवभूमि है आदि। न्यायालय ने अपने निर्णय में इन्हीं मुद्दों को आधार बनाया। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री राममाधव का। वे गत 21 नवंबर को राजधानी दिल्ली के जनकपुरी बी-1 स्थित सरस्वती बाल मंदिर में आयोजित प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। रा.स्व.संघ, पश्चिमी विभाग के संपर्क विभाग द्वारा आयोजित इस गोष्ठी का विषय था “अयोध्या: न्यायिक निर्णय एवं दिशा”। इस अवसर पर रा.स्व.संघ, दिल्ली के प्रांत संघचालक श्री रमेश प्रकाश, सह-प्रांत संघचालक डा. श्याम सुंदर अग्रवाल, प्रांत प्रचारक श्री प्रेम कुमार, विभाग संघचालक प्रो. ओम प्रकाश पाहुजा सहित बड़ी संख्या में पश्चिमी विभाग के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।श्री राममाधव ने कहा कि न्यायालय ने विभिन्न स्रोतों से प्राप्त साक्ष्यों का गहन विश्लेषण करके यह निर्णय दिया। इनमें भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थान भारतीय पुरातत्व विभाग की रपट भी थी। न्यायाल ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा निर्मोही अखाड़े के दावे को पूरी तरह निरस्त कर दिया। केवल रामलला के दावे को ही तीनों माननीय न्यायाधीशों ने स्वीकार किया। फिर भी कुछ लोगों का यह कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि के संबंध में दिया गया निर्णय आस्था के आधार पर दिया गया निर्णय है। यह ऐसे लोग हैं, जिनके लिए हर विषय “ब्रोड-बटर” की तरह है और वे कोई न कोई विवाद खड़ा करके मीडिया में आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह जो निर्णय दिया है उसे समझकर हमें मन्दिर निर्माण के लिए आगे आना चाहिए। हम अपनी आकांक्षा को देश के नेताओं के समक्ष रखें और सरकार को अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर निर्माण करने हेतु कानून बनाने के लिए विवश करें। इस समय सरकार को चेताने की बहुत आवश्यकता है, इसके लिए समाज को शक्ति के साथ खड़े होने की जरूरत है।श्री राममाधव ने कहा कि भगवान राम हम सबकी आस्था के केन्द्र हैं। इसी रूप में वे श्रीराम जन्मभूमि पर विराजमान हैं। महात्मा गांधी ने स्वाधीन भारत में रामराज्य की स्थापना का स्वप्न देखा था। डा. राम मनोहर लोहिया भी भगवान राम को राष्ट्रपुरुष मानते थे। उनका कहना था “राम देश की एकता के प्रतीक हैं”। वास्तव में भगवान राम हमारी सांस्कृतिक धरा के प्रतीक हैं।इसी प्रकार एक अन्य संगोष्ठी शाम के समय दक्षिणी दिल्ली स्थित प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर के सभागार में सम्पन्न हुई। इसमें भी श्री राममाधव मुख्य वक्ता थे। यह गोष्ठी दक्षिणी विभाग द्वारा आयोजित थी, जिसका विषय था “अयोध्या मंदिर निर्माण से राष्ट्र निर्माण”। यहां श्री राममाधव ने कहा कि भगवान राम भारत के चरित्र, राष्ट्रीय एकता तथा देश की सभ्यता व संस्कृति के परिचायक हैं। उनकी जन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर से भारत के स्वाभिमान की पुन: प्रतिष्ठा होगी। द प्रतिनिधि32

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